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CG Election 2023: जब 61 साल पहले तीन सीटें जीतकर जनसंघ ने दिल्ली तक मनवाया अपना लोहा, बेहद दिलचस्प है किस्सा

जीत के बाद कांग्रेस ने जनसंघ को हल्के में लेना बंद कर दिया था और तत्कालीन कांग्रेस शासन के मुख्यमंत्री डीपी मिश्रा स्वयं धमतरी की मानिटरिंग करने लगे थे। वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शिरोमणि राव घोरपड़े ने बताया कि वर्ष 1962 का चुनाव ऐतिहासिक रहा। उस चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं और राम निवास की कर्मठता का मतदाताओं पर गहरा असर हुआ था।

By Mohammad SameerEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 09 Sep 2023 07:00 AM (IST)
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61 साल पहले तीन सीटें जीता था जनसंघ (प्रतीकात्मक फोटो)

रामाधार यादव, धमतरी (जेएनएन): वर्ष 1962 का चुनाव जनसंघ यानी आज की भाजपा के लिए धमतरी जिला ही नहीं, अपितु अविभाजित मध्य प्रदेश और पूरे देश के संघियों के लिए ऐतिहासिक रहा। धमतरी, कुरूद और सिहावा विधानसभा की तीनों सीटें जनसंघ ने जीती थीं।

इस चुनाव में धमतरी और कुरूद में कांग्रेस के सीटिंग विधायक बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। इसकी चर्चा भोपाल ही नहीं दिल्ली तक थीं। मध्य प्रदेश की कुल विधानसभा सीटों 288 में से कांग्रेस ने 142 सीटें और जनसंघ ने 41 सीटें जीती थीं। जनसंघ के 41 में से तीन सीटें धमतरी की थीं।

इस जीत के बाद कांग्रेस ने जनसंघ को हल्के में लेना बंद कर दिया था और तत्कालीन कांग्रेस शासन के मुख्यमंत्री डीपी मिश्रा स्वयं धमतरी की मानिटरिंग करने लगे थे। वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शिरोमणि राव घोरपड़े ने बताया कि वर्ष 1962 का चुनाव ऐतिहासिक रहा। उस चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं और राम निवास की कर्मठता का मतदाताओं पर गहरा असर हुआ था।

मतदाता स्वप्रेरित होकर वोट डालने निकले थे, जिसके परिणास्वरूप 87 प्रतिशत का रिकार्ड मतदान हुआ था। घाेरपड़े बताते हैं कि मराठा पारा के रामनिवास में गांव के बच्चों के रहने की व्यवस्था पंढरी राव ने की थी, जिन गांवों में कक्षा पांचवी के बाद स्कूल नहीं थे, वहां के बच्चे यहां रहकर आगे की पढ़ाई करते थे। इसलिए राम दरबार का क्षेत्र में विशेष प्रभाव था। साथ ही गांव में संघ की शाखाए लगती थी, जिसके कारण जनसंघ के पास कर्मठ कार्यकर्ता थे।

पंढरी राव के व्यक्तित्व का भी लोगों में खास प्रभाव था। 64 प्रतिशत वोट पाने का रिकार्ड कोई नहीं तोड़ पाया धमतरी विधानसभा से जनसंघ के पंढरी राव कृदत्त ने 28581 वोट पाकर कांग्रेस के तत्कालीन विधायक पुरूषोत्तम दास पटेल को 15724 मतों के भारी अंतर से चुनाव हरा दिया था।

पंढरी राव को रिकार्ड 64 प्रतिशत वोट मिले थे। इस रिकार्ड को आज तक कोई भी विधायक बनने वाला नेता नहीं तोड़ पाया हैं। इस जीत से गदगद जनसंघ ने मध्य प्रदेश विधानसभा में पंढरी राव को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया था।

सिहावा विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ के नारायण सिंह शांडिल्य को 12574 मत मिले। प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी रामलाल को 10696 मत मिले।1878 मतों के अंतर से जनसंघ चुनाव जीतने में सफल रहा। कुरूद विधानसभा मेंं जनसंघ के प्रत्याशी यशवंत राव मेघावाले को 19483 मत मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी कुरूद के तत्कालीन विधायक भोपाल राव पवार को 12082 मत मिले। यहां भी जनसंघ 7401 मतों से जीता था।

इस जीत से भोपाल और दिल्ली तक कांग्रेस सकते में आ गई थी। कांग्रेस के बड़े नेताओं को जनसंघ को रोकने गोलबंदी करनी पड़ी थी। जनसंघ की आंधी को रोकने वर्ष 1967 के चुनाव में मुख्यमंत्री डीपी मिश्रा ने धमतरी विधानसभा से कांग्रेस के भोपाल राव पवार को कांग्रेस ने मैदान में उतारा।

जनसंघ को क्षेत्र में रोकने के लिए जीत के बाद भोपाल राव उन्हें शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया। इस तरह क्षेत्र को अविभाजित मध्य प्रदेश में पहला मंत्री मिला था।