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CG Election 2023: 20 सीटों पर मतदान के बाद फिर शुरू हुई सियासी जंग, दूसरे चरण की 70 सीटों पर खींचतान शुरू

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के पहले चरण का मतदान मंगलवार को पूरा हो गया। कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों ने यहां के वोटरों के रूझान को भांप ली है। इसी के आधार पर 17 नवंबर को होने जा रहे दूसरे चरण चुनाव को लेकर पार्टियां अपनी रणनीति बनाएंगी। दोनों ही पार्टियों ने दावा किया है कि वह 20 में से 18 से अधिक सीटें जीतने की स्थिति में है।

By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Wed, 08 Nov 2023 03:30 AM (IST)
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20 सीटों पर मतदान के बाद फिर शुरू हुई सियासी जंग।

राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के सियासी जंग का आगाज 20 सीटों पर हुए मतदान से शुरू हो गया है। कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों ने यहां के वोटरों के रूझान को भांप ली है। इसी के आधार पर 17 नवंबर को होने जा रहे दूसरे चरण चुनाव को लेकर पार्टियां अपनी रणनीति बनाएंगी। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार बस्तर से ही तख्त और ताज के लिए रास्ता प्रशस्त करता है।

20 में से 18 से अधिक सीटें जीतने का दावा

हालांकि, दोनों ही पार्टियों ने दावा किया है कि वह 20 में से 18 से अधिक सीटें जीतने की स्थिति में है। हालांकि, यह तो तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि बस्तर का ऊंट इस बार किस करवट बैठा है। बहरहाल पिछले चुनावों के आंकड़ों को अगर गौर करें तो यहां के मतदाताओं ने कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस पर भरोसा जताया है।

पिछले चार चुनावों के आंकड़ों को देखें तो बस्तर में 2003 के चुनाव में 12 में से नौ सीटें भाजपा और एक सीट पर तीन सीटों पर कांग्रेस के विधायक रहे। 2008 के चुनाव में बस्तर में 10 सीटों पर भाजपा और एक सीट पर कांग्रेस व एक सीट पर अन्य दल काबिज रहा। इसी तरह 2013 के चुनाव में देखें तो यहां आठ सीटों पर कांग्रेस और चार सीटों पर भाजपा के विधायक जीते थे।

अब तक के आंकड़े

दुर्ग संभाग की आठ सीटों को छाेड़कर बाकी बस्तर की 12 सीटों पर ही अगर देखें तो वर्ष 2003 में पार्टी 43 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 12 में से नौ सीटें जीती थीं। 2008 के चुनाव में भाजपा 11 सीटें जीतने में कामयाब रही, लेकिन 42 प्रतिशत ही वोट शेयर रहा। 2013 में करीब 41 प्रतिशत वोट के साथ पार्टी चार सीटें जीत पाई। वहीं, 2018 में पार्टी का वोट शेयर घटकर 35 प्रतिशत और सीट केवल एक रह गया। कांग्रेस 2008 में करीब 32 फीसद वोट शेयर के साथ केवल एक सीट ही जीत पाई। 2013 में पार्टी ने करीब 43 फीसद वोट हासिल किया, जो 2018 में भी बकरार रहा।

बस्तर में भाजपा के इस बार आठ नए चेहरे

भाजपा ने बस्तर की चुनावी गणित को सुलझाने के लिए इस बार आठ नए चेहरे उतारे हैं। जबकि, चार पूर्व मंत्रियों में केदार कश्यप, लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी और महेश गागड़ा पर दांव खेला है। इसके पहले 2003 में भाजपा नौ सीटों पर जीती थी। 2008 में पार्टी ने केवल पांच चेहरों को रिपीट किया था, सात नए चेहरे उतारे थे। पांचों पुराने समेत छह नए चेहरे चुनाव जीते थे। 2013 में नौ चेहरों को रिपीट किया और तीन नए चेहरे उतारे थे। 2018 के चुनाव में भाजपा ने एक ही नया चेहरा उतारा था। नए-पुराने चेहरे में केवल एक सीट पर भाजपा जीती थी।

कांग्रेस के चार नए चेहरों से उम्मीद

इस वर्ष कांग्रेस ने बस्तर में अपने मौजूदा पांच विधायकों का टिकट काटा था। यहां चार नए चेहरों पर भरोसा जताया है। बस्तर में कांग्रेस सांसद दीपक बैज जो वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं, वह मैदान में है। इसी तरह मंत्रियों में मोहनलाल मरकाम, कवासी लखमा की साख दांव पर है। इसके पहले 2003 में कांग्रेस केवल तीन सीट ही जीत पाई थी।

2008 में तीनों विधायक के साथ केवल एक हारे हुए प्रत्याशी को मैदान में उतारा था, बाकी आठ नए चेहरे थे। 2013 में पार्टी ने छह नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा था। इसी तरह 2018 में कांग्रेस ने बस्तर में दो नए चेहरे उतारा था। कवासी लखमा एकमात्र कोंटा क्षेत्र के विधायक हैं जो कि लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।

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