Ghanti Significance: आखिर मंदिर में प्रवेश से पहले क्यों बजाई जाती है घंटी? जानें इसका धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में पूजा के दौरान घंटी बजाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। साथ ही मंदिर में प्रवेश से पहले और पूजा के दौरान घंटी बजाई जाती है। मान्यता के अनुसार पूजा-पाठ के दौरान घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा में चेतना जागृत होती है। देवी-देवताओं को घंटी और शंख की आवाज बेहद प्रिय है।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sat, 10 Feb 2024 12:08 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ghanti Significance: सनातन धर्म में पूजा के दौरान घंटी बजाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। साथ ही मंदिर में प्रवेश से पहले भी घंटी बजाई जाती है। मान्यता के अनुसार, पूजा-पाठ के दौरान घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा में चेतना जागृत होती है। क्या आपको पता है कि मंदिर में प्रवेश से पहले घंटी क्यों बजाई जाती है। चलिए इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे। साथ ही जानेंगे कि घंटी बजाने का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक कारण के बारे में।
घंटी बजाने का धार्मिक महत्व
ऐसा कहा जाता है कि देवी-देवताओं को घंटी और शंख की आवाज बेहद प्रिय है। मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने से देवी-देवताओं की प्रतिमा में चेतना जागने लगती है। साथ ही घंटी बजाने से शरीर के अंदर चेतना का संचार होने लगता है। मंदिर में प्रवेश से पहले और पूजा के दौरान घंटी बजाने से वातावरण चैतन्य हो उठता है। इसलिए मंदिरों में घंटी का प्रयोग किया जाता है।यह भी पढ़ें: Temples for couples: अपने पार्टनर के साथ करें इन मंदिरों के दर्शन, जीवन भर बना रहेगा साथ
स्कंद पुराण के मुताबिक, घंटी बजने से जो आवाज निकलती है, वह 'ॐ' की ध्वनि के समान होती है। माना जाता है कि मंदिर में घंटी बजाने से साधक को 'ॐ' उच्चारण के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारणविज्ञान के मुताबिक, मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान घंटी बजाने से वातावरण में तेज कंपन उत्पन्न होता है, जिसकी वजह से आसपास के जीवाणु-विषाणु नष्ट हो जाते हैं। मंदिर और इसके आसपास की जगह शुद्ध हो जाती है। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। घंटी बजाने से मिलते हैं ये लाभघंटी की ध्वनि शरीर के सात चक्रों को सक्रिय कर देती है। यह ध्वनि देवी-देवताओं के सिद्धांत को बरकरार रखती है और बुरी ऊर्जाओं को दूर भगाती है।
यह भी पढ़ें: Mahakaleshwar Bhasm Aarti: इसलिए भस्म से की जाती है महाकालेश्वर जी की आरती, मिलता है ये संदेशडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'