CG Election 2023: चुनाव में नए चेहरों पर दांव, BJP ने 51 तो कांग्रेस ने 32 फिसदी को दिया टिकट
छत्तीसगढ़ विधानसभा 2023 के चुनावी रण में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस बार नए चेहरों को टिकट देने पर ज्यादा जोर दिया है लेकिन जहां तक भरोसे की बात है तो भाजपा ने ऐसे चेहरों पर कांग्रेस की तुलना में इस बार ज्यादा भरोसा जताया है। भाजपा ने अब तक घोषित कुल 86 विधानसभा सीटों में जहां 44 नए चेहरों को उतारा है।
By Shubham SharmaEdited By: Shubham SharmaUpdated: Fri, 20 Oct 2023 05:30 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा 2023 के चुनावी रण में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस बार नए चेहरों को टिकट देने पर ज्यादा जोर दिया है, लेकिन जहां तक भरोसे की बात है तो भाजपा ने ऐसे चेहरों पर कांग्रेस की तुलना में इस बार ज्यादा भरोसा जताया है। भाजपा ने अब तक घोषित कुल 86 विधानसभा सीटों में जहां 44 नए चेहरों को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने अब तक घोषित 83 सीटों में से केवल 27 पर ही नए चेहरों को मौका दिया है।
12 में से 8 नए उम्मीदवार
यानी भाजपा ने जहां 51 प्रतिशत नए चेहरों को तवज्जो दी है, इसके मुकाबले कांग्रेस ने 32 प्रतिशत को ही चुनाव मैदान में उतारा है। ये वे प्रत्याशी हैं जो कि पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा की तरफ से जारी प्रत्याशियों की सूची में बस्तर संभाग की 12 सीटों में से 8 उम्मीदवार नए चेहरे हैं। जबकि बाकी बची 4 सीटों पर पुराने हार चुके प्रत्याशियों को ही दोबारा मौका दिया गया है।
जहां तक विधायकों का टिकट कटने की बात है तो भाजपा ने अपने एकमात्र विधायक का टिकट काटा है, जबकि कांग्रेस ने 18 विधायकों को चुनाव मैदान से बाहर किया है। यानी विधायकों पर भरोसा जताने के मामले में भी कांग्रेस भाजपा से पीछे है। हालांकि इसके पीछे जो कारण अब तक सामने आया है, उसके अनुसार क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन और फीडबैक रहा।
35 नए चेहरों ने दिग्गजों को चटाई थी धूल
विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों की गौर करें तो पिछले चुनाव में नए चेहरों का जबरदस्त चमक देखने को मिली थी। कांग्रेस के 35 नए चेहरों ने दिग्गजों को धूल चटा दी थी। इसका असर यह था कि 15 वर्ष तक सत्ता में रही भाजपा के पास केवल 15 सीट ही बच पाई थी। हालांकि, भाजपा की हार का केवल एक ही कारण नहीं था मगर समग्र रूप से आंकलन करें तो लोगों ने यह संदेश दिया कि वे नए चेहरों को मौका नहीं देने का खामियाजा 15 साल बाद 15 सीटों पर सिमटकर भाजपा ने भाजपा ने चुकाया।