F35 Fighter Jet में शॉर्ट टेकऑफ और वर्टिकल लैंडिंग की क्षमता, अमेरिका के इस लड़ाकू विमान का नहीं है कोई सानी
अमेरिका का F-35 लड़ाकू विमान एक बार फिर चर्चा में है। अमेरिका के पास कई तरह के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मौजूद हैं लेकिन F-35 की बात ही अलग है। पांचवीं पीढ़ी का यह लड़ाकू विमान दुनिया के सबसे ताकतवर विमानों में से एक है। सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में से एक F-35 अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से विमान रडार की पकड़ में नहीं आता।
By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 21 Sep 2023 08:11 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। F35 Fighter Jet Features: अमेरिका का F-35 लड़ाकू विमान एक बार फिर चर्चा में है। पिछले दिनों अमेरिका में पहले इसके लापता हो जाने और फिर इसकी तलाश की खबरों से ये सुर्खियों में आया था। अमेरिका के साउथ कैरोलाइना में उड़ान के दौरान विमान में तकनीकी खराबी आने के बाद पायलट ने खुद को विमान से इजेक्ट कर लिया था, जिसके बाद विमान लापता हो गया था। हालांकि, दो दिनों बाद ही उसके मलबे को ढूंढ निकाला गया।
इन सबके बीच ये विमान लोगों के कौतूहल का विषय बन गया। ऐसे में इस विमान के बारे में जानना अपने आप में दिलचस्प होगा। वैसे तो अमेरिका के पास कई तरह के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मौजूद हैं, लेकिन F-35 की बात ही अलग है। पांचवीं पीढ़ी का यह लड़ाकू विमान दुनिया के सबसे ताकतवर विमानों में से एक है।यह भी पढ़ें: चीन और पाकिस्तानी खेमे पर कहर बरपाएगी 'प्रलय', 500 किमी तक लक्ष्य को भेदने में कारगर
किस-किस के पास हैं पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान?
दुनिया में केवल तीन ही मुल्क हैं जिनके पास पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। इनमें अमेरिका पहले नंबर पर है, क्योंकि उसके पास F-35 और F-22 राप्टर जैसे पांचवीं पीढ़ी के दो-दो घातक विमान मौजूद हैं। वहीं रूस के पास SU-57 और चीन के पास Chengdu J-20 जैसे विमान इसमें शामिल हैं।अमेरिका के इन दोनों विमानों का निर्माण लॉकहीड मार्टिन नाम की कंपनी करती है। F-35 को अमेरिका ने अपने कुछ निकटतम सहयोगियों को भी उपलब्ध कराया है, लेकिन F-22 राप्टर को अमेरिका किसी अन्य देश को नहीं बेचता।
स्टील्थ टेक्नोलॉजी
सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में से एक F-35 अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से विमान रडार की पकड़ में नहीं आता और तकरीबन अदृश्य हो जाता है। आसान शब्दों में कहें तो इस टेक्नोलॉजी की वजह से रडार लड़ाकू विमान को डिटेक्ट नहीं कर सकता है। ऐसे में विमान अत्यधिक सुरक्षित हवाई क्षेत्र में घुसपैठ कर लक्ष्य को भेदने में कारगर है।