आखिर क्यों गलत हैं दुनिया के ज्यादातर नक्शे, वजह जानेंगे तो सोच में पड़ जाएंगे आप!
दुनिया के भूगोल को समझने के लिए हम मानचित्र (Map) का इस्तेमाल करते हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें से ज्यादातर मैप गलत हैं यानी इन्हें तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। ऐसे में अब तक आप जिस नजरिए से दुनिया को देखने-समझने की कोशिश कर रहे हैं वह भी ठीक नहीं है। आइए जानते हैं इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों (World Map Facts) के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पूरी दुनिया को देख पाना तो शायद ही किसी के लिए मुमकिन हो, लेकिन इसे समझने के लिए मानचित्र (World Map History) का इस्तेमाल सभी करते हैं। ऐसे में, अगर आपसे कहा जाए कि स्कूल टाइम से जिन मैप को आप देखते आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर गलत हैं तो आपको कैसा लगेगा? दरअसल, विश्व मानचित्र दुनिया की सही तस्वीर नहीं दिखाता है और इसमें कई देशों की आकृति (Incorrect World Maps Facts) को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
ज्यादातर नक्शे हैं गलत
एक स्टडी में यह खुलासा हो चुका है कि दुनिया के ज्यादातर मैप सटीक तो दूर की बात, बल्कि इसके करीब भी नहीं हैं। वैज्ञानिक तो यहां तक मानते हैं कि दुनिया में ऐसा कोई नक्शा नहीं है, जो सटीकता के किसी भी पैमाने पर खरा उतरता हो, जैसे- आकार, फासला, लंबाई इत्यादि, यानी मानचित्र कोई भी हो इसमें कुछ न कुछ गलतियां तो जरूर होती हैं।यह भी पढ़ें- क्या आप जानते हैं कब चली थी दुनिया की First Underground Railway, थेम्स नदी के नीचे शुरू हुआ था सफर
इस नक्शे का होता है सबसे ज्यादा इस्तेमाल
आमतौर पर दुनिया में 10 तरह के वर्ल्ड मैप मौजूद हैं, जिनमें से मर्केटर मैप का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। बता दें, इसे साल 1569 में जेरार्डस मर्केटर ने बनाया था, जिसका मकसद नाविकों को सही दिशा दिखाना होता था। हैरानी की बात है कि शुरू से ही इस नक्शे की आलोचना होती आई है। बताया जाता है कि यह जमीन के बड़े टुकड़ों का आकार दिखाता है, लेकिन ध्रुव के नजदीक जाते-जाते सटीकता बिगड़ने लगती है।
मौजूद है मर्केटर का विकल्प
इसके बाद गाल-पीटर्स दूसरा सबसे प्रचलित मानचित्र है, जिसे साल 1947 में जर्मन इतिहासविद और फिल्मकार आर्नो पीटर्स ने तैयार किया था। इसे मर्केटर के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे अन्य नक्शों के मुकाबले सबसे बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह काफी सटीक माना गया है। यही वजह है कि इसे बोस्टन स्कूल से भी मान्यता मिली हुई है, वहीं संयुक्त राष्ट्र भी इसे स्वीकार करता है। हालांकि छोटी-मोटी गलतियां तो इसमें भी मौजूद हैं।आर्थर रोबिन्सन मानचित्र
अमेरिकी मानचित्रकार आर्थर रोबिन्सन ने भी एक मानचित्र तैयार किया था, इसे साल 1963 में विकसित किया गया था और यह अपनी सटीकता के साथ-साथ सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। इसमें हर सीमा को खूबसूरती से साथ उकेरा गया है। ऐसे ही, जापानी वास्तुकार हाजीम नारुकावा ने साल 1999 में ऑथाग्राफ मानचित्र तैयार किया था, जिसमें गोलाकार सतह को 96 त्रिकोणों में विभाजित किया था। इसे भी सभी नक्शों में सबसे सटीक माना जाता है।