Women Reservation Bill: पहली बार कब लाया गया था महिला आरक्षण विधेयक? जानिए हर सवाल का जवाब
संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के दूसरे दिन नई संसद में महिलाओं से जुड़ा ऐतिहासिक बिल पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पेश किया। इस विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आज लोकसभा में पेश किया गया है। इसे पहली बार 1996 में पेश किया गया था।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
महिला आरक्षण बिल पहली बार 12 सितंबर 1996 को लाया गया था। उस समय एचडी देवगौड़ा की सरकार थी।
महिला आरक्षण विधेयक को कई बार कानून बनाने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। बिल को पहली बार 2010 में राज्यसभा से पारित कराया गया था, लेकिन इसे लोकसभा में नहीं लाया गया था।
महिला आरक्षण बिल को लागू करने से पहले परिसीमन की आवश्यकता होगी। यह महिला आरक्षण बिल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नहीं लागू हो पाएगा।
महिला आरक्षण बिल को लागू करने से पहले परिसीमन होगा, जो 2026 के जनगणना से पहले संभव नहीं है। इसका मतलब हुआ कि ये बिल कम से कम 2027 से पहले लागू नहीं हो पाएगा।
महिला आरक्षण विधेयक को लागू होने के लिए पहले दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से गुजरना होगा। इसके बाद इसे राज्यों की विधानसभाओं से भी पारित कराना होगा, क्योंकि ये विषय राज्यों के अधिकार से भी संबंधित है।
इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और राज्यों के विधानसभा में कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होगी। यानी कि लोकसभा में 181 महिला सांसद होंगी।
लोकसभा में इस समय 82 महिला सांसद हैं। इस कानून के लागू होने के बाद महिला सदस्यों की संख्या कम से कम 182 हो जाएगी।
महिला आरक्षण विधेयक लागू होने से अगले 15 वर्षों तक प्रभाव में रहेगा। 15 साल के बाद इसका प्रभाव खत्म होगा।
महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करने के लिए रोटेशन प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। इसी के तहत महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होंगी।