India-Canada Row:कनाडा में नस्लभेदी हमले झेल कर प्रभावशाली बने प्रवासी भारतीय, ताजा विवाद उन पर भी न पड़े भारी
कनाडा में रह रहे भारतीय लंबे समय से नस्लभेदी हमले झेल रहे हैं। वहां पर रह रहे भारतीय अपने ऊपर झेल रहे हमलों से और अधिक प्रभावशाली बनते चले गए।कनाडा में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। वहां पर 14 लाख से अधिक भारतीय रह रहे हैं जिसमें से तीन लाख से अधिक भारतीय छात्र कनाडा के अलग-अलग कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Tue, 26 Sep 2023 03:08 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। India Canada Controversy: खालिस्तान मामले पर भारत और कनाडा के बीच बढ़ता विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद दोनों देशों में रार छिड़ी हुई है, जिसका असर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक संबंधों पर भी दिख रहा है। हालांकि, दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव अचानक नहीं आया है। कनाडा लंबे समय से ही भारत विरोधी और खालिस्तान की मांग करने वालों को अपने यहां पनाह देता आया है।
कानाडा में लंबे समय से नस्लभेदी हमला झेल रहे भारतीय
कनाडा में रह रहे भारतीय लंबे समय से नस्लभेदी हमले झेल रहे हैं। वहां पर रह रहे भारतीय अपने ऊपर झेल रहे हमलों से और अधिक प्रभावशाली बनते चले गए। मालूम हो कि कनाडा में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। वहां पर 14 लाख से अधिक भारतीय रह रहे हैं, जिसमें से तीन लाख से अधिक भारतीय छात्र कनाडा के अलग-अलग कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में कनाडा का खालिस्तानी आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनना न सिर्फ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती पैदा करता है, बल्कि वहां रह रहे भारतीयों की सुरक्षा के लिए भी यह खतरनाक है।
नौकरी पर खतरे की आशंका में हो रहे हमले
ब्रिटिश मूल के कनाडा के नागरिकों को डर सताने लगा है कि प्रवासी कामगार कम मजदूरी पर काम करेंगे और प्रवासियों की बाढ़ से उनकी नौकरी खतरे में आ जाएगी। ऐसे में भारतीय और दूसरे प्रवासियों को निशाना बनाने वाले नस्लभेदी हमले शुरू हो गए हैं।यह भी पढ़ेंः धार्मिक नेता नहीं, आतंकवादी था हरदीप सिंह निज्जर; भारत पर हमला करने के लिए युवाओं को देता था प्रशिक्षण
ये है घटनाक्रम:
- 1902 में पहली बार पंजाबी सिख कोलंबिया रिवर लुंबर कंपनी में काम करने ब्रिटिश कोलंबिया पहुंचे
- 1903 में दक्षिण एशिया से पहली बार बड़ी संख्या में प्रवासियों का समूह वैंकूवर, कनाडा पहुंचा। इन प्रवासियों ने ब्रिटिश भारतीय सैनिकों से हांगकांग में कनाडा के बारे में सुना था।
- 1905 कोलाबया और उत्तरी अमेरिका में पहला गुरुद्वारा बना। लेकिन 1926 में इसे ढहा दिया गया।
- 1911 में में ब्रिटिश कोलंबिया बना सबसे पुराना गुरुद्वारा गुर सिख टेंपल है। इसे 2002 में कनाडा का राष्ट्रीय ऐतहासिक स्थल नामित किया गया।
- 2017 में कनाडा ने उच्च कौशल वाले कामगारों को स्थाई नागरिकता देने वाला एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम शुरू किया, भले ही उनके पास कनाडा में नौकरी की पेशकश न हो
- 2017 तक भारत कनाडा को सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र देने वाला देश बन गया।
- 15,000 से अधिक भारतीय टेक पेशेवर बेहतर वेतन और आकर्षक नीतियों की वजह से आए।
पूरे विश्व में फैला हुआ है खालिस्तान का आतंकी नेटवर्क
मालूम हो कि खालिस्तान का आतंकी नेटवर्क पूरे विश्व में फैला हुआ है। यहां तक की अमेरिका भी इससे अछुता नहीं है। वहीं, अकेले कनाडा की बात करें तो वह करीब चार दशकों से खालिस्तानी आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है। वही, सालों से खालिस्तान आंदोलन को पाकिस्तान का भी सीधा सपोर्ट हासिल रहा है, वहीं चीन भी कनाडा के आंतरिक मामलों में लगातार दिलचस्पी लेता आया है। विश्व के अलग-अलग देशों में रह रहे खालिस्तारी आतंकी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं।
खालिस्तान टाइ टाइगर फोर्सः13 मार्च, 2011 बीकेआइ आतंकवादी जगतार सिंह तारा ने खालिस्तान टाइ टाइगर फोर्स (KTF) बनाइ थी, जो पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में से एक था।बब्बर खालसा इंटरनेशनलः1980 बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का गठन 1980 के शुरुआत में किया गया था। पाकिस्तान में रह रहे बाधवा सिंह चाचा उर्फ बब्बर ने इसका गठन किया था।
इन देशों में खालिस्तान का आतंकी नेटवर्क
कनाडा- केटीएफ: अर्शदीप सिंह, हरदीप सिंह निज्जर
- बीकेआई: लखबीर सिंह (लांडा)
- बीकेआइ हरजोत सिंह
- बीकेआइ: सतनाम सट्टा, परमिदर खैरा
- केटीएफ: बिलाल
- बीकेअइ: हरिवंदर सिंह रिंदा, वाधवा सिंह बब्बर
- बीकेआइ: तरसेन सिंह संधू
- बीकेआई : कश्मीर सिंह गलवड्डी
- केटीएफ : मनप्रीत सिंह पीता, मनदीप सिंह, विक्रमजीत सिंह
- बीकेआइः यदविंदर सिंह
- केटीएफः लकी खोखरा, गगनदीप सिंह
- केटीएफः गुरजंतर सिंह