संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुंबई हमले के गुनहगारों को शरण देने वाले पाकिस्तान को भारत की खरी-खरी
उनकी शांति की कथित कामना का जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधि ने यह कहकर पाकिस्तान की पोल खोलने के साथ उसे शर्मसार भी किया कि आखिर शांति की बात करने वाला कोई देश मुंबई हमले के गुनहगारों को शरण कैसे दे सकता है?
पाकिस्तान की जैसी हैसियत है और उसने अपने कर्मों से जिस तरह खुद को दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया है, उसे देखते हुए भारत के लिए यही उचित है कि वह उसकी अनदेखी-उपेक्षा करना जारी रखे, लेकिन कभी-कभी उसे बेनकाब भी करता रहे। ऐसे समय विशेष रूप से, जब वह किसी अंतरराष्ट्रीय मंच से शांति का राग अलापे।
बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह कहा था कि वह अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांति चाहते हैं और भारत को यह समझना चाहिए कि केवल शांतिपूर्ण संवाद ही समस्याओं का समाधान है। इस अवसर पर वह कश्मीर का भी जिक्र करना नहीं भूले थे।
उनकी शांति की कथित कामना का जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधि ने यह कहकर पाकिस्तान की पोल खोलने के साथ उसे शर्मसार भी किया कि आखिर शांति की बात करने वाला कोई देश मुंबई हमले के गुनहगारों को शरण कैसे दे सकता है?
यह प्रश्न करने के साथ ही भारतीय राजनयिक ने पाकिस्तान में हिंदू, सिख एवं ईसाई परिवारों की लड़कियों के अपहरण और फिर उनके जबरन मतांतरण तथा निकाह का भी उल्लेख किया। इस सबके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि शांति तभी संभव है, जब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगाएगा।
वैसे तो संयुक्त राष्ट्र के मंच से यह सब कहना पाकिस्तान को शर्मिंदा करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए, लेकिन वह इतना ढीठ हो गया है कि इसकी आशा नहीं की जा सकती कि उसे यह समझ आएगा कि उसकी कथनी और करनी में अंतर से विश्व समुदाय अवगत हो चुका है। पाकिस्तान के सुधरने की आशा इसलिए नहीं, क्योंकि किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों को समर्थन देने के मामले में अनगिनत बार बेनकाब होने के बावजूद वह झेंपने से भी इन्कार करता है।
पाकिस्तान न केवल दीवालिया होने की कगार पर है, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता से भी बुरी तरह ग्रस्त है, लेकिन वह दिखावा ऐसे करता है, जैसे दक्षिण एशिया की बड़ी ताकत हो। सच यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं बची। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि वह चीन का उपनिवेश बनने पर आमादा है। पाकिस्तान यह समझने को तैयार नहीं कि वह विश्व समुदाय के लिए एक बोझ-एक सिरदर्द बनकर रह गया है।
वह परमाणु हथियारों से लैस एक ऐसा देश है, जो अंतरराष्ट्रीय नियम-कानूनों को धता बताने और अपने मददगार देशों को भी धोखा देने के लिए कुख्यात हो चुका है। इसी कारण वह एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आ पा रहा है। उसकी दुर्गति का एक बड़ा कारण भारत को नीचा दिखाना और छल-बल से कश्मीर हथियाने का मुगालता पालना है। इसी मुगालते ने उसे एक मनोरोगी जैसा बना दिया है। ऐसे में भारत को पाकिस्तान पर भरोसा न करने और साथ ही उसे कोई महत्व न देने की अपनी मौजूदा नीति पर कायम रहना चाहिए।