Gita Gyan: भगवत गीता के अलावा और भी हैं गीताएं, जिनमें छिपा है जीवन का सार
Gita Gyan जब हम गीता की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे मन में श्रीमद्भागवत गीता का ही ध्यान आता है जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश था। महाभारत की रणभूमि में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसी और भी गीता मौजूद हैं जिनमें जीवन का अनमोल ज्ञान छिपा हुआ है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Gita Gyan: श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई बहुमूल्य बातों का एक संग्रह है। महाभारत की युद्ध भूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था जिसके बाद अर्जुन को अपने कर्तव्यों का अहसास हुआ। भगवत गीता की ही भांति अन्य गीताएं भी मौजूद हैं जिनमें वर्णित ज्ञान मानव जीवन के लिए उपयोगी है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ अन्य गीताओं के विषय में।
विदुर नीति
महाभारत में ही गीता के उपदेश के अलावा एक और महत्वपूर्ण उपदेश माना गया है। जी हां, महाभारत की कथा के महत्वपूर्ण पात्र विदुर ने भी महाराज धृतराष्ट्र को युद्ध के परिणाम के बारे में बताया था। विदुर-नीति असल में महाभारत युद्ध से पहले युद्ध के परिणाम के से चिंतित महाराज धृतराष्ट्र और महात्मा विदुर के बीच का संवाद है।
अष्टावक्र गीता
अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है जो ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के रूप में है। भगवद्गीता, उपनिषद आदि के सामान ही अष्टावक्र गीता भी एक अमूल्य ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ज्ञान, वैराग्य और मुक्ति की दशा का विस्तार सहित वर्णन किया गया है।
अवधूत गीता
अवधूत गीता, अद्वैत वेदान्त के सिद्धान्तों पर आधारित एक संस्कृत ग्रन्थ है। 'अवधूत गीता' का शाब्दिक अर्थ है, 'मुक्त व्यक्ति के गीत'। यह ग्रन्थ नाथ योगियों का महत्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता है। यह गीता भगवान दत्तात्रेय के प्रवचन के रूप में संकलित है। इसमें नाथ परंपरा के प्रथम गुरु सत्य को गाकर समझाते हैं।
भीष्म नीति
भीष्म एक महान योद्धा थे। साथ ही वे दार्शनिक और कुशल रणनीतिकार भी थे। उनके पास अद्भुद दूरदृष्टि थी। कहा जाता है कि जब महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे तब उन्होंने युधिष्ठिर को नीति संबंधी महत्वपूर्ण बातें बताई थीं। जिसे भीष्म नीति के नाम से जाना जाता है।
पराशर गीता
महाभारत के लेखक वेद व्यास के पिता ऋषि पराशर हैं। महाभारत के शान्ति पर्व में भीष्म और युधिष्ठिर के संवाद में युधिष्ठिर को भीष्म राजा जनक और पराशर के बीच हुए वार्तालाप को सुनाते हैं। इस वर्तालाप को पराशर गीता नाम से जाना जाता है। इसमें धर्म-कर्म संबंधी ज्ञान की बाते हैं। दरअसल, शांति पर्व में सभी तरह के दर्शन और धर्म विषयक प्रश्नों के उत्तर का विस्तृत वर्णन मिलता है।
श्रीरामगीता
इसे गुरु ज्ञानवासिष्ठ तत्वसारायण का भाग माना जाता है। गीता की तरह इसमें भी 18 अध्याय हैं जो राम-हनुमान संवाद के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। ब्रह्मांड पुराण के उत्तर खंड में अध्यात्म रामायण है। इस अध्यात्म रामायण के पांचवें सर्ग में "राम गीता" है। लक्ष्मण के अनुरोध पर इसे रामचंद्र जी ने सुनाया था। इसमें कर्म की प्रवृत्ति और निवृत्ति की विवेचना की गई है।
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