Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ के इस जिले में 15 साल से नहीं हुआ कोई काम, बोरिया-बिस्तर समेट कर रहे पलायन
कभी 200 परिवार वाले इस गांव में वर्तमान 150 परिवार ही बचे हैं। 50 परिवारों ने गांव छोड़ना ही बेहतर समझा। वर्तमान में गांव में जनसंख्या लगभग 8 सौ के करीब है। मूलभूत समस्याओं के निराकरण नहीं होने से और माननीयों की तरफ से मिल रहे कोरे आश्वाशन से नाराज ग्रामीणों ने अपनी पैतृक संपत्ति को छोड़ना ही बेहतर समझा।
By Siddharth ChaurasiyaEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Wed, 01 Nov 2023 04:47 PM (IST)
जागरण न्यूज नेटवर्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election) का आगाज हो चुका है। लेकिन मतदान से पहले गरियाबंद में विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का मामला सामने आया है। दरअसल, यह मामला देवभोग ब्लॉक के परेवापली गांव का है। यहां के लोगों ने विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया है। इस गांव में वर्तमान 150 परिवार ही बचे हैं।
दरअसल, गरियाबंद जिले के अंतर्गत आने वाले देवभोग ब्लॉक के परेवापली के ग्रामीण 2008 से अपने गांवों को पक्की सड़क से जोड़ने, पुल निर्माण और मरममत, स्कूल भवन, पेयजल, राशन दुकान जैसी मूलभूत मांग कर रहे हैं। वैसे तो ये भारतीय नागरिक का अधिकार है, लेकिन अपने इन्ही अधिकारों को लेकर पिछले 15 साल से जद्दोजहद कर रहे हैं। मांग पूरी नहीं होने के चलते इस बार फिर चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है। और नेताओं का प्रवेश निषेध का बैनर गांव में लगा दिया है।
सभी पार्टियों ने दिए मांग पूरी करने के कोरे आश्वासन
मांग पूरी नहीं होने के चलते पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था। तब वर्तमान सरकार के नेताओं ने आश्वासन दिलाया था कि वे उनकी सरकार बना दें। सत्ता में आते ही उनकी समस्या का निदान करेंगे। मगर पिछले 10 सालों से मिल रहे आश्वासन और वादे पांच साल और बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं हो पाए हैं।
यह भी पढ़ें: 'गांधी परिवार को गाली देते रहते हैं PM मोदी', सुकमा में खरगे बोले- 40 साल से कोई किसी भी पद पर नहीं
ग्रामीण बोरिया बिस्तर समेट, कर रहे पलायन
कभी 200 परिवार वाले इस गांव में वर्तमान 150 परिवार ही बचे हैं। 50 परिवारों ने गांव छोड़ना ही बेहतर समझा। वर्तमान में गांव में जनसंख्या लगभग 8 सौ के करीब है। मूलभूत समस्याओं के निराकरण नहीं होने से और माननीयों की तरफ से मिल रहे कोरे आश्वाशन से नाराज ग्रामीणों ने अपनी पैतृक संपत्ति को छोड़ना ही बेहतर समझा। कई परिवार अपने रिश्तेदारों के यहां जाकर बस गए हैं। और अपना नाम भी वोटर लिस्ट से कटवा लिया है।