क्षमा शर्मा। बहुत समय से एक नामचीन नायक-नायिका के तलाक की खबरें इंटरनेट मीडिया पर छाई हुई हैं। लोग दावा कर रहे हैं कि बस ऐसा होने ही वाला है। सच क्या है, कहा नहीं जा सकता, लेकिन ग्रे डाइवोर्स यानी कि विवाह के दशकों बाद पति-पत्नी का अलग हो जाना, इन दिनों बेहद चलन में है। महिलाएं कह रही हैं कि एक खराब रिश्ते में जीवन बिताने से अच्छा है कि जब मौका मिले, अलग हो जाएं। इस लेखिका ने कई स्त्रियों को खुद देखा है। कई साल पहले यह लेखिका जिस संस्थान में काम करती थी, वहां एक महिला आई। उसे काम चाहिए था। उसकी उम्र उस समय 50 वर्ष रही होगी। उसका कहना था कि पति बहुत तंग करते हैं। सुबह शाम मार-पीट, हर रात शराब पीकर आना है। वह महिला उच्च शिक्षित भी थी, लेकिन नौकरी नहीं करती थी। वह सब कुछ इतने साल इसलिए सहन करती रही कि अपने बेटे के बड़े होने का इंतजार कर रही थी।

अब वह अपने पांवों पर खड़ा होना चाहती थी। उसी समय के आसपास एक वरिष्ठ महिला पत्रकार ने अपने बहुत मशहूर पति से अलग होने पर पार्टी दी थी और अपनी आजादी का जश्न मनाया। यह कोई नई-अनोखी बात नहीं कि अब तलाक की भी पार्टी होने लगी हैं। लोग उसका जश्न मनाने लगे हैं। ग्रे डाइवोर्स का अर्थ बताया जाता है कि जब पति-पत्नी 50 की उम्र के बाद अलग हों यानी जब बालों में सफेदी छाने लगे। हालांकि जो लोग ऐसा करते हैं, उनकी राह भी आसान नहीं होती। बहुत बार जमीन-जायदाद का फैसला करना मुश्किल हो जाता है, जो संयुक्त होती है या बैंक खाते संयुक्त होते हैं। इसके अलावा बड़े बच्चे भी माता-पिता के इस तरह से अलग होने को सह नहीं पाते। कई बार बच्चे माता-पिता को इसके लिए प्रेरित भी करते हैं। एक लड़के ने जीवन भर अपनी मां को पिता के हाथों प्रताड़ित होते देखा। बड़े होने पर उसने मां से कहा कि इतना अपमान सहने से बेहतर है कि वे दोनों अलग हो जाएं। फिल्मी दुनिया में भी जहां अक्सर पति-पत्नी एक खुशहाल परिवार की तस्वीर पेश करते हैं, वहां भी ऐसा हो रहा है। इसमें फरहान अख्तर-अधुना भबानी, अरबाज खान-मलाइका अरोड़ा, ईशा देओल-भरत तख्तानी, सोनम खान-राजीव राय, किरण राव-आमिर खान, रितिक रोशन-सुजैन खान, अर्जुन रामपाल-मेहर जेसिया जैसे जोड़े शामिल हैं। इन सबके बड़े-बड़े बच्चे भी हैं।

किरण राव ने कुछ दिनों पहले साक्षात्कार में कहा था कि आमिर से उनके संबंध बहुत मधुर हैं। तलाक ने उन्हें आजादी दी है। वह खुद के महत्व को पहचानना चाहती थीं। अपने तलाक पर अर्जुन रामपाल ने इससे बिल्कुल अलग बात की। उन्होंने कहा था कि तलाक बहुत आसान नहीं होता। यह आपके अकेलेपन को बढ़ाता है। जितने भी फिल्मी जोड़े एक-दूसरे से अलग हुए हैं, वे अपने पूर्व साथी के बारे में अच्छी बातें करते हुए यह भी कहते हैं कि वे दोनों सबसे अच्छे दोस्त हैं। फिल्मकार अनुराग कश्यप जब कल्कि कोचलीन से अलग हुए तो कुछ दिन बाद उन्होंने कहा था कि जब वे दोनों साथ थे, तो हमेशा लड़ते रहते थे, मगर अब दोनों में खूब मित्रता है। कश्यप इससे पहले भी अपनी पत्नी से अलग हो चुके थे। बहरहाल, ये जोड़े यह भी कहते हैं कि जिस साथी से अलग हुए, वह बहुत अच्छा इंसान है। क्या यह सोचकर आश्चर्य नहीं होता कि यदि कोई इतना अच्छा इंसान और मित्र है, तो फिर अलग क्यों होना पड़ा? शायद इसका जवाब किसी के पास नहीं होता।

प्यू रिसर्च ने अमेरिका में ग्रे डाइवोर्स पर एक अध्ययन किया। इसमें बताया गया कि पिछले दो दशकों में तलाक के सारे मामलों में 40 प्रतिशत मामले ऐसे थे, जिनमें 50 और उससे ऊपर के जोड़े शामिल थे। 1990 के बाद इनकी संख्या दोगुनी हो गई और अब जो लोग 65 से ऊपर हैं, उनकी संख्या तिगुनी हो गई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब तक लोग अपने बच्चों को पालते हैं, तब तक वे किसी तरह साथ रह लेते हैं, मगर जैसे ही बच्चे बड़े होते हैं, उनका अपना घर और परिवार होता है, तो पति-पत्नी को लगता है कि अब उन्हें एक-दूसरे की जरूरत नहीं रही। इसके अलावा अपने देश में स्त्रियों के प्रति जो हिंसा है, उसे शायद वह बच्चों के कारण झेलती रहती हैं, लेकिन आज की स्त्रियां पांच दशक पहले की स्त्रियां नहीं हैं, जो किसी भी बुरे संबंध को समाज के डर से निभा लेती थीं। आज वे पहले की तरह से अपने पति पर निर्भर नहीं हैं। निर्णय लेने की उनकी क्षमता बढ़ी है। इसलिए वे भी तलाक की पहल करती हैं और बुरे रिश्ते से आजादी चाहती हैं, लेकिन यह बात भी सच है कि बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता है। मेरे दफ्तर आई उसी महिला के लड़के ने एक बार कहा था कि आप ही बताइए, मैं किधर जाऊं। मुझे तो अपने माता-पिता दोनों से प्यार है। मैं एक से मिलने जाता हूं तो दूसरा बुरा मानता है।

हालांकि इस मामले में फिल्मी दुनिया के लोग अक्सर अपने बच्चों पर इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगाते। जब वे अलग होते हैं तो कहते हैं कि अपने बच्चों के लिए वे दोनों हमेशा, हर स्थिति में मौजूद रहेंगे, लेकिन आम लोगों की दुनिया में ऐसा नहीं हो पाता। कड़वाहट इतनी ज्यादा होती है कि वे एक-दूसरे की शक्ल भी नहीं देखना चाहते। यह भी देखा गया है कि बहुत से जोड़े अलग होने के बाद फिर से साथ रहने लगते हैं। इसके पीछे यह सच भी है कि जीवन के चौथेपन में आपको साथी और साहचर्य भाव की जरूरत सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि बच्चे अपनी-अपनी राह चले गए होते हैं। शायद इसीलिए कुछ लोग वापस लौटकर अपना जीवन फिर से शुरू करते हैं।

(लेखिका साहित्यकार हैं)