Jammu Kashmir के किसानों का भविष्य रोशन कर रही है 'बैंगनी क्रांति', Essential Oils के बाजार को आकर्षित कर रहा भारत
देश की पारंपरिक खेती (Traditional Farming) में सुधार लाने के लिए कई क्रांतियों का व्यापक और प्रभावशाली असर रहा है जैसे कि- हरित क्रांति (Green Revolution) जो कि अनाज से जुड़ी थी और पीली क्रांति (Yellow Revolution) जिसकी शुरुआत तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए हुई थी। बता दें कश्मीर (Kashmir) में एक ऐसी क्रांति है जिसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। ये है The Purple Revolution!
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2007 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) ने अरोमा मिशन के तहत 'बैंगनी क्रांति' यानी Purple Revolution की शुरुआत की थी। आज जम्मू कश्मीर के 20 से ज्यादा जिलों में लैवेंडर (Lavender) की खेती हो रही है, जिसके कारण किसानों की आय में पहले के मुकाबले 5 गुना ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। जम्मू कश्मीर की जलवायु परिस्थितियां (Climatic Conditions) यूरोप जैसी ही हैं। शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायु (Temperate Climate) और हाई एल्टीट्यूड सॉइल है, ही इसे लैवेंडर की खेती के लिए उपयुक्त बनाती है।
इन देशों में होती है लैवेंडर की खेती
लैवेंडर या लैवेन्डुला एक सदाबहार पौधा है, जिसे इसके एसेंशियल ऑयल (Essential Oil) के लिए काफी जगहों पर उगाया जाता है। इसमें एक बेहतरीन खुशबू होती है, और सिर्फ अभी नहीं, बल्कि माना जाता है कि एंशिएंट रोमन भी अपने नहाने में इसका इस्तेमाल किया करते थे। इसे उगाने वाले देशों में Bulgaria, France और Spain का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन बता दें कि भारत भी इस प्रतिस्पर्धा में लगातार आगे बढ़ रहा है। सिर्फ 2 सालों में इंडिया ने 500 टन से ज्यादा एसेंशियल ऑयल का उत्पादन किया, जिनकी कीमत करीब 600 मिलियन होगी।
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लैवेंडर एसेंशियल ऑयल के हैं ढेरों इस्तेमाल
लैवेंडर से बने एसेंशियल ऑयल का कई तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है, जैसे- Lavender Massage Oil, Lavender Incense, Lavender Face Wash, Lavender Scrubs और Lavender Perfumes। बता दें, कि यह सिर्फ एक ब्यूटी प्रोडक्ट ही नहीं है, बल्कि यह औषधियों और दवाओं (Pharmaceutical Products) से संबंधित भी है। देखा जाए, तो लैवेंडर सभी को कुछ न कुछ जरूर देता है।
जानवर नहीं बर्बाद करते लैवेंडर की फसल
बता दें, कि कुछ प्राणी हैं जो इसका फायदा बिल्कुल भी नहीं उठा सकते हैं। जी हां, हम यहां बंदरों की बात कर रहे हैं। यह लैवेंडर के पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ये बस इसे सूंघते हैं, रिलैक्स होते हैं और चले जाते हैं। आखिर किसने सोचा था, कि किसानों की इस समस्या का हल इस तरह से निकलेगा कि कुछ ऐसा उगाएं जिसकी खुशबू कमाल ही हो।
बाजार को आकर्षित कर रहा भारत
कहना गलत नहीं होगा कि ग्लोबल एसेंशियल ऑयल के मार्केट में इंडिया ने बाजी पलट दी है। भारत के योगदान से यह बाजार आगे बढ़कर करीब 70 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का अनुमान है कि कई तरह के एसेंशियल ऑयल के उत्पादन और निर्यात में भारतीय किसान और अरोमा बिजनेस सबसे आगे होंगे।
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