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Aerospace Engineering पढ़ाने के लिए नील आर्मस्ट्रांग ने दिया था NASA से इस्तीफा, 17 देशों से हुए सम्मानित

नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) एक प्रसिद्ध अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थे जिन्होंने चांद पर पहला कदम रख कर इतिहास रचा था। उनका जन्म आज ही के दिन 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो के वाकापाकोनेटा में हुआ था। नील आर्मस्ट्रांग 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 मिशन के भागीदार रहे और चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने ।

By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 05 Aug 2023 12:43 AM (IST)
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नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर रखा था पहला कदम, शैक्षणिक कामों के लिए दिया था NASA से इस्तीफा। फोटोः एपी।
वाशिंगटन, ऑनलाइन डेस्क। नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) एक प्रसिद्ध अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थे, जिन्होंने चांद पर पहला कदम रख कर इतिहास रचा था। उनका जन्म आज ही के दिन 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो के वाकापाकोनेटा में हुआ था। नील आर्मस्ट्रांग का पूरा जीवन कई बड़ी उपलब्धियों से भरा रहा।

चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने नील आर्मस्ट्रांग

नील आर्मस्ट्रांग 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 मिशन के भागीदार रहे और चांद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने। उन्होंने पर्ड्यू विश्वविद्यालय से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक की डिग्री और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। उनके पास कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि है।

1962 में अंतरिक्ष कार्यक्रम में हुए शामिल

साल 1949 से 1952 तक नौसैनिक एविएटर के रूप में सेवा देने के बाद वह 1955 में नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एरोनॉटिक्स (NACA) में शामिल हो गए, जिसको बाद में NASA के ड्राइडन फ्लाइट रिसर्च सेंटर का नाम दिया गया। अगले 17 वर्षों में वह NACA और इसकी उत्तराधिकारी एजेंसी  नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के लिए एक इंजीनियर, परीक्षण पायलट और अंतरिक्ष यात्री बन गए।

इस दौरान उन्होंने विभिन्न सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के साथ-साथ एक्स-15 रॉकेट विमान का परीक्षण करते हुए 1,100 घंटे से अधिक की उड़ान भरी। फिर 1962 में आर्मस्ट्रांग अंतरिक्ष यात्रियों के दूसरे समूह के साथ अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल हो गए  और इसी दौरान उन्हें अंतरिक्ष यात्री का दर्ज दिया गया।  

16 जुलाई को चांद की ओर हुए थे रवाना

नील आर्मस्ट्रांग ने अपने अद्भुत यात्रा के लिए पूरे विश्व में प्रशंसा और सम्मान प्राप्त किया। उन्हें अपने समय के शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। 16 जुलाई, 1969 को  नील आर्मस्ट्रांग अपने साथी एडविन एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स के साथ अपोलो 11 लूनर मिशन से चंद्रमा की ओर रवाना हो गए। चार दिन बाद चांद पर इसकी लैंडिंग हुई। चंद्र मॉड्यूल (एलएम) जिसे 'ईगल' के नाम से भी जाना जाता है, यह एक अंतरिक्ष यान है। उतरने से पहले ईगल को उन्होंने मैन्युअल रूप से ऑपरेट किया था।  

नासा से क्यों दिया था इस्तीफा?

आर्मस्ट्रांग ने साल 1971 में नासा से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद उन्होंने खुद को शैक्षणिक और व्यावसायिक कामों तक ही सीमित रखा। 1971 से 1979 तक वह सिनसिनाटी विश्वविद्यालय (ओहियो) में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। 1979 के बाद आर्मस्ट्रांग ने कई कंपनियों के अध्यक्ष या निदेशक के रूप में भी काम किया। 1982 से 1992 तक एविएशन के लिए कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजीज और एआईएल सिस्टम्स के अध्यक्ष भी रहे।

17 देशों में किए गए थे सम्मानित

नील को उनके इस उपलब्धि के लिए साल 1969 में यूएस प्रेसिडेंशियल 'मेडल ऑफ फ्रीडम', 1978 में कांग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर और 2009 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। आर्मस्ट्रांग को 17 देशों द्वारा सम्मानित किया गया। इसके साथ ही कई देशों ने उनको विशेष सम्मान से भी सम्मानित किया था।

हृदय संबंधी बीमारियों के कारण हुआ था निधन

25 अगस्त 2012 को 82 वर्ष की उम्र में हृदय संबंधी बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया।  उन्होंने अपनी अद्भुत जीवन यात्रा, वीरता और अनुशासन के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। उनके योगदान ने विज्ञान और मानवता को अग्रसर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।