Harnaut Election 2020: हरनौत में जीत का अंतर तो घटा पर सीट जदयू के कब्जे में रही, इस बार 51 फीसद मतदान
Harnaut Election News 2020 हरनौत विधानसभा क्षेत्र में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैतृक गांव है। यहां से खुद नीतीश कुमार भी विधायक चुने जा चुके हैं। यहां जदयू पिछले कई चुनावों से लगातार जीत दर्ज करती आ रहा है।
By Shubh NpathakEdited By: Updated: Tue, 03 Nov 2020 08:57 PM (IST)
जेएनएन, बिहारशरीफ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैतृक गांव कल्याणबीघा हरनौत विधानसभा क्षेत्र में ही है। इस कारण यहां के चुनाव परिणाम पर पूरे देश की निगाह रहती है। इस विधानसभा क्षेत्र से कभी नीतीश कुमार खुद चुनाव जीत चुके हैं। वह भी बिना चुनाव प्रचार किए। आज उस वक्त की परिस्थितियां नहीं रह गई हैं। परिसीमन के बाद क्षेत्र का भूगोल बदल गया है। 2010 के विधानसभा चुनाव में हरनौत विधानसभा क्षेत्र पहली बार अस्तित्व में आया। इसके पहले ज्यादातर इलाका चंडी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था। इस बार यहां 50.65 फीसद मतदान दर्ज किया गया है।
जदयू को लगातार मिलती रही जीतइस सीट से जदयू के टिकट पर हरिनारायण सिंह लगातार जीतते आ रहे हैं, परंतु पहले जैसी एकतरफा लड़ाई नहीं रह गई है। बीते तीन चुनावों से निकटतम प्रतिद्वंद्वी के चेहरे बदल गए और हार-जीत का अंतर भी कम हो गया है। इस चुनाव में लगातार तीन चुनाव से लोजपा के टिकट पर जदयू प्रत्याशी को चुनौती देते आ रहे अरुण बिंद मैदान में नहीं हैं। अलबत्ता, उन्हीं की पार्टी लोजपा के टिकट पर जद यू की बागी प्रत्याशी हरिनारायण सिंह ताल ठोंक रही हैं। कांग्रेस ने अनजान चेहरे कुंदन कुमार पर दांव खेलकर स्थिति कमजोर कर ली है। आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि महागठबंधन के आधार वोट लोजपा को शिफ्ट हो जाएं। ऐसे में जदयू से फिर लोजपा ही सीधी लड़ाई में आ जाएगी। इस सीट से कुल 25 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
प्रमुख प्रत्याशी1. हरिनारायण सिंह - जदयू
2. ममता देवी - लोजपा3. कुंदन कुमार - कांग्रेसप्रमुख तथ्यकुल मतदाता : 3,07,434पुरुष : 1,61,884महिला : 1,45,542ट्रांसजेंडर : 8मतदान केंद्र : 330
सहायक मतदान केंद्र : 117प्रमुख मुद्दे1 : जलजमाव - हरनौत में जलजमाव की समस्या विकराल हो चुकी है। नालियों का गंदा पानी गलियों में बहता है। हरनौत में कोई भी ऐसा मोहल्ला, कार्यालय या संस्थान नहीं है, जो जलजमाव से अछूता है। यहां के गलियों में कीचड़ बजबजाने से आने-जाने में परेशानी होती है। लेकिन पिछले 15 सालों में इसका निदान नहीं किया जा सका। विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बना अनशन तक किया। फिर भी घरेलू गंदे पानी के निकास के उपाय नहीं किए गए। पिछले साल लोक सभा चुनाव के समय भी यह मुद्दा उछला था। साल भर बीतने पर भी इस मुद्दे पर कोई कार्य आगे नहीं बढ़ा।
2 : खेत तक बिजली - खेतों में बिजली के बेतरतीब तार जिंदगियां लील रहे हैं। किसान, राहगीर एवं घसियारे की जान जा रही है। ऐसा इसलिए हो रहा कि सभी किसानों के नलकूप पर बिजली के पोल तार नहीं पहुंचे हैं। जिन किसानों के बोरवेल पर बिजली नहीं पहुंची, वे स्वयं इसकी लुंज- पुंज व्यवस्था कर रहे हैं, जो काफी जोखिम भरा साबित हो रहा है। आए दिन खेतों में करंट से मौत के मामले बढ़ रहे हैं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय विद्युत परियोजना के तहत सभी किसानों के सभी नलकूपों पर बिजली पहुंचानी थी। इस कार्य के लिए एल एंड टी कंपनी को जिम्मेदार बनाया गया था। साल 2016 में कंपनी ने काम शुरू किया। परियोजना पर 200 करोड़ से अधिक रुपये खर्च हुए, लेकिन बिजली का कनेक्शन उन्हीं किसानों को मिला, जिन्होंने बिजली विभाग द्वारा आयोजित कैंप में कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था। शेष किसानों स्वयं से तार खींच मोटर पंप चलाने को विवश हैं। दूसरे फेज में पद्मावती नामक कंपनी ने भी यहां इस क्षेत्र का काम लिया। फिर भी अधूरा ही रह गया। तीसरे फेज का कार्य पोली कैप नामक कंपनी को मिला है। इस कंपनी को 107 करोड़ रुपये खर्च कर सभी नलकूपों तक बिजली पहुंचानी है।
3 : अतिक्रमण - अतिक्रमण एवं सरकारी जमीन कब्जाने की होड़ चंडी बाजार में मची है। जिसे जहां बन रहा है सड़क और नदी नाले पर कब्जा जमा रहे हैं। इससे आवागमन प्रभावित हुआ है। इस समस्या को लेकर लोग परेशान हैं। यह भी चुनावी मुद्दा बना है। लोग इसको लेकर सरकार की कमजोर इच्छा शक्ति को जिम्मेदार मानते हैं। चंडी निवासी डॉ. रामबृक्ष प्रसाद कहते हैं कि चंडी पुल पर दोनों किनारे के रास्ते अतिक्रमण कारियों ने अवरुद्ध कर रखे हैं। इसे पार करना जोखिम भरा है।
4 : सब्जी उत्पादकों के लिए बाजार - नगरनौसा प्रखंड के प्रेमन बिगहा, गढिय़ा पर एवं उस्मानपुर में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है। कद्दू, बैगन एवं टमाटर प्रमुखता से उगाई जाती है। लेकिन मार्केङ्क्षटग की उचित व्यवस्था एवं प्रोसेङ्क्षसग यूनिट की स्थापना नहीं होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सब्जियों को जिले से बाहर भेजने या फिर खेतों में ही सडऩे के लिए छोड़ देने की विवशता होती है। जब टमाटर और कद्दू के भाव गिरते हैं तो किसान उसे खेत में ही छोडऩा लाभकारी मानते हैं। कारण की कुल बिक्री मूल्य से अधिक मजदूरी पर ही खर्च हो जाता है। किसान कहते हैं कि यदि सब्जियों के उचित भंडारण एवं मार्केङ्क्षटग की व्यवस्था होती तो नुकसान नहीं होता। टमाटर और कद्दू की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होती तो सॉस, जूस आदि की पैकेजिंग कर मार्केटिंग की जाती। नगरनौसा प्रखंड के लक्ष्मी बिगहा निवासी किसान विजय कुमार कहते हैं कि सब्जी और बागवानी कृषि में नुकसान हो रहा है। किसानों की समस्या का हल नहीं निकाला जा रहा है।
5 : जल-जीवन-हरियाली में अनियमितता - जल-जीवन-हरियाली योजना के कार्यान्वयन में घोर अनियमितता लोगों को चिढ़ा रही है। कहीं-कहीं यह ग्रामीणों के बीच विवाद का कारण बन गया है। चंडी प्रखंड के रुखाई एवं नवादा गांव में इस योजना को लेकर विवाद बना है। ढकनिया, बदरवाली एवं महमदपुर में भी विवाद हुए। अन्य गांवों की भी यही स्थिति है। इससे लोगों में नाराजगी है। यशवंतपुर निवासी सत्येंद्र कुमार कहते हैं कि सरकारी खजाने का दुरुपयोग इस योजना में किया जा रहा है। आहर-पईन वास्तविक आकार में नहीं साफ किए गए। अधिकारियों के मेल से ठेकेदार सिर्फ खानापूरी कर निकल लिए।
वर्ष - कौन जीता - कौन हारा2015 - हरिनारायण सिंह, जद यू - अरुण बिंद, लोजपा2010 - हरिनारायण सिंह, जदयू - अरुण बिंद, लोजपा