Women’s Day 2024: महिलाओं को समाज में सम्मान, सुरक्षा और समानता दिलाते हैं भारत के ये कानून
महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और समाज में बराबरी दिलाने के मकसद से हर साल 8 मार्च को Women’s Day मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन पूरी तरह से महिलाओं को समर्पित है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे भारत में महिलाओं को मिले कुछ कानूनों के बारे में-
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Women’s Day 2024: दुनियाभर में महिलाओं को आगे बढ़ाने के मकसद से कई कदम उठाए जा रहे हैं। खासकर भारत में बीते कुछ समय से लगातार महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। यही वजह है कि वर्तमान में महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। हालांकि, आज भी कई जगहों पर महिलाओं को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज भी महिलाओं को बराबरी और अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है।
महिलाओं के अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के मकसद से ही हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। ऐसे में वीमेंस डे के मौके पर आज हम आपको बताएंगे भारत में महिलाओं को मिले कुछ ऐसे कानून के बारे में, जो उन्हें समाज में सिर उठाकर जीने में मदद करते हैं। इन कानूनों के बारे में विस्तार से जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा से बातचीत की।यह भी पढ़ें- वर्किंग वुमन्स के लिए ऐसे बनाएं ऑफिस का माहौल सुरक्षित और खुशनुमा
पॉक्सो एक्ट कानून
प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट यानी पॉक्सो बच्चों के लिए कानून बनाए गए हैं। वकील शशांक शेखर झा बताते हैं कि यह कानून बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। साल 2012 में आए इस कानून के तहत बच्चों के साथ होने वाला यौन शोषण एक अपराध है। यह कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों के लिए समान है।
मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1861
भारत में महिलाओं को मैटरनिटी लीव का अधिकार प्राप्त है। इस अधिनियम के तहत हर कामकाजी महिला को छह महीने के लिए मैटरनिटी लीव मिलती है। इन छुट्टियों के दौरान महिलाओं को पूरी सैलरी दी जाती है। खास बात यह है कि हर सरकारी और गैर सरकारी कंपनी पर यह कानून लागू होता है। साल 1961 में जब यह कानून आया था, तब सिर्फ 3 महीने की छुट्टी दी जाती थी, लेकिन साल 2017 में इसकी अवधि बढ़ाकर6 महीने कर दी गई।