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CG Election 2023: फसलों को कटाई का इंतजार, खेत में काम करने से ज्यादा चुनाव प्रचार में मिल रहा दाम, किसान परेशान

CG Election 2023 चुनावी शोरगुल के साथ गांव की गलियां अब झंडा बैनर से अट गए हैं। राष्ट्रीय राजनैतिक दल से जुड़े प्रत्याशियों में जीत के लिए पुरजोर कोशिशें देखी जा रही है। इन दिनों खेतों में धान की बालियां पकने के कगार में आ चुकी है। ऐन चुनावी वक्त में फसल कटाई किसानों के लिए समस्या का सबब साबित हो रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Tue, 14 Nov 2023 06:30 AM (IST)
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CG Election 2023: फसलों को कटाई का इंतजार, खेत में काम करने से ज्यादा चुनाव प्रचार में मिल रहा दाम

जेएनएन, कोरबा। फसल कटाई के लिए गांव में मजदूर नहीं मिल रहे हैं। चुनाव प्रचार प्रसार में तेजी आने लगी है। ऐसे में प्रत्याशी अथवा समर्थकों के साथ घर-घर प्रचार में शामिल होने के लिए भीड़ की आवश्यकता हो रही है। धान कटाई के एवज में 200 रूपये दिहाड़ी मजदूरी है वहीं भीड़ में शामिल होकर दिन भर प्रचार के लिए प्रति 250 रूपये दिया जा रहा है। ऐसे में मजदूर चुनावी प्रचार में जाना उचित समझ रहे हैं।

धान की बालियां पकने के कगार पर

चुनावी शोरगुल के साथ गांव की गलियां अब झंडा बैनर से अट गए हैं। राष्ट्रीय राजनैतिक दल से जुड़े प्रत्याशियों में जीत के लिए पुरजोर कोशिशें देखी जा रही है। इन दिनों खेतों में धान की बालियां पकने के कगार में आ चुकी है। ऐन चुनावी वक्त में फसल कटाई किसानों के लिए समस्या का सबब साबित हो रहा है।

मजदूरों को मिल रहा ज्यादा दाम

धान कटाई के लिए जाने वाले महिला व पुरूष मजदूर अब चुनाव प्रचार में जाने लगे हैं। समर्थक अथवा प्रत्याशी के साथ घूमने यानि भीड़ बढ़ाने के लिए फसल कटाई से अधिक मजदूरी दी जा रही है। चुनाव प्रचार में न केवल अधिक दिहाड़ी मजदूरी मिल रही है बल्कि नाश्ता के साथ भोजन की भी व्यवस्था हो रही है।

शाम को ही मिल जाते हैं पैसे

महिलाएं बच्चों को साथ लेकर झंडा बैनर के साथ बकायदा भीड़ में शामिल हो रही है। भीड़ में शामिल होने वालों की सूची सुबह से बन जाती है। सूची के अनुसार शाम तक उन्हे भुगतान कर दी जाती है। भीड़ में शामिल हो कर लोग चुनावी माहौल का आनंद ले रहे हैं। जिस तरह से गांव गांव में धान कटाई की मजदूरी में भिन्नता है, उसी तरह प्रचारकों की भीड़ बढ़ाने वाले मजदूरों के दर में विधानसभा क्षेत्रवार भिन्नता देखी जा रही है।

हार्वेस्टर से काटना मुश्किल

जिले के अधिकांश खेत मैदानी न होकर दुर्गम पहुंच वाले हैं। ऐसे में उक्त स्थान तक धान कटाई के लिए हार्वेस्टर का पहुंच पाना मुश्किल है। जिले में पंजाब से मध्य प्रदेश से धान कटाई करने वाले हार्वेस्टर चालक पहुंचे हैं। खेत की फसल में एकरूपता नहीं होने से हार्वेस्टर की उपयोगिता बेकार साबित हो रही है। आशय यह है कि सड़क से लगे खेतों के धान जब तक नहीं कटेंगे तब दूसरे खेतों के पक चुके फसल को हार्वेस्टर से काटना मुश्किल है।

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