Indra Dev: कैसे प्राप्त होती है इन्द्र की पदवी? जानिए अब तक कौन-कौन रह चुके हैं इस पद पर आसीन
Indra Dev सनातन धर्म में देवराज इंद्र को वर्षा का देवता माना गया है। अर्थात पृथ्वी पर वर्षा करने का कार्यभार वही संभालते हैं। दरअसल इंद्र कोई एक देवता नहीं है बल्कि यह एक पदवी है। जिसका कार्यभार संभालने वाले देवता समय-समय पर बदलते रहते हैं। आइए जानते हैं कि यह पदवी कैसे प्राप्त होती है और इस समय इस पद पर कौन विराजमान है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Indra Dev: हिंदू धर्म में मूलतः 33 प्रकार के देवी-देवताओं का जिक्र मिलता है। प्रत्येक देवी-देवताओं का अपना एक स्वभाव और चरित्र है। इसी प्रकार इंद्र देव का भी अपना एक अलग स्वरूप और चरित्र है। उन्हें स्वर्ग के राजा के रूप में भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इंद्र की पदवी के विषय में कुछ रोचक तथ्य।
कैसे प्राप्त होता है इंद्र का पद?
अत्यधिक तप करने से या सौ धर्मयज्ञ निर्विघ्न करने से साधक इन्द्र की पदवी प्राप्त करता है। तप या यज्ञ के दौरान यज्ञ या तप की मर्यादा भंग हो जाती है तो नए सिरे से यज्ञ तथा तप करना पड़ता है। सफल होने पर ही इन्द्र की पदवी प्राप्त होती है। इन्द्र के बल, पराक्रम और अन्य कार्यों के कारण उनका नाम ही एक पद बन गया था। जो भी स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त कर लेता था उसे इन्द्र की उपाधि प्रदान कर दी जाती थी।
विभिन्न कालों में विभिन्न व्यक्ति इस पद पर आसीन रह चुके हैं। जो भी व्यक्ति इस पद पर आरूढ़ हो जाता था उसके हाथ में सर्वोच्च सत्ता आ जाती थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, असुरों के राजा बली भी इन्द्र बन चुके हैं और रावण पुत्र मेघनाद ने भी इन्द्र पद हासिल कर लिया था। इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी कहलाती है।
कौन-कौन रह चुके हैं इंद्र
अब तक स्वर्ग पर राज करने वाले 14 इन्द्र माने गए हैं। इन्द्र एक काल का नाम भी है, जैसे 14 मन्वंतर में 14 इन्द्र होते हैं। प्रत्येक मन्वंतर में एक इन्द्र हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- यज्न, विपस्चित, शिबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, बली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि। वर्तमान समय के इंद्र का नाम पुरंदर है। वह महर्षि कश्यप और अदिति के बारह पुत्रों में से एक हैं।
कैसा है इंद्र का स्वरूप
इंद्र के स्वरूप की बात करें तो सफेद हाथ पर सवार इन्द्र का अस्त्र वज्र है। उनके पास अपार शक्ति मौजूद है। वह मेघ और बिजली के माध्यम से अपने शत्रु पर प्रहार करने की क्षमता रखते हैं। इंद्र अनेक दुर्लभ वस्तुओं के स्वामी भी हैं। इनमें मंदार, पारिजात, कल्पवृक्ष और हरिचंदन जैसे दिव्य वृक्ष शामिल हैं।
उनके पास समुद्र-मंथन से प्राप्त हुए ऐरावत हाथी और उच्चै:श्रवा जैसे दिव्य-रत्न हैं। इंद्र को उनकी शक्ति के लिए ‘शक्र’, पराक्रम के लिए ‘वृषण’, तथा वसुओं का स्वामी होने के कारण ‘वासव’ कहकर संबोधित किया जाता है। देवताओं ने इंद्र के नेतृत्व में, कई बार असुरों से भीषण युद्ध लड़े और जीते हैं।
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