Bateshwar Village History: पत्थरों के ढेर के नीचे दबे थे 200 मंदिर, पढ़िए बटेश्वर की अनसुनी कहानी
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पास एक से एक भव्य मंदिर बने हैं। इनका निर्माण गुर्जर प्रतिहार राजाओं ने 9वीं शताब्दी में कराया था। मगर सैकड़ों सालों तक ये मंदिर घने जंगलों में छिपे रहे। चंबल में डकैतों का आतंक होने की वजह से भी लोग यहां तक नहीं पहुंच सके थे। मगर आज एएसआई की मेनहत के बाद ये मंदिर एक बार फिर आकार ले चुके हैं।
By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Sat, 07 Sep 2024 09:00 AM (IST)
शशांक शेखर बाजपेई। Bateshwar Village History: मध्य प्रदेश का मुरैना जिला चंबल संभाग में आता है। वही चंबल जहां कभी डकैतों का राज हुआ करता था। जिनके आतंक की कहानियां पूरे देश ने सुनी हैं और बॉलीवुड में जिन पर कई फिल्में भी बनी हैं। मगर, क्या आपको पता है कि यहां कभी एक से एक खूबसूरत मंदिर हुआ करते थे।
क्या आपको पता है कि समय के चक्र में बर्बाद होने के बाद भी उनकी भव्यता आपको आज भी आकर्षित कर सकती है। उन मंदिरों में ऐसा क्या हुआ होगा कि भुला दिए गए और सैकड़ों साल तक उपेक्षित रहे। अगर नहीं, तो आज का यह विशेष लेख आपके लिए ही है।
गुर्जर-प्रतिहार राजाओं ने बनवाए थे
बटेश्वर के मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि गुर्जर-प्रतिहार राजाओं ने उनका निर्माण कराया था। यहां बलुआ पत्थर से 200 मंदिर बने हैं। ये मंदिर समूह उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला की शुरुआती गुर्जर-प्रतिहार शैली के मंदिर समूह हैं।मंदिरों में ज्यादातर छोटे हैं और लगभग 25 एकड़ इलाके में बने हुए हैं। वे शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं। यहां तक पहुंचने के लिए या तो आपको ग्वालियर जाना होगा, जहां से बटेश्वर के मंदिर करीब 35 किलोमीटर दूर हैं। या दूसरा रास्ता मुरैना शहर से होकर जाता है, जहां से इसकी दूरी करीब 30 किलोमीटर है।
हिंदुस्तान में नहीं है ऐसी एक भी जगह
यहां 200 मंदिर हैं। हिंदुस्तान में एक भी जगह ऐसा नहीं है, जहां 200 मंदिर हैं। लोग यह भी कहते हैं कि यहां डिफरेंट वेराइटी का आर्किटेक्चर है। एक तो शिखर वाले हैं, मंडपीय आकार के मंदिर हैं। 9वीं से 12वीं शताब्दी के 300 साल के समय में इन मंदिरों का निर्माण होता गया। खजुराहो के मंदिरों के निर्माण से 200 से 300 साल पहले ये मंदिर बने थे। इसका इम्पॉर्टेंस है। -केके मोहम्मद, एएसआई डायरेक्टर नॉर्थ (रिटायर्ड)
गजनी के आक्रमण के बाद हुआ होगा पतन
डिस्कवरी प्लस से शो एकांत में ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के हेड एसके द्विवेदी ने बताया कि बटेश्वर मंदिर 8 वीं और 10 वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे। 1008 ईस्वी में महमूद गजनी ने उत्तर भारत पर आक्रमण किया और कन्नौज पर अधिकार कर लिया।इसके बाद गुर्जर-प्रतिहार राजवंश का पतन हो गया। ऐसा लगता है कि उसके बाद किसी भी राजवंश का आर्थिक और सांस्कृतिक संरक्षण इस जगह को नहीं मिला। संभवतः इन्हीं कारणों से इस स्थान पर सांस्कृतिक गतिविधियां समाप्त हो गईं।
वहीं, केके मोहम्मद मानते हैं कि 12वीं और 13वीं शताब्दी में हिंदुस्तान के कई हिस्सों में ऐसे भूकंप आए, जिसमें कई स्मारक बर्बाद हो गए। संभव है कि उसी में बटेश्वर और मितावली के भी कई हिस्से गिर पड़े और उसके बाद इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा होगा।बहरहाल मंदिरों का आज जो स्वरूप दिखाई दे रहा है, उसकी वजह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के अधिकारी हैं। खासतौर पर इसका श्रेय केके मोहम्मद को जाता है, जिन्होंने साल 2005 में शुरू की गई एक परियोजना के तहत इन खंडहरों के पत्थरों को फिर से जोड़कर मंदिर का आकार दिया।