क्या आप जानते हैं साइकोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट के बीच का फर्क?
मेंटली हेल्दी रहना भी फिजिकली हेल्दी रहना जितना ही जरूरी है। ये दोनों एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं। एक के बिगड़ने पर दूसरा भी खराब होने लगता है इसलिए इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें। अगर आप मेंटल हेल्थ की किसी परेशानी से जूझ रहे हैं और इससे बाहर निकलने के लिए साइकोलॉजिस्ट या साइक्रियाट्रिस्ट किसके पाए जाए सोच रहे हैं तो ये रहा उसका जवाब।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मेंटल हेल्थ को लेकर अब लोग खुलकर बात करने लगे हैं और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल्स की हेल्प भी ले रहे हैं। कुछ मानसिक परेशानियां बातचीत करके हल की जा सकती हैं, तो वहीं कुछ के लिए दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है। बिना मेडिसिन्स आप लंबे समय तक मानसिक परेशानियों से जूझते रहते हैं। अगर आप भी किसी तरह की मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और इसे ठीक करने के लिए प्रोफेशनल की मदद लेने की सोच ली है, तो फिर इसमें देरी न करें। हालांकि यहां जो सबसे बड़ी कनफ्यूजन होती है वो है इसके लिए साइकोलॉजिस्ट के पास सही होता है या साइकियाट्रिस्ट के पास। आज के लेख में हम यही जानने वाले हैं।
साइकोलॉजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) और साइकियाट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) दोनों का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का निदान और उपचार करना है, लेकिन उनकी शिक्षा, प्रशिक्षण और कार्यप्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं।
शिक्षा और प्रशिक्षण
साइकोलॉजिस्ट (Psychologist)
1. शैक्षणिक पृष्ठभूमि: साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए व्यक्ति को मनोविज्ञान (Psychology) में स्नातक (BA/BSc), स्नातकोत्तर (MA/MSc) और फिर डॉक्टरेट (PhD या PsyD) की डिग्री प्राप्त करनी होती है।2. प्रशिक्षण: साइकोलॉजिस्ट को क्लिनिकल, काउंसलिंग या स्कूल साइकोलॉजी में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होता है। इसके अलावा उन्हें शोध कार्यों में भी प्रशिक्षित किया जाता है।3. लाइसेंसिंग: पेशेवर रूप से काम करने के लिए साइकोलॉजिस्ट को संबंधित सरकारी या पेशेवर बोर्ड से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी होता है।
साइकियाट्रिस्ट (Psychiatrist)
1. शैक्षणिक पृष्ठभूमि: साइकियाट्रिस्ट बनने के लिए व्यक्ति को पहले मेडिकल डिग्री (MBBS) प्राप्त करनी होती है। इसके बाद उन्हें मानसिक स्वास्थ्य में विशेषता प्राप्त करने के लिए मनोचिकित्सा (Psychiatry) में MD या DNB की डिग्री करनी होती है।
2. प्रशिक्षण: साइकियाट्रिस्ट को मानसिक बीमारियों के जैविक और चिकित्सीय उपचार में व्यापक प्रशिक्षण मिलता है। इसमें दवाओं का उपयोग, मेडिकल प्रक्रियाएं और रोग निदान शामिल होता है।3. लाइसेंसिंग: साइकियाट्रिस्ट को भी मेडिकल बोर्ड से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी होता है जिससे वे चिकित्सीय उपचार प्रदान कर सकें।