अयोध्या में आकार ले रहे राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का समय जैसे-जैसे निकट आ रहा है, वैसे-वैसे इस आयोजन से दूरी बनाने वाले तरह-तरह के बहाने की तलाश करते दिख रहे हैं। कुछ बहाने इसलिए तलाश रहे हैं ताकि इस समारोह में अनुपस्थित रहने का औचित्य सही साबित कर सकें तो कुछ यह प्रचारित करने के लिए कि भाजपा ने इस आयोजन को एक राजनीतिक कार्यक्रम में परिवर्तित कर दिया है।

ऐसे लोग उन धर्माचार्यों की भी आड़ ले रहे हैं, जो प्राण प्रतिष्ठा समारोह के विधि-विधान को लेकर प्रश्न खड़े कर रहे हैं। ऐसा करके वे अपनी खीझ ही निकाल रहे हैं। ऐसे लोगों का एक प्रश्न यह है कि आखिर जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रहा है, तब फिर उसका श्रेय भाजपा या फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैसे ले सकते हैं? यह प्रश्न खड़ा करने वाले इसकी जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं कि यदि भाजपा केंद्र की सत्ता में नहीं होती और अयोध्या मामले में शीघ्र निर्णय देने की आवश्यकता रेखांकित नहीं करती तो संभवतः सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने में और अधिक देर होती।

एक तथ्य यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जितनी जल्दी संभव हो, शुरू हो। उसकी प्रतिबद्धता का पता इससे चलता है कि कोविड प्रतिबंधों के बावजूद प्रधानमंत्री ने अयोध्या जाकर राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया।

प्रधानमंत्री ने इसमें अतिरिक्त रुचि ली कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना शीघ्र साकार हो। यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपने प्रधान सचिव रहे नृपेन्द्र मिश्र को राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाने की पहल की। इसी तरह उन्होंने न केवल राम मंदिर निर्माण समिति को इसके लिए प्रेरित किया कि यह मंदिर समावेशी स्वरूप में निर्मित हो, बल्कि अयोध्या के चहुंमुखी विकास पर भी बल दिया।

इसी का परिणाम है कि जहां राम मंदिर के साथ वाल्मीकि, शबरी, निषादराज आदि की स्मृति में भी मंदिर निर्मित हो रहे हैं, वहीं अयोध्या में हवाईअड्डे, रेलवे स्टेशन आदि का भी निर्माण किया गया है। अयोध्या के विकास में केंद्र सरकार के साथ उत्तर प्रदेश सरकार भी जिस तरह प्रयत्न कर रही है, उससे यह स्पष्ट है कि राम की यह नगरी सबसे प्रमुख तीर्थस्थल बनने जा रही है।

विपक्षी दल कुछ भी कहें, वह राम मंदिर निर्माण का श्रेय भाजपा या फिर प्रधानमंत्री मोदी से नहीं ले सकते। नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय केवल प्रधानमंत्री के रूप में ही नहीं दिया। यह ध्यान रहे कि वह राम मंदिर निर्माण की अलख जगाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी की ओर से निकाली गई रथयात्रा के सारथी के तौर पर जाने जाते थे। इस सबसे राम मंदिर निर्माण के प्रति उनके समर्पण का ही परिचय मिलता है।