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Mahabharat Katha: 18 दिनों तक ही क्यों हुआ महाभारत का युद्ध, जानिए इसका कारण

Mahabharat Katha महाभारत के युद्ध में कौरव अधर्म और पांडव धर्म के साथ कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़े। महाभारत युद्ध के दौरान ऐसी कई विशेष घटनाएं घटित हुई जो आज भी लोगों के लिए शिक्षा देने का काम करती हैं। महाभारत युद्ध के मैदान कुरुक्षेत्र से ही गीता उपदेश की उत्पत्ति भी मानी जाती है जोकि श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को प्राप्त हुआ था।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 01 Sep 2023 03:48 PM (IST)
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Mahabharat Katha 18 दिनों तक ही क्यों हुआ महाभारत का युद्ध।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mahabharat Yudh: द्वापर युग धर्म की रक्षा के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। कुरुक्षेत्र में लड़े जाने के कारण इसे कुरुक्षेत्र का युद्ध भी कहा जाता है। इस युद्ध की सबसे विशेष बात यह थी कि इसमें भगवान श्री कृष्ण स्वयं अर्जुन के सारथी बने थे। यह भयावह युद्ध कुल 18 दिनों तक चला। क्या आप जानते हैं कि इसके 18 दिनों तक चलने के पीछे भी एक खास कारण छुपा हुआ है। आज हम आपको इसी विषय में बताने जा रहे हैं कि महाभारत का युद्ध कुल 18 दिनों तक ही क्यों चला।

युद्ध का संख्या 18 से संबंध

महाभारत युद्ध में 18 की संख्या का अत्यंत महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि महाभारत ग्रंथ में कुल 18 अध्याय हैं। भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को 18 दिन गीता का ज्ञान दिया था। महाभारत का युद्ध भी 18 दिन तक चला था। यहां तक की इस युद्ध के अंत में कुल 18 लोग ही बचे थे। दरअसल, महर्षि वेद व्यास ने गणेश जी की मदद से इस ग्रंथ का निर्माण 18 दिनों में ही किया था। ऐसा माना जाता है कि जब इस ग्रंथ का निर्माण हुआ था तब तक महाभारत युद्ध नहीं हुआ था बल्कि महर्षि ने अपनी दिव्य दृष्टि से इस युद्ध को पहले ही देखकर रचा था और श्री गणेश ने इसे लिखा।

इसी कारण महाभारत ग्रंथ के 18 अध्याय 18 दिन में लिखे गए थे यानी कि 1 अध्याय 1 दिन में और उसी अध्याय के अंतर्गत होने वाली घटनाएं घटित हुईं। ऐसे में महाभारत का युद्ध 18 अध्याय के अनुसार 18 दिन तक चला। सरल शब्दों में कहें तो ग्रंथ के जिस अध्याय में जो-जो घटनाएं हुईं यह असल में जब युद्ध हुआ था तब भी सब वैसे ही घटित हुआ था और युद्ध 18 दिन तक चला। महाभारत के अंतिम यानी अठारहवें दिन भीम, दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करते हैं, जिससे दुर्योधन की मृत्यु को हो जाती है और इस प्रकार दुर्योधन की मृत्यु होने से पांडव विजयी हो जाते हैं।

क्या थे युद्ध के कारण

  • महाभारत युद्ध का मुख्य कारण दुर्योधन का अहंकार था। वह पांडवों को एक सुई के बराबर भी भूमि देने को तैयार नहीं था।
  • द्रौपदी का दुर्योधन को अंधे का पुत्र कहकर पुकारना भी महाभारत का एक कारण माना जाता है।
  • कौरवों और पांडवों का आपस में जुआ खेलकर द्रौपदी को दाव पर लगाना भी महाभारत युद्ध का एक कारण है।
  • इस युद्ध के होने में और भी कई कारण मौजूद हैं जिनमें से द्रौपदी चीरहरण भी एक मुख्य कारण है।
  • कौरवों की महत्वकांक्षाएं चरम पर पहुंच गई थीं। वह अकेले ही सारा राजपाट हड़प लेना चाहते थे।
  • राजा धृतराष्ट्र पुत्र मोह में इस कदर डूब गए थे कि उन्हें सही-गलत भी नजर नहीं आ रहा था।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'