वहीं, कुछ अन्य पौराणिक कहानियों के अनुसार, यह जगह शिव और पार्वती से भी जुड़ी रही है। इतिहास की बात करें तो विजयनगर साम्राज्य के महान शासकों ने इस जगह को बसाया और समृद्ध किया। यह जगह 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी।
हालांकि, 16वीं सदी में कई आक्रमणकारियों ने यहां से कई चीजें लूटीं और इसे बर्बाद कर दिया। आज यहां प्राचीन भव्य इमारतों के अवशेष बचे हैं। यूनेस्को की तरफ से 1986 में इस जगह को वर्ल्ड हैरिटेज यानी विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी है। आज इन सभी के बारे में आपको हम विस्तार से बताएंगे…
रामायण काल से है इसका संबंध
अपने ऐतिहासिक मंदिरों के लिए हम्पी में आपको धार्मिकता और ऐतिहासिकता का अनोखा मेल देखने को मिलेगा, जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। इस क्षेत्र में 5वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक महान सम्राटों ने शासन किया था। दक्षिण भारतीय राजाओं ने समृद्ध विजयनगर साम्राज्य की नींव रखी और इसे सफलता की बुलंदी तक पहुंचाया।
रामायण में पम्पा-क्षेत्र का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि वानर साम्राज्य किस्किंधा यहीं था, जहां भगवान राम वनवास के दौरान हनुमान जी से मिले थे। उत्तरी हम्पी में भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर भी है। कहते कि भगवान हनुमान कभी यहां रहा करते थे।
शिव-पार्वती के बने हैं कई मंदिर
हेमकुंटा पहाड़ी पर 7वीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी के कई भव्य मंदिर बने हुए हैं। यहां के ज्यादातर मंदिर भगवान शिव और पार्वती को समर्पित हैं। हम्पी को मूल रूप से हिंदू देवी पंपा के नाम पर पंपा-क्षेत्र कहा जाता था, जो कि देवी पार्वती का दूसरा नाम है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहते हैं कि देवी पार्वती ने हेमकुंटा पहाड़ियों में योगिनी के रूप में जीवन बिताया था। कहते हैं यहां ऐसी तपस्या उन्होंने इसलिए की थी, ताकि शिव उनसे शादी करने के लिए राजी हो जाएं। इस स्थान को बाद में कन्नड़ में पम्पे कहा गया। बाद में इसी जगह का नाम हम्पी पड़ गया। पंपा नदी और कोई नहीं बल्कि तुंगभद्रा नदी है।
मैजिकल म्यूजिकल पिलर्स कर देंगे हैरान
जब आप हम्पी घूमने जाएं, तो उत्तरी हम्पी में बने विजय विट्ठल मंदिर जरूर जाएं। यह मंदिर न सिर्फ वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। साथ यही यहां के मैजिकल म्यूजिकल पिलर्स देखकर आप हैरान हो जाएंगे। विट्ठल मंदिर परिसर के रंगमंडप में संगीतमय स्तम्भ दिखाई देंगे, जिसे छूने से संगीत की आवाज आएगी।इस स्तंभ को सारेगामा के रूप में भी जाना जाता है। इन पिलर्स को बनाने के लिए ऐसे स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया है, जिनसे संगीत पैदा होता है। दरअसल, इन पत्थरों में रेजोनेंट प्रॉपर्टीज होती हैं। यानी जब पत्थरों को बजाया जाता है, तो उससे निकलने वाला संगीत कई गुना बढ़ जाता है।
दरअसल, इन कॉलम्स के व्यास और लंबाई के निश्चित अनुपात की वजह से ऐसा होता है। ये किसी स्ट्रिंग यानी तार की तरह व्यवहार करते हैं। यहां बने 56 पिलर्स में कई कॉलम्स हैं, जिनमें से कुछ में मूर्तियां भी बनी हुई हैं। कहते हैं कि देवराया द्वितीय के शासन काल में इन पिलर्स को बनाया गया था। भगवान विठ्ठल को भेंट अर्पण करते समय इन्हीं पिलर्स की आवाज पर नृत्य किया जाता था।
फिर कैसे हो गया बर्बाद
विजयनगर साम्राज्य यानी जिसे कभी जीता न जा सकता हो, उसके राजाओं को वंशजों की अयोग्यता और आक्रमणकारियों के हमले में यह जगह बर्बाद हो गई। आक्रांता यहां से कई चीजें लूटकर ले गए थे। दक्कन के सुल्तानों ने 1565 में कुछ स्थानीय सरदारों के गठबंधन के साथ हम्पी पर आक्रमण किया और छह महीने तक शहर में लूटमार की। महलों को तोड़ दिया और मंदिरों को भी नहीं छोड़ा। कई मंदिर अंदर से पूरी तरह खाली हैं और वहां कोई भी मूर्ति नहीं है।
इसलिए बनी वर्ल्ड हैरिटेज साइट
सैकड़ों एकड़ में फैली वादी में बड़े-बड़े पत्थरों के साथ 1,600 से ज्यादा मंदिर, महल और अन्य प्राचीन इमारतों के अवशेष यहां हैं। यहां 7वीं सदी में विरुपाक्ष मंदिर की स्थापना की गई थी। हम्पी की सबसे मशहूर जगह पत्थर का बना मंदिर है, जो देखने में एक रथ की तरह लगता है।
यह मंदिर विष्णु भगवान के वाहन गरुड़ को समर्पित है। कहते हैं कि ग्रेनाइट के ये पहिये किसी समय में घूमते थे। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना राजा हरिहर ने की थी। कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश पर शासन करने वाला यह साम्राज्य लगभग 1350 ई. से 1565 ई. तक रहा।इस वंश के अंतिम राजा रंगराय तृतीय की साल 1680 में हुई मृत्यु के बाद मुस्लिम आक्रांताओं ने यहां हमले कर इसे तबाह कर दिया। मंदिरों और महलों को पूरी ताकत से तोड़ा गया। इसके बाद भी इस शहर की भव्यता आज भी देखते ही बनती है। लिहाजा, यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया है।
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इस तरह से पहुंच सकते हैं हम्पी
हम्पी में देश-विदेश से काफी संख्या में घूमने के लिए सैलानी पहुंचते हैं। यहां जाने के लिए कई सड़क मार्ग, फ्लाइट्स और ट्रेन से आसानी से पहुंचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा बेल्लारी शहर से 60 किमी दूर है। हुबली हवाई अड्डा हम्पी से 143 किमी दूर है।
यह भी पढ़ें- एक श्राप और कई वर्षों तक वीरान रहा राजस्थान का यह गांव, अब विदेश से भी देखने आते हैं पर्यटकट्रेन से हम्पी जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन होसपेट में है, जो यहां से करीब 13 किमी दूर है। बेंगलुरू से हम्पी के लिए कई ट्रेनें चलती हैं। बताते चलें कि बेंगलुरु से हम्पी करीब 370 किमी दूर है। इसके अलावा सड़क के रास्ते यहां पहुंचने के लिए NH4 का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो बेंगलुरू को हम्पी से जोड़ता है।