Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में प्रबोध मिंज भाजपा के एकमात्र इसाई विधायक, कांग्रेस के मतदाताओं में लगाई सेंध
मिंज ने कांग्रेस के ईसाई मतदाताओं पर सेंध लगाई है। इतना ही नहीं उन्होंने आसपास के विधानसभा क्षेत्र के ईसाई मतदाताओं का वोट भी भाजपा प्रत्याशियों को दिलाने में भूमिका निभाई है। सीतापुर से निर्वाचित पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो के क्षेत्र के ईसाई मतदाताओं को भी उन्होंने भाजपा को वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया। आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा उनका भरपूर उपयोग कर सकती है।
By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sat, 09 Dec 2023 06:49 AM (IST)
अनंगपाल दीक्षित, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में एकमात्र ईसाई विधायक प्रबोध मिंज भाजपा के कोटे से हैं। वे सरगुजा संभाग के लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। मिंज अंबिकापुर नगर निगम में 10 साल तक महापौर भी रहे। उन्हें टिकट मिलने के बाद काफी विरोध भी हुआ था लेकिन पार्टी ने अपना निर्णय नहीं बदला। मिंज ने 24 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की है।
लोकसभा चुनाव में भी भाजपा उनका भरपूर उपयोग कर सकती है
दरअसल, मिंज ने कांग्रेस के ईसाई मतदाताओं पर सेंध लगाई है। इतना ही नहीं, उन्होंने आसपास के विधानसभा क्षेत्र के ईसाई मतदाताओं का वोट भी भाजपा प्रत्याशियों को दिलाने में भूमिका निभाई है। सीतापुर से निर्वाचित पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो के क्षेत्र के ईसाई मतदाताओं को भी उन्होंने भाजपा को वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया। आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा उनका भरपूर उपयोग कर सकती है।
लुंड्रा विधानसभा सीट में लगभग 30 प्रतिशत ईसाई मतदाता
लुंड्रा विधानसभा सीट में लगभग 30 प्रतिशत ईसाई मतदाता हैं। इनका झुकाव हमेशा कांग्रेस की ओर रहा है। अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान भी यहां कांग्रेस ही जीतती रही। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार वर्ष 2003 में जोगी विरोधी लहर में यहां से भाजपा के विजयनाथ सिंह को 42 मतों से जीत मिली थी। इसके बाद वर्ष 2008, 2013 और 2018 में लगातार कांग्रेस को ही जीत मिलती रही है।लुंड्रा में उरांव और कंवर जनजाति की बहुलता
अब मिंज ने भाजपा को 24 हजार से अधिक मतों से जीत दिलाई है।इसके पीछे उनके व्यक्तिगत संबंधों को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा ने उन्हें टिकट देकर एक तीर से दो निशाना साधा है। एक तो कांग्रेस के ईसाई वोटों पर सेंध लगाई है, दूसरे मतांतरण को लेकर चलाए जा रहे अपने अभियान को मजबूती प्रदान की है। बता दें कि लुंड्रा में उरांव और कंवर जनजाति की बहुलता है।