Chhattisgarh Election Result: खोखला था भूपेश का भरोसा, नहीं समझ सके हालात; जानें छत्तीसगढ़ का किला घराशाई होने की वजह
छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव तब तक कांग्रेस के हाथ में ही था जब तक भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले थे और अपनी दिशा नहीं तय की थी। साल 2018 में किसानों की कर्जमाफी जैसे लोकलुभावन वादे के आधार पर कांग्रेस की अप्रत्याशित जीत के बाद सीएम बने भूपेश बघेल इस बार 65-70 सीटें जीतने का दावा कर रहे थे लेकिन यही अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव तब तक कांग्रेस के हाथ में ही था जब तक भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले थे और अपनी दिशा नहीं तय की थी। साल 2018 में किसानों की कर्जमाफी जैसे लोकलुभावन वादे के आधार पर कांग्रेस की अप्रत्याशित जीत के बाद सीएम बने भूपेश बघेल इस बार 65-70 सीटें जीतने का दावा कर रहे थे, लेकिन यही अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा।
महादेव एप घोटाले समेत भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप और विकास की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी इस कदर भारी पड़ी कि कांग्रेस जीती बाजी हार गई। लचर कानून एवं व्यवस्था ऐसी कि राजधानी रायपुर तक के हालात पर सवाल खड़े हो रहे थे। नक्सल प्रभावित बस्तर से टाटा स्टील को समेट दिया गया, सरगुजा और उसके आसपास मतांतरण की चुनौती गंभीर होती रही।
कांग्रेस से युवाओं का भरोसा टूटा
रही-सही कसर छत्तीसगढ़ प्रांतीय प्रशासनिक सेवा में भर्ती में हुई धांधली ने पूरी कर दी। युवाओं का भरोसा टूट गया। इसलिए और टूट गया, क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उद्योगपतियों-उद्यमियों को बुरे रूप में प्रस्तुत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भ्रष्टाचार के मुद्दे को पीएम बहस का विषय बनाने में सफल रहे।
पीएम मोदी ने लगातार किए हमले
उन्होंने अपनी रैलियों में जब यह कहा कि इन्होंने (कांग्रेस नेताओं ने) महादेव को भी नहीं छोड़ा... अगर गूगल में 508 करोड़ टाइप करें तो भूपेश बघेल का नाम आता है तो राज्य की जनता ने न केवल उन्हें ध्यान से सुना, बल्कि अपना मन भी बना लिया। बघेल सरकार के 11 में से नौ, यहां तक कि डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव भी मुंह की खानी वाले लोगों में शामिल हैं और यह हाल तब है जब बघेल ने अपने दम पर 22 मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर यह मान लिया था कि सत्ता विरोधी लहर उन्होंने खत्म कर दी है।
विकास के वादे के साथ आगे बढ़ी भाजपा
इसके विपरीत भाजपा मोदी की गारंटी, जनकल्याण की योजनाओं के एलान, विकास के वादे के साथ आगे बढ़ी। केवल पीएम मोदी और भाजपा के केंद्रीय नेताओं-स्टार प्रचारकों ने बुनियादी ढांचे के विकास की बातें चुनावी मंच से कीं। भाजपा ने किस कदर बघेल को उनके घर में ही अपने लोकसभा सदस्य तथा सीएम के भतीजे विजय बघेल के सहारे घेर दिया था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से मिलने-जुलने के लिए हजामत की दुकान तक जाने के लिए मजबूर हुए।
पीएम आवास योजना का मुद्दा चुनावी विषय बना
छत्तीसगढ़ के परिणाम ने यह भी बताया कि केंद्रीय योजनाओं, खासकर सामाजिक उत्थान के कार्यक्रम केंद्र और राज्य सरकारों के मिलकर काम करने से ही पूरी हो सकती हैं। छत्तीसगढ़ में पीएम आवास योजना का मुद्दा चुनावी विषय बना। भाजपा के नेता यह बताने में सफल रहे कि बघेल सरकार की निष्कि्रयता के कारण पीएम आवास योजना का लाभ राज्य के लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
केंद्र के पैसे खाते में पड़े रहे, लेकिन राज्य सरकार ने अपना हिस्सा नहीं दिया। इसी का फायदा उठाकर खुद पीएम ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी ओर से 17 लाख आवास बनाएगी। इसके बाद बघेल इसी तरह का वादा करने के लिए मजबूर हुए। खुद बघेल के निर्वाचन क्षेत्र में तमाम जरूरतमंद महिलाएं पीएम आवास नहीं हासिल कर सकी हैं। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपना घर बनाने के लिए भूमिहीन हो गईं।
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