अनाज पीसने के लिए हुआ था Treadmill का आविष्कार, कैदियों को किया जाता है इससे टॉर्चर, बेहद क्रूर है इसका इतिहास
घर हो या जिम फिट रहने के लिए लोग अकसर Treadmill का इस्तेमाल करते हैं। यह वर्कआउट के लिए इस्तेमाल होने वाला सबसे लोकप्रिय फिटनेस डिवाइस है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज आप जिस ट्रेडमिल को देखते हैं उसका आविष्कार कब और कैसे हुआ। अगर नहीं तो आइए आपको बताते हैं ट्रेडमिल का दिलचस्प इतिहास (history of treadmill)।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों लोग अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए कई तरीके अपना रहे हैं। डाइट से लेकर जिम में वर्कआउट (Gym Workout) तक, लोग फिट और हेल्दी रहने के लिए काफी कुछ करते हैं। बात जब भी जिम की आती है, तो ज्यादातर लोगों के मन में ट्रेडमिल (Treadmill) का ख्याल आता है। यह जिम में इस्तेमाल होने वाले सबसे लोकप्रिय फिटनेस डिवाइस में से एक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज आप जो ट्रेडमिल देखते हैं, उसका पहली बार आविष्कार कब हुआ था?
अगर नहीं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे इस उपकरण का आविष्कार कैसे और क्यों हुआ और इसे इसका नाम कैसे मिला। आइए जानते हैं ट्रेडमिल का लंबा और दिलचस्प इतिहास-यह भी पढ़ें- क्या किसी सामान या व्यक्ति को छूते ही आपको भी लगता है करंट, तो ये है इसकी वजह
मकई पीसने के लिए इस्तेमाल होता था ट्रेडमिल
ट्रेडमिल के आविष्कार का श्रेय सर विलियम क्यूबिट (1785-1861) नामक एक सिविल इंजीनियर को जाता है, जिन्होंने सन् 1818 में ट्रेडमिल बनाया था, जिसे रनिंग व्हील के रूप में भी जाना जाता है। क्यूबिट मिल श्रमिकों के परिवार में जन्मे औरप पले-बढ़े, इसलिए उन्होंने मक्का पीसने के लिए इस उपकरण का आविष्कार किया था। उस दौरान उन्होंने इसे 'ट्रेडव्हील' का नाम दिया था।
कैदियों को सजा देने के लिए ट्रेडमिल का इस्तेमाल
ट्रेडव्हील के डिजाइन को क्यूबिट ने कई अलग-अलग रूप दिए, जिसमें एक ऐसा डिजाइन भी शामिल था,जिसमें ट्रेडव्हील में दो पहिये थे, जिन पर आप चल सकते थे और उनके कोग्स आपस में जुड़े हुए थे। हालांकि, उनका सबसे लोकप्रिय डिजाइन लंदन की ब्रिक्सटन जेल में स्थापित किया गया था। इसमें एक चौड़ा पहिया शामिल था और कैदी अपने पैरों को पहिये में लगे सीढ़ीनुमा खांचे पर दबाते थे, जिससे पहिया घूमता था।ब्रिक्सटन जेल में लगा ट्रेडव्हील एक अंडरग्राउंड मशीन से जुड़ा था, जो मकई यानी कॉर्न पीसती थी। इस तरह इससे अनाज भी पीसता रहता था और कैदियों को सजा भी मिलती रहती थी। इस मशीन की मदद से एक साथ 24 कैदियों को व्यस्त रखा जाता था। उनसे गर्मियों के दौरान प्रतिदिन 10 घंटे और सर्दियों में सात घंटे कड़ी मेहनत कराई जाती थी।