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क्या आप जानते हैं कि ग्रामोफोन कैसे करता था काम? पढ़िए दो सुइयों ने कैसे बदली संगीत की दुनिया

दुनिया के महानतम आविष्कारकों में शुमार थॉमस एडिसन ने 21 नवंबर 1877 में पहली बार फोनोग्राफ (Gramophone) का आविष्कार किया था। यह एक ऐसा क्रांतिकारी डिवाइस था जिसने ध्वनि को रिकॉर्ड करने और दोबारा पैदा करने की संभावना को जन्म दिया। फोनोग्राफ का विकास आगे चलकर ग्रामोफोन में हुआ जिसने संगीत उद्योग में एक नई क्रांति (Two Needle Revolution) ला दी। आइए जानें इससे जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 20 Nov 2024 06:46 PM (IST)
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दो सुइयों ने कैसे किया संगीत को जादुई? पढ़िए ग्रामोफोन के आविष्कार से जुड़ी कुछ खास बातें (Image Source: X)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। थॉमस एडिसन ने फोनोग्राफ में एक बेलनाकार सिलेंडर का इस्तेमाल किया था, जिस पर एक सुई ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड करती थी। जब इस सिलेंडर को दोबारा चलाया जाता था तो सुई उन्हीं तरंगों को दोहराती थी और ध्वनि पैदा होती थी। एडिसन ने अपनी पहली रिकॉर्डिंग में 'मैरी हेड ए लिटिल लैंब' गाया था।

फोनोग्राफ और ग्रामोफोन (Gramophone) ने संगीत को घरों में लाकर लोगों के जीवन को बदल दिया। हालांकि, आजकल डिजिटल तकनीक ने इन पुराने उपकरणों को लगभग पूरी तरह से बदल दिया है। फिर भी, एडिसन का यह आविष्कार ध्वनि रिकॉर्डिंग और संगीत उद्योग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर (Two Needle Revolution) बना हुआ है। आइए 21, नवंबर यानी ग्रामोफोन की खोज के इस खास दिवस पर आपको इस उपकरण से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स बताते हैं।

ग्रामोफोन कैसे काम करता था?

  • रिकॉर्ड: ग्रामोफोन में एक डिस्क होती थी जिसे रिकॉर्ड कहते थे। इस रिकॉर्ड पर ध्वनि तरंगों को खांचों के रूप में उत्कीर्ण किया जाता था। ये खांचे एक सर्पिल आकार में होते थे जो डिस्क के केंद्र से किनारे तक जाते थे।
  • स्टाइलस: एक छोटी सी सुई होती थी जिसे स्टाइलस कहते थे। यह स्टाइलस रिकॉर्ड पर बने खांचों में चलती थी। जब रिकॉर्ड घूमता था, तो स्टाइलस इन खांचों में ऊपर-नीचे होती थी।
  • डायाफ्राम: स्टाइलस के कंपन को एक डायाफ्राम तक पहुंचाया जाता था। डायाफ्राम एक पतली झिल्ली होती थी जो स्टाइलस के कंपन के अनुसार कंपन करती थी।
  • हॉर्न: डायाफ्राम के कंपन को हॉर्न के माध्यम से बढ़ाया जाता था। हॉर्न एक शंकु के आकार का उपकरण होता था जो ध्वनि को केंद्रित करके उसे तेज करता था।
जब रिकॉर्ड घूमता था, तो स्टाइलस रिकॉर्ड पर बने खांचों में चलती थी और डायाफ्राम को कंपन करती थी। डायाफ्राम के कंपन हॉर्न के माध्यम से बढ़ाए जाते थे और ध्वनि के रूप में हमारे कानों तक पहुंचते थे।

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संगीत की दुनिया में किया गजब का बदलाव

शुरुआती ग्रामोफोन में केवल एक ही सुई होती थी। लेकिन बाद में दो सुइयों वाले ग्रामोफोन विकसित किए गए। इन दो सुइयों ने संगीत की दुनिया को कई तरीकों से बदल दिया।

  • स्टीरियो ध्वनि: दो सुइयों की मदद से स्टीरियो ध्वनि उत्पन्न करना संभव हो गया। इससे संगीत अधिक प्राकृतिक और जीवंत लगने लगा।
  • बेहतर ध्वनि गुणवत्ता: दो सुइयों ने ध्वनि की गुणवत्ता में सुधार किया। इससे संगीत अधिक स्पष्ट और विस्तृत हो गया।
  • रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया में सुधार: दो सुइयों ने रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया में सुधार किया। इससे अधिक सटीक और विस्तृत रिकॉर्डिंग करना संभव हो गया।
ग्रामोफोन एक ऐसा डिवाइस था जिसने संगीत को घरों तक पहुंचाया और संगीत के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। दो सुइयों के आविष्कार ने संगीत की दुनिया को और ज्यादा बदल दिया। हालांकि, आजकल डिजिटल युग में हम संगीत को कई तरीकों से सुन सकते हैं, लेकिन ग्रामोफोन का अपना एक अलग महत्व है। यह एक ऐसा डिवाइस है जिसने संगीत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है।

फोनोग्राफ और प्रथम विश्व युद्ध

थॉमस एडिसन ने अपने आविष्कार, फोनोग्राफ को दुनिया के सामने पेश करने के लिए 'एडिसन स्पीकिंग फोनोग्राफ कंपनी' नाम से एक कंपनी बनाई। एडिसन सिर्फ एक आविष्कारक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी भी थे। उन्होंने फोनोग्राफ की क्षमता को समझते हुए कहा था कि यह सिर्फ संगीत बजाने का उपकरण नहीं है, बल्कि यह एक जादुई डिवाइस है जो शब्दों को अमर कर सकता है।

एडिसन ने सुझाव दिया था कि फोनोग्राफ का इस्तेमाल पत्र लिखने, नेत्रहीनों के लिए किताबें पढ़ने और संगीत बजाने वाली घड़ी बनाने के लिए किया जा सकता है। और क्या खूब, उनके ये सारे सपने सच हुए! प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, फोनोग्राफ सैनिकों का सबसे अच्छा दोस्त बन गया। सैनिक 60 डॉलर की मोटी रकम चुकाकर भी फोनोग्राफ खरीदने को तैयार थे, क्योंकि यह उन्हें युद्ध के मैदान में घर का एहसास दिलाता था।

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