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Chhattisgarh Polls: गरीबों के घरों को वोटों का ठिकाना बनाने की सियासत, केंद्र और राज्य सरकारें अपनी-अपनी योजना पर दे रहीं जोर

छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा। इससे पहले किसानों की कर्जमाफी भूमिहीनों को पैसा सस्ता सिलेंडर गरीबों को घर पुरानी पेंशन स्कीम धान खरीद के लिए रिकॉर्ड तोड़ भुगतान कर्मचारियों के लिए डीए की अतिरिक्त किस्त..छत्तीसगढ़ की चुनावी बिसात इन और इन जैसे तमाम वादों की जमीन पर बिछी है। केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को अपनी-अपनी योजनाएं गिना रही हैं।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 10 Nov 2023 08:17 PM (IST)
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छ्त्तीसगढ़ में दूसरे चरण के मतदान से पहले केंद्र और राज्य सरकारें चुनाव प्रचार में कड़ी मेहनत कर रही है।
मनीष तिवारी, रायपुर। किसानों की कर्जमाफी, भूमिहीनों को पैसा, सस्ता सिलेंडर, गरीबों को घर, पुरानी पेंशन स्कीम, धान खरीद के लिए रिकार्ड तोड़ भुगतान, कर्मचारियों के लिए डीए की अतिरिक्त किस्त..छत्तीसगढ़ की चुनावी बिसात इन और इन जैसे तमाम वादों की जमीन पर बिछी है।

दूसरे चरण के मतदान से पहले तैयारी हुई तेज

17 नवंबर को राज्य में दूसरे और अंतिम चरण में 70 सीटों पर मतदान से पहले रायपुर शहर और आसपास के वोटर इनकी गिनती कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे ज्यादातर वादों में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर उनकी सरकार को चुनौती दे रही भाजपा की स्थिति एक जैसी है।

ये वादे छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का भार ढाल सकते हैं, यह पैसा कहां से आएगा, इसकी कोई जानकारी नहीं है। रायपुर में कैब चलाने वाले निकुंज दास का परिवार वर्षों पहले बंगाल से आया था। दास उन लोगों में शामिल हैं जो बघेल सरकार की ओर से इसी साल कराए गए एक आर्थिक सर्वेक्षण में गरीब पाए गए हैं।

बघेल सरकार का लोगों को घर देने का वादा

बघेल सरकार ने ऐसे सभी लोगों को अपने दम पर घर देने का वादा किया है। हाल में चुनाव प्रचार के दौरान जब पीएम आवास योजना को लेकर भाजपा और कांग्रेस में वाकयुद्ध छिड़ा तो गरीबों को घर देने का मसला फिर से सतह पर आ गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद अपने स्तर पर 17.5 लाख घर देने का वादा किया है। हालांकि, निकुंज दास को यह भरोसा नहीं है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में घर बने भी हैं और अगर बने भी हैं तो लोगों को मिले भी हैं।

उनका कहना है कि मैं अब तक दस बार आवेदन कर चुका हूं, लेकिन मुझे कभी घर नहीं मिला। हाल में छत्तीसगढ़ की चुनावी राजनीति में भ्रष्टाचार का मसला गहरा जाने के बाद निकुंज दास की उम्मीद टूट भी चुकी है। उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि पीएम आवास योजना को लेकर केंद्र सरकार की यह बात सही है कि छत्तीसगढ़ सरकार की लापरवाही के कारण उसे 1200 करोड़ रुपये की धनराशि वापस लेनी पड़ी या बघेल सरकार का यह आरोप कि केंद्र की नीयत ही पैसे देने की नहीं है।

2017 में 17 लाख लोगों को थी आवास की जरूरत

वास्तव में 2011 की जनगणना और उसके बाद 2015 में रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 17 लाख आवासहीन लोगों को घरों की जरूरत आंकी गई। बघेल सरकार का दावा है कि पिछले साढ़े चार साल में 13.5 लाख आवास चुके हैं, लेकिन स्थिति यह है कि अभी भी खुद सीएम को भाजपाई हमले का जवाव देने के लिए 17 लाख और मकान बनाने की घोषणा करनी पड़ी।

ताजा अनुमान है कि इतनी बड़ी संख्या से भी बात नहीं बनेगी। अगर 35 लाख किसानों को अलग कर दिया जाए तो यह लाभार्थियों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। अगर बीस लाख घरों की बात होगी तो इससे औसतन एक करोड़ लोग प्रभावित होंगे। यह बड़ी संख्या है जो सीधी लड़ाई में किसी भी तरफ असरदार हो सकती है।

दोनों सरकारें कर रहीं पुरजोर मेहनत

बघेल सरकार ने हाल में मुख्यमंत्री आवास न्याय योजना के तहत लगभग 25 हजार लाभार्थियों को घर की पहली किस्त दी है। कांग्रेस नेता सतीश शुक्ला कहते हैं कि हम अपने संसाधनों से सभी को घर देंगे। पैसे का इंतजाम हो जाएगा। केंद्र सरकार पर हमारे 50 हजार करोड़ से ज्यादा बकाया हैं। उनकी दलील यह भी है कि जब पीएम आवास योजना शहरी में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को पुरस्कृत किया है तो हमारा प्रदर्शन खराब कैसे है।

दूसरी ओर भाजपा के नेता पीएम आवास योजनाओं जैसे केंद्रीय कार्यक्रमों की सफलता के लिए डबल इंजन सरकार का महत्व समझा रहे हैं। अब जब खुद पीएम ने राज्य के सभी गरीबों को घर उपलब्ध कराने का वादा कर दिया है तो भाजपा नेता और समर्थक लोगों को यह समझाने में लग गए हैं कि जिसका शिलान्यास, उसका उद्घाटन केवल भाजपा सरकारों में संभव है।

भाजपा के नेता यह भी कह रहे हैं कि जो राज्य सरकार अपने हिस्से का पैसा नहीं दे पा रही है वह अकेले घर कैसे बना सकती है। कुल मिलाकर बघेल सरकार ने भूमिहीनों को उनके हक से वंचित किया है।