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Heart Shape Origin: कहां से आया हार्ट का शेप और इंसानी दिल जैसा क्यों नहीं दिखता इसका आकार?

क्या आपने कभी सोचा है कि हम प्यार जताने के लिए दिल के आकार का इमोजी क्यों इस्तेमाल करते हैं? आखिर क्या कारण है कि ये असली दिल (Human Heart) जैसा नहीं दिखता? WhatsApp Instagram और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आप रोजाना इसका इस्तेमाल करते होंगे लेकिन आइए आज आपको बताते हैं इस हार्ट शेप (Heart Shape Origin) के पीछे की दिलचस्प कहानी।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 06 Nov 2024 08:27 AM (IST)
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History Of Heart Symbol: दिल का आकार इंसानी दिल से अलग क्यों है? आइए जानें (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि हम प्यार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए जिस हार्ट शेप का इस्तेमाल करते हैं, वो असली दिल से इतना अलग क्यों दिखता है? फेसबुक पर रिएक्ट करने से लेकर व्हाट्सएप पर प्यार जताने तक, दिल वाली इमोजी हमारी फीलिंग्स को बयां करने का सबसे आसान तरीका बन गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिल के आकार का इतिहास क्या है और इसे पहली बार किसने बनाया?

आप जानते ही होंगे कि असली हार्ट की शेप काफी अलग होती है, लेकिन क्या आपको ये पता कि फिर भी हमने दिल को इस खास आकार में क्यों ढाल दिया, जो असलियत से कोसों दूर है? आखिर क्यों दिल को इसी आकार में बनाया गया, जबकि इसे कोई और आकार भी दिया जा सकता था? आइए इस आर्टिकल में आपको ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं और हार्ट शेप के पीछे छिपी एक दिलचस्प कहानी के बारे में बताते हैं।

कैसा होता है असली दिल?

हार्ट यानी दिल शरीर के लिए सबसे खास अंगों में से एक है, एक मांसल पंप की तरह काम करता है जो हमारे पूरे शरीर में खून पहुंचाता है। यह लगभग 13 सेंटीमीटर लंबा और 9 सेंटीमीटर चौड़ा होता है और छाती के मध्य में थोड़ा सा बाईं ओर स्थित होता है। दिल हर दिन लाखों बार धड़कता है, जिससे खून पूरे शरीर में पंप होता रहता है। यह एक सुरक्षात्मक परत से ढका होता है, जिसे हृदयावरण कहते हैं। इस परत के अंदर एक विशेष तरल पदार्थ होता है जो दिल को बाहरी झटकों से बचाता है।

हमारा दिल चार चैम्बर वाला एक पंप है। इनमें से दो चैम्बर दाहिने तरफ और दो चैम्बर बाईं तरफ होते हैं। दायां हिस्सा शरीर से गंदा खून लेता है और उसे साफ करने के लिए फेफड़ों में भेजता है। फेफड़ों से साफ खून फिर दिल के बाएं हिस्से में आता है। दिल का बायां हिस्सा इस साफ खून को फिर से पूरे शरीर में भेज देता है। दिल के अंदर चार वॉल्व होते हैं जो खून को एक ही दिशा में बहने देते हैं और ये सुनिश्चित करते हैं कि गंदा खून साफ खून के साथ मिल न जाए।

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दिल का आकार कहां से आया?

आपको जानकर हैरानी होगी कि हार्ट की जो शेप आप प्यार जाहिर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, वह असल में एक पौधे के बीज से आई है। सदियों पहले एक पौधा था जिसका नाम था सिल्फियम। यह पौधा यूनान में पाया जाता था और इसके बीजों का इस्तेमाल गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता था। बता दें, प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोडोटस ने अपनी पुस्तक 'हिस्टोरिया' में इस पौधे और इसके बीजों के उपयोग का उल्लेख किया है।

सिल्फियम के बीज की शेप ही उस दिल के आकार जैसी है जिसका इस्तेमाल हम आज प्यार व्यक्त करने के लिए करते हैं। यह दिल का आकार पूरी तरह से प्राकृतिक है और मानव सभ्यता के विकास के साथ धीरे-धीरे प्यार का प्रतीक बनकर उभरा है।

प्रचलित है यह किस्सा

कई पुराने किस्सों में यह दावा किया जाता है कि प्राचीन काल में शादी से पहले युवक-युवतियों के बीच शारीरिक संबंध आम थे। ऐसी मान्यता है कि उस समय अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए कुछ विशिष्ट पौधों के बीजों का इस्तेमाल किया जाता था। इनमें से एक पौधा सिलफियम था। धीरे-धीरे, इन बीजों को प्यार का प्रतीक मान लिया गया और लोगों ने इसे विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर उकेरना शुरू कर दिया।

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