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गोल या तिकोनी नहीं, हमेशा चौकोर ही क्यों होती हैं किताबें? हैरान कर देगी इसके पीछे की वजह

चाहें ऑनलाइन पढ़ना हो या फिर ऑफलाइन किताबों की बात करें क्या आपने कभी सोचा है कि दुनियाभर में इनका आकार हमेशा चौकोर (Books Square Shape) ही क्यों होता है? आपके मन में अब यह सवाल तो आ रहा होगा कि किताबों को पढ़ना ही तो है तो इसका किसी खास शेप से क्या लेना-देना है? आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Fri, 30 Aug 2024 07:54 PM (IST)
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किताबों के चौकोर होने के पीछे छिपा है कौन-सा साइंस?
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्राचीन काल से लेकर अब तक इंसान के पढ़ने लिखने के तौर-तरीकों में काफी बदलाव आए हैं। आज डिजिटल मीडिया की दुनिया में यह और भी आसान हो गया है जब आप चलते फिरते कहीं भी एक छोटी-सी स्क्रीन पर मोटी-मोटी ढेरों किताबों को आसानी से अपने साथ रख सकते हैं। अपने आसपास कई चीजों को हम गोल या अन्य आकार में देखते हैं, लेकिन किताबों के मामले में हमेशा चौकोर शेप ही क्यों देखने को मिलती है? आइए जानें इसके पीछे की वजहों के बारे में।

पढ़ने में आसानी

चौकोर आकार किताबों को पढ़ना आसान बना देता है। जब हम बुक्स पढ़ते हैं, तो आमतौर पर इसे एक हाथ से पकड़ते हैं और दूसरे हाथ से पन्नों को पलटते हैं। किताबों की चौकोर शेप इस काम को आसान बना देती है और इसके लिए पर्याप्त जगह भी मिलती है। चौकोर किताबों को आसानी से खोला और बंद भी किया जा सकता है।

स्टोर करने की सुविधा

चौकोर किताबें स्टोर करने के लिहाज से भी सुविधाजनक होती हैं। इन्हें आसानी से एक दूसरे के ऊपर रखा जा सकता है, जिससे कम जगह में ज्यादा किताबें रखना मुमकिन हो जाता है। इसके अलावा, इसकी चौकोर शेप अलमारियों या शेल्फ में रखी किताबों को ढूंढना और निकालना आसान बना देती है।

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उत्पादन क्षमता

आमतौर पर कागज का उत्पादन चौकोर शीट्स में किया जाता है, जिससे किताबों को काटने और मोड़ने में कचरा कम होता है। इसके अलावा, चौकोर किताबों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना आसान है, जो इन्हें ज्यादा किफायती बनाता है।

ऐतिहासिक वजह

चौकोर किताबों का इस्तेमाल करने का एक और कारण ऐतिहासिक भी है। दरअसल, प्राचीन समय में, जब किताबें हाथ से लिखी जाती थीं, तो आयताकार आकार सबसे व्यावहारिक था। आयताकार कागज की शीट्स पर लिखना ज्यादा आसान था और उन्हें एक साथ जोड़ना भी मुश्किल नहीं था।

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