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Madhuban Election 2020: मधुबन विधानसभा सीट पर आरपार की लड़ाई, तीसरा कोण बिगाड़ सकता खेल

Madhuban Election News 2020 मधुबन से राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह भाजपा से इस बार भी प्रत्याशी हैं। उनके सामने महागठबंधन में राजद से मदन साह हैं। वहीं यहां के पूर्व विधायक शिवजी राय भी इस बार जाप के टिकट पर मैदान में उतर आए।

By Murari KumarEdited By: Updated: Tue, 03 Nov 2020 07:53 PM (IST)
मधुबन विधानसभा सीट से मैदान में प्रमुख उम्मीदवार
पूर्वी चंपारण, जेएनएन। पूर्वी चंपारण जिले का मधुबन विधानसभा क्षेत्र शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां इस बार कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। क्षत्रिय बाहुल्यता के कारण इसे चंपारण का चितौडग़ढ़ भी कहा जाता है। यहां से राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह भाजपा से इस बार भी प्रत्याशी हैं। उनके सामने महागठबंधन में राजद से मदन साह पहली बार चुनावी मैदान में आकर चुनौती पेश कर रहे हैं। वहीं यहां के पूर्व विधायक शिवजी राय भी इस बार जाप के टिकट पर मैदान में उतर आए हैंं। वहीं तीसरा कोण खेल बिगाडऩे की कोशिश में था । इस सीट पर पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो दो बार जेडीयू और एक बार भाजपा का कब्जा रहा है। 2015 के चुनाव में जब भाजपा और जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तब भी इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा था। यहां 61 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।

2020 के प्रमुख प्रत्याशी

एनडीए : राणा रंधीर सिंह (भाजपा)

महागठबंधन : मदन साह (राजद)

पीडीए : शिवजी राय (जाप)

2015  के विजेता, उपविजेता और मिले मत

1. राणा रंधीर सिंह (भाजपा) : 61,054

2. शिवजी राय (जदयू) : 44, 832

2010 विजेता, उपविजेता और मिले मत

शिवजी राय (जदयू) : 40,478

राणा रंधीर सिंह (राजद) : 30,356

कुल वोटर : 2,57,847

पुरुष वोटर : 1,36,405

महिला वोटर : 121421

ट्रांसजेंडर वोटर : 21

जीत का गणित 

इस सीट पर सबसे अधिक राजपूत जाति के लोग काबिज रहे। वहींं तीन बार यह सीट यादवों के कब्जे में रही। सबसे अधिक यहां लगातार तीन बार सीताराम सिंह जीते। वे 1985 से 95 तक लगातार जीतते रहे। इस दौरान वे राज्य सरकार में मंत्री भी बनते रहे। उन्होंने परिवहन, खनन व भूतत्व मंत्रालय तक संभाला। इसके बाद वे शिवहर के सांसद चुने गए और इस सीट से अपने पुत्र राणा रंधीर सिंह को खड़ा कर दिया। इसके पहले 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी के महेंद्र राय को हराकर कांग्रेस के रूपलाल राय विधायक बने। फिर 1980 में कांग्रेस के ब्रजकिशोर सिंह विधायक चुने गए। 1985 में जनता पार्टी के सीताराम सिंह ने कांग्रेस के रामनंदन सिंह को हराया। 1990 और 1995 में जनता दल के सीताराम सिंह विधायक चुने गए। साल 2000 में राजद के सीताराम सिंह ने समता पार्टी के राजेश कुमार रोशन को हराया। 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में राजद के राणा रंधीर सिंह विधायक बने तो 2005 के अक्टूबर और साल 2010 में जदयू के शिवजी राम विधायक बनें। जबकि, साल 2015 में बीजेपी की टिकट पर राणा रंधीर सिंह एक बार फिर से विधायक बने। इसका मतलब साफ है कि यहां जीत की स्थिति सिर्फ जातीय समीकरण ही तय करता है।

प्रमुख मुद्दे 

1. पकड़ीदयाल से ढाका व पकड़ीदयाल से शेखपुरवा जाने वाली सड़क की दयनीय हालत।

2. बाढ़ कटाव से बचाव का उचित प्रबंध नहीं।

3. स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढीकरण जरूरी।