क्या होता है स्पेस स्टेशन जिसका PM Modi ने ISRO को दिया है टारगेट? जानें सभी जरूरी सवालों के जवाब
पीएम मोदी ने आज इसरो के वैज्ञानिकों के साथ हाई लेवल मीटिंग की। गगनयान मिशन का रिव्यू किया। इस दौरान ISRO ने पीएम मोदी को बताया कि भारत का अपना स्पेस स्टेशन 2035 तक बन जाएगा। 2040 में पहले भारतीय को चांद पर भेजा जाएगा। इसके अलावा इसरो ने कहा कि शुक्रयान और मंगलयान पर भी काम कर रहें हैं।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) गगनयान मिशन की तैयारियों में जुटा है। ISRO 2040 तक चंद्रमा पर इंसान को भेज सकता है। 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बना सकता है।
हालांकि इससे पहले 2025 में वह अंतरिक्ष में मानव मिशन गगनयान भेजेगा। यह टारगेट मंगलवार (17 अक्टूबर) को ISRO के वैज्ञानिकों के साथ PM नरेंद्र मोदी की मीटिंग में तय किए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने 21 अक्टूबर को भारत के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन 'गगनयान' के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग की तैयारियों की भी जानकारी ली। इस दौरान भारत के अंतरिक्ष मिशनों को लेकर भविष्य की रूपरेखा तैयार करने पर चर्चा हुई।
2035 तक भारत स्थापित करेगा अपना स्पेस स्टेशन
अंतरिक्ष विभाग ने गगनयान मिशन की प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जिसमें अब तक विकसित विभिन्न टेक्नोलॉजी जैसे ह्यूमन-रेटेड लॉन्च वाहन और सिस्टम क्वालिफिकेशन शामिल हैं। ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM3) के 3 मिशनों समेत करीब 20 बड़े टेस्ट की योजना बनाई गई है।
हाल के दिनों में चंद्रयान-3 की सफलताओं को देखते हुए पीएम मोदी ने कुछ खास निर्देश दिए। पीएम मोदी ने कहा कि देश को अब 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना सहित नए लक्ष्य तय करने चाहिए। इनमें 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना भी शामिल है। इस टारगेट को पाने के लिए अंतरिक्ष विभाग चंद्रमा की खोज को लेकर रोडमैप तैयार करेगा।
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इसमें चंद्रयान मिशनों की श्रृंखला, नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का डेवलपमेंट, नए लॉन्च पैड का निर्माण और मानव-केंद्रित प्रयोगशालाएं शामिल होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय वैज्ञानिकों से अंतरग्रहीय मिशनों की दिशा में काम करने का भी अपील की, जिसमें वीनस ऑर्बिटर मिशन और मंगल लैंडर शामिल होगा। पीएम मोदी ने भारत की क्षमताओं पर विश्वास जताया और स्पेस सेक्टर में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए देश की प्रतिबद्धता दोहराई।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एक साक्षात्कार में कहा कि गगनयान की सफलता के बाद भारत अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर काम कर सकेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 की सफलता से अपनी क्षमता साबित की और सफल आदित्य एल1 मिशन के लिए काम कर रहा है। पीएम मोदी ने भी कहा कि भारत 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन बना सकता है।
रितु करिधल श्रीवास्तव को भारत की रॉकेट गर्ल कहा जाता है। इनका का जन्म और पालन-पोषण लखनऊ में हुआ। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में एमएससी की पढ़ाई पूरी की। बाद में, उन्होंने बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान में अध्ययन किया।
राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में जाना जाता हैं। जिन्होंने 1984 में अंतरिक्ष में प्रवेश करके भारत का नाम रोशन किया था।
चीन का स्व-निर्मित अंतरिक्ष स्टेशन, जिसे तियांगोंग या चीनी में सेलेस्टियल पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, 2022 के अंत से पूरी तरह से चालू हो गया है, जो 450 किलोमीटर की कक्षीय ऊंचाई पर अधिकतम तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मेजबानी कर रहा है।
पाकिस्तान के पास वर्तमान में अपना कोई प्रक्षेपण यान नहीं है और वह अपने दम पर किसी उपग्रह को लॉन्च करने और कक्षा में स्थापित करने में सक्षम नहीं है ।
पाकिस्तान अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (SUPARCO) , राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी, 1961 में एक समिति के रूप में स्थापित की गई थी और 1981 में इसे एक आयोग का दर्जा दिया गया था। SUPARCO को अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उनके शांतिपूर्ण क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास का संचालन करने का आदेश दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी की निचली कक्षा में सबसे बड़ा मॉड्यूलर अंतरिक्ष स्टेशन है। इस परियोजना में पांच अंतरिक्ष एजेंसियां शामिल हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका की NASA, रूस की रोस्कोस्मोस, जापान की JAXA, यूरोप की ESA और कनाडा की CSA
12 अप्रैल, 1961 को, यूएसएसआर ने पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन की उड़ान के साथ, चालक दल अंतरिक्ष उड़ान के युग की शुरुआत की। सोवियत वोस्तोक अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम का हिस्सा गगारिन की उड़ान में 108 मिनट लगे और इसमें पृथ्वी की एक ही कक्षा शामिल थी।
कई देशों ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए मिशन शुरू किए हैं, लेकिन कोई भी इसकी सतह तक पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाया है। ऐसी लैंडिंग को रोकने वाली प्राथमिक बाधा सूर्य पर अत्यधिक तापमान है।