Election Commission: क्यों, कब और कैसे बना था चुनाव आयोग; पार्टियों के विवाद सुलझाने से लेकर सिंबल आवंटन तक क्या-क्या हैं अधिकार?
What is the role of election commission of India इस साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। बिना किसी रुकावट के पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की होती है। अब आपके मन में यह विचार आ रहा होगा कि निर्वाचन आयोग आखिर क्या है? क्यों बनाया गया कब बनाया गया? इसकी जिम्मेदारियां क्या हैं? इसके अधिकार क्या हैं? यहां पढ़िए ऐसे ही कई सवालों के जवाब...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं। बिना किसी रुकावट के पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India ) की होती है। आयोग की ओर से चुनाव की तारीखों के एलान करने के साथ ही सियासी जंग का बिगुल बज जाएगा। इससे पहले, सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जमीन मजबूत करने में जी-जान से जुटे हुए हैं।
चुनावी तारीखों का एलान होने के बाद शासन- प्रशासन के कामकाज पर आयोग नजर रखता है। इस दौरान प्रशासनिक तबादलों पर भी चुनाव आयोग ही अंतिम निर्णय लेता है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी प्रकार की सरकारी योजना की घोषणा या शुरुआत नहीं की जा सकती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि चुनाव संपन्न होने तक शासन-प्रशासन चुनाव आयोग के अंतर्गत कार्य करता है।
इतना पढ़ने के बाद आपके मन में यह विचार जरूर आ रहा होगा कि निर्वाचन आयोग आखिर क्या है? क्यों बनाया गया, कब बनाया गया? इसकी जिम्मेदारियां क्या हैं? इसके अधिकार क्या हैं… इत्यादि। ऐसे ही अनेकों प्रश्नों के उत्तर आपको हमारी इस खबर में मिलेंगे।
निर्वाचन आयोग क्या है?
भारतीय निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है, जो संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत देश में सभी चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है। यही संस्था देश में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराती है।
चुनाव आयोग की स्थापना कब और क्यों हुई?
किसी भी देश के लोकतांत्रिक या गणराज्य होने का मतलब है कि वहां आम जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि शासन-व्यवस्था संभालते हैं। इसलिए जब हमारा देश आजाद हुआ और यहां लोकतंत्र की स्थापना हुई तो सबसे चुनाव आयोग की स्थापना की गई।26 जनवरी 1950 को देश में गणतंत्र लागू हुआ और उससे एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई थी। भारतीय निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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निर्वाचन आयोग का कार्य क्या है?
चुनाव आयोग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश में तय समय पर निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव संपन्न कराना है। आयोग जिस दिन चुनाव की तारीखों का एलान करता है, उसी दिन से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे स्वतंत्र और पारदर्शी मतदान कराए जा सकें।इसके बाद शासन-प्रशासन, राजनीतिक दलों और नेताओं को इसका पालन करना होता है। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने पहली बार वर्ष 1971 में 5वीं लोकसभा के चुनाव के लिए आचार संहिता लागू की थी।चुनाव आयोग के प्रमुख काम
- देश में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव व उपचुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी कराना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता देना। पार्टियों को चुनाव चिह्न आवंटित करना।
- राजनीतिक दलों से संबंधित मामलों और विवादों को देखना।
- चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन कराना।
- मतदाता सूची तैयार करना और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) जारी करना।
- मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक करना।
- मतदान व मतगणना केंद्रों के लिए स्थान तय करना।
- मतदान एवं मतगणना केंद्रों में सभी प्रकार की आवश्यक व्यवस्था करना।
- राजनीतिक दलों और लिए चुनाव में आदर्श आचार संहिता लागू कराना ताकि कोई अनुचित कार्य न हो अथवा सत्ता में मौजूद दलों द्वारा पद एवं अधिकार का दुरुपयोग न किया जाए।
- चुनाव के दौरान खर्च की सीमा तय करना।
- चुनाव प्रचार, चुनाव में होने वाले खर्च, भाषण और प्रचार व्यवस्था पर नजर रखना।
- अब पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग शिकायतों के आधार पर चुनाव के दौरान जिला प्रशासन के अधिकारियों के तबादले भी करता है।
ECI के अधिकार
चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह चुनाव के दौरान पहले से जारी कानूनों का ठीक से पालन न होने पर संबंधितों पर वैधानिक कार्रवाई कर सकता है। हालांकि, संविधान में चुनाव आदर्श चुनाव आचार संहिता का जिक्र नहीं है, लेकिन निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए आयोग इसे लागू करता है। किसी तरह की गड़बड़ी होने पर आयोग मतदान रद्द भी कर सकता है। मतदान से जुड़े प्रकाशन, जनमत या एग्जिट पोल पर रोक लगा सकता है। चुनाव आयोग को सभी अधिकार संविधान से मिले हैं। संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग और उसके सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल एवं पात्रता आदि से संबंधित हैं। इनके अंतर्गत आयोग को कई विशेष अधिकार भी मिले हैं।जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी भी राज्यपाल को निर्वाचन अधिसूचना जारी करने का अधिकार दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें निर्वाचन आयोग से सलाह लेनी होगी। निर्वाचन आयोग से मिले निर्देशन के अनुरूप ही राष्ट्रपति को निर्देश जारी करना होगा।कौन करता है चुनाव आयोग का नेतृत्व?
25 जनवरी 1950 से लेकर 15 अक्टूबर 1989 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त ही इलेक्शन कमीशन का नेतृत्व करते थे। उनके साथ एक एकल सदस्यीय निकाय हुआ करता था। निर्वाचन आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 आने के बाद आयोग की संरचना में बदलाव करते हुए तीन सदस्यीय निकाय (मुख्य चुनाव आयुक्त व दो चुनाव आयुक्त) बना दिया गया। तब से अब तक यही व्यवस्था काम कर रही है। चुनाव आयोग देश भर में राज्य निर्वाचन आयोगों के माध्यम से काम करता है और चुनाव संपन्न कराता है। निर्वाचन आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है?
मुख्य चुनाव आयुक्त व निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल कितना होता है?
नियमानुसार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल छह साल या फिर वे अधिकतम अपनी उम्र के 65वें साल तक पद पर रह सकते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त 65 साल के हो चुके हैं और उनका कार्यकाल बाकी है तो उन्हें पद छोड़ना होगा।मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव आयुक्त आईएएस रैंक के अधिकारी होते हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समकक्ष दर्जा मिला होता है और उनके बराबर ही वेतन व अन्य लाभ भी मिलते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है।चुनाव आयोग का बजट व खर्च
चुनाव आयोग सचिवालय का अपना स्वतंत्र बजट होता है, जिसे आयोग और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के परामर्श के मुताबिक अंतिम रूप दिया जाता है। आमतौर पर वित्त मंत्रालय आयोग के बजट हेतु की गई सिफारिश को स्वीकार लेता है।प्रावधान के मुताबिक, लोकसभा चुनाव का खर्च केंद्र सरकार उठाती है और विधानसभा/ विधान परिषद चुनाव का खर्च राज्य सरकारें/केंद्र शासित सरकारें उठाती हैं। अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो उस स्थिति में केंद्र और संबंधित राज्य (जहां चुनाव हो रहे हैं) सरकार कुल खर्च सामान रूप से आपस में बांट लेते हैं।अब तक कौन-कौन रहा मुख्य चुनाव आयुक्त?
क्रमांक | मुख्य चुनाव आयुक्त का नाम | कार्यकाल |
1 | सुकुमार सेन | 21 Mar 1950 -19 Dec 1958 |
2 | केवीके सुंदरम | 20 Dec 1958 - 30 Sep 1967 |
3 | एसपी सेन वर्मा | 1 Oct 1967 - 30 Sep 1972 |
4 | डॉ. नगेन्द्र सिंह | 1 Oct 1972 - 6 Feb 1973 |
5 | टी. स्वामीनाथन | 7 Feb 1973 - Jun 1977 |
6 | एसएल शकधर | 18 Jun 1977 - 17 Jun 1982 |
7 | आरके त्रिवेदी | 18 Jun1982 - 31 Dec 1985 |
8 | आरवीएस शास्त्री | 1 Jan 1986 - 25 Nov 1990 |
9 | वीएस रमादेवी | 26 Nov 1990 - 11 Dec 1990 |
10 | टीएन शेषन | 12 Dec 1990 - 11 Dec1996 |
11 | डॉ. एमएस गिल | 12 Dec 1996 -13 Jun 2001 |
12 | जेएम लिंगदोह | 14 Jun 2001 - 7 Feb 2004 |
13 | टीएस कृष्णमूर्ति | 8 Feb 2004 - 15 May 2005 |
14 | बीबी टंडन | 16 May 2005 - 29 Jun 2006 |
15 | एन गोपालस्वामी | 30 Jun 2006 -20 Apr 2009 |
16 | नवीन चावला | 21 Apr 2009 - 29 Jul 2010 |
17 | शाहबुद्दीन याकूब कुरैशी | 30 Jul 2010 -10 Jun 2012 |
18 | वीएस संपत | 11 Jun 2012 - 15 Jan 2015 |
19 | एचएस ब्रह्मा | 16 Jan 2015 - 18 Apr 2015 |
20 | डॉ. नसीम जैदी | 19 Apr 2015 - 05 Jul 2017 |
21 | अचल कुमार ज्योति | 06 Jul 2017 - 22 Jan 2018 |
22 | ओम प्रकाश रावत | 23 Jan 2018 - 01 Dec 2018 |
23 | सुनील अरोड़ा | 02 Dec 2018 - 12 Apr2021 |
24 | सुशील चंद्रा | 13 Apr 2021 -14 May 2022 |
25 | राजीव कुमार | 15th May 2022 - Till Now |
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