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छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर को होगा 20 सीटों पर पहले चरण का मतदान, नक्सलगढ़ की खोई सीटों पर BJP को वापसी की चुनौती

छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर को होगा 20 सीटों पर पहले चरण का मतदान होगा। जिन 20 सीटों पर पहले चरण में मतदान होने जा रहा है इनमें केवल राजनांदगांव की एक सीट पर ही भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह विधायक हैं। बाकी सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 05 Nov 2023 11:04 PM (IST)
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छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर को होगा 20 सीटों पर पहले चरण का मतदान (Image: Jagran Graphic)

संदीप तिवारी, रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में सात नवंबर को पहले चरण का मतदान होगा। इनमें कुल 90 में से 20 सीटों पर मतदान होना है। पहले चरण के चुनाव में भाजपा की साख दांव पर लगी हुई है। जिन 20 सीटों पर पहले चरण में मतदान होने जा रहा है, इनमें केवल राजनांदगांव की एक सीट पर ही भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह विधायक हैं। बाकी सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं।

खासकर नक्सलगढ़ बस्तर की सभी 12 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इतना ही नहीं, बस्तर की लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस का सांसद है। ऐसे में भाजपा के पास अपनी खोई हुई सीटों पर वापसी करने की बड़ी चुनौती है। प्रमुख सीटों पर दिग्गजों की साख भी दांव पर है।

कोंटा सीट पर मंत्री कवासी लखमा की साख दांव पर

भाजपा के दिग्गजों में हाईप्रोफाइल राजनांदगांव सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, नारायणपुर सीट पर पूर्व मंत्री केदार कश्यप, कोंडागांव सीट पर पूर्व मंत्री लता उसेंडी, बीजापुर सीट पर पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और भानुप्रतापपुर सीट पर पूर्व मंत्री विक्रम उसेंडी की साख दांव पर है। इसी तरह से कांग्रेस के लिए कवर्धा सीट पर मंत्री मोहम्मद अकबर, चित्रकोट सीट पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व सांसद दीपक बैज, कोंडागांव से मंत्री मोहन मरकाम, कोंटा सीट पर मंत्री कवासी लखमा की साख दांव पर है।

2003, 2008 और 2013 में क्या था चुनावी आंकड़ा?

पिछले चुनावों में इस तरह रहा बस्तर का समीकरण पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें तो बस्तर में 2003 के चुनाव में 12 में से नौ सीटें भाजपा और तीन सीटों पर कांग्रेस के विधायक चुने गए। 2008 के चुनाव में बस्तर में 10 सीटों पर भाजपा और एक सीट पर कांग्रेस व एक सीट पर अन्य दल ने विजय पाई। इसी तरह 2013 के चुनाव में देखें तो यहां आठ सीटों पर कांग्रेस और चार सीटों पर भाजपा के विधायक जीते थे।

कांग्रेस-भाजपा के शीर्ष नेतृत्व झोंक चुके हैं ताकत

बस्तर में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य नेताओं ने सभाएं की हैं। कांग्रेस की ओर बस्तर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य नेता सभाएं कर चुके हैं।

इस बार अधिक चुनौतियां राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, जंगल से ही प्रदेश का तख्त और ताज तय होता है। इस बार यहां चुनाव अधिक कठिन हो चुका है, क्योंकि यहां कांग्रेस-भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी, सीपीआइ, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे), आम आदमी पार्टी और आदिवासी नेता अर¨वद नेताम की हमर राज पार्टी भी चुनावी मैदान में है।

पांच साल में बस्तर में कांग्रेस पार्टी ने कोई काम नहीं किया

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ने कहा, 'पांच साल में बस्तर में कांग्रेस पार्टी ने कोई काम नहीं किया। बस्तर की दुर्दशा की है। यहां मतांतरण, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी हुई है। बस्तर के आदिवासियों के लिए जो योजनाएं भाजपा सरकार में चल रही थीं, उन्हें भी बंद कर दिया गया। बस्तर की जनता कांग्रेस को चुनाव में जवाब देगी।'

वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि 15 साल तक भाजपा की सरकार ने आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को बंधक बनाए रखा। कांग्रेस सरकार ने विश्वास, विकास और सुरक्षा नीति के तहत वहां शांति की बहाली की। सड़कों का जाल बिछाया, बंद स्कूलों को खोला, आदिवासियों के साधन को अधिक मजबूत किया। सभी सीटों पर कांग्रेस काबिज होगी।

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