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CG Election 2023: विधानसभा में सीट बढ़ाने को पार्टियों ने लिया बागियों का सहारा, अब इस रणनीति से तय होगी सत्ता की चाबी

छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही असली मुकाबला है इसके अलावा कई सीटों पर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी आम आदमी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने क्षेत्रीय जाति समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कई विधानसभा सीटों दलबदलुओं को मैदान में उतारा है।

By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Mon, 20 Nov 2023 06:30 AM (IST)
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विधानसभा में सीट बढ़ाने को पार्टियों ने लिया बागियों का सहारा।
राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा होने में बमुश्किल दो हफ्ते बचे हैं। तीन दिसंबर को मतगणना होगी। ऐसे में इस बार दलबदलू नेताओं की भी अच्छी-खासी दखल है। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने एक दर्जन नेताओं को मैदान में उतारा है, जो अन्य दो पार्टियों में से किसी एक से अलग हो गए हैं। यानी बागियों ने पार्टियों की शरण ले रखी है।

दल-बदलू प्रत्याशियों के सहारे संख्या में वृद्धि की कोशिश

मतदान समाप्त होने के बाद सभी दलों को उम्मीद है कि चुनाव जीतकर दल-बदलू प्रत्याशी के सहारे वह विधानसभा में अपनी कुल संख्या में वृद्धि करेंगे। कांग्रेस-भाजपा समेत अन्य दलों के बीच कुछ सीटों पर त्रिकोणीय भी मुकाबला है।

हालांकि प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही असली मुकाबला है, इसके अलावा कई सीटों पर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जकांक्ष), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आम आदमी पार्टी(आप) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोगपा) जैसे क्षेत्रीय दलों के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है।कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने क्षेत्रीय जाति समीकरणों और जनता के समर्थन को ध्यान में रखते हुए कई विधानसभा सीटों पर एक दर्जन से अधिक दलबदलुओं को मैदान में उतारा है।

सभी पार्टियों में दल बदलुओं की दखल

कांग्रेस ने जांजगीर-चांपा निर्वाचन क्षेत्र से व्यास कश्यप को मैदान में उतारा है। जिन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था और उससे पहले वह सक्रिय रूप से भाजपा का हिस्सा थे। इसी तरह गुरु खुशवंत सिंह को आरंग निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया है, जो मौजूदा कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता शिव डेहरिया के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

अनुभवी कांग्रेस नेता धरमजीत सिंह लोरमी विधानसभा क्षेत्र से 2018 के चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक के रूप में चुने गए थे। वह हाल ही में भाजपा में शामिल हुए और भाजपा पार्टी ने उन्हें तखतपुर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। वहीं, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की बागी नेता चांदनी भारद्वाज को मैदान में उतारा है।

तीन दिसंबर को आएंगे नतीजे

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में जिन नेताओं और विधायकों ने पार्टियां बदली हैं, वे लंबे समय से राजनीति में नहीं हैं। अगर किसी अन्य पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है तो वे जीतने में सफल रहे हैं लेकिन अगर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है तो उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में है क्योंकि राज्य की जनता दलबदलू नेताओं पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करती है। हालांकि, इस राज्य चुनाव में सभी पार्टियों ने दलबदलुओं को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन जनता का फैसला तीन दिसंबर को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।

दलबदल करने वालों का रिकार्ड ठीक नहीं

छत्तीसगढ़ में दलबदल करने वाले नेताओं का रिकार्ड कभी अच्छा नहीं रहा। एक-दो मामलों को छोड़ दें तो दलबदल करने वाले नेताओं को नए दल में कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल होता है न जनता सर माथे पर बिठाती है। छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद सबसे बड़ा दलबदल पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में हुआ था। जोगी ने विपक्षी भाजपा के 12 विधायकों को तोड़ लिया था। हालांकि तब जो दलबदल कर सत्ता पक्ष के साथ गए थे उनमें से अधिकांश चुनाव हार गए और अब राजनीतिक हाशिए पर हैं।

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