दिल्ली में भाजपा के लिए आसान नहीं सीएम पद का प्रत्याशी घोषित करना, 4 नेता हैं प्रबल दावेदार
दिल्ली विधानसभा के चुनावी मैदान में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के साथ उतरना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 25 Nov 2019 11:36 AM (IST)
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। दिल्ली विधानसभा के चुनावी मैदान में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के साथ उतरना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। पार्टी में इस समय कई गुटों में दिखाई देती है। ऐसे में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से पार्टी के भीतर गुटबाजी मुखर रूप से सामने आ सकती है।
यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बयान पर कुछ ही घंटे में सफाई देनी पड़ गई। हालांकि, इसके साथ ही पार्टी में एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर चर्चा तेज हो गई है। साथ ही उम्मीदवार घोषित करने और न करने को लेकर नफा-नुकसान भी टटोला जाने लगा है। वैसे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व हमेशा चौंकाता रहा है। ऐसे में 2020 के विधानसभा चुनाव में नया उम्मीदवार सामने आए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
कई नेता सीएम बनने की चाहत रखते हैं
पार्टी के कई नेता हैं जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखते हैं। इसे लेकर एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ के साथ दिल्ली का लोकप्रिय नेता दिखाने की कोशिशें भी अक्सर दिखाई देती हैं। पार्टी के आंतरिक मंचों पर इसे लेकर दावेदारी पेश की जाती है। वहीं एक दूसरे का पत्ता काटने का भी प्रयास होता है।वैसे पूर्व के अधिकतर चुनावों में पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के साथ ही चुनाव में कूदती रही है। हालांकि इसके नुकसान ही सामने आए हैं। वर्ष 2015 में जब भाजपा पूरे देश में चरम पर थी तब भी दिल्ली का किला फतह करने का अरमान भी पूरा नहीं हो सका था। जबकि भाजपा ने चर्चित आइपीएस व अन्ना आंदोलन की उपज किरण बेदी पर दांव लगाया था। वर्ष 2013 में डॉ. हर्षवर्धन के नेतृत्व में कड़ी टक्कर देने के बाद भी भाजपा बहुमत से चूक गई और सरकार नहीं बना पाई।
चार नेताओं की सबसे प्रबल दावेदारीपार्टी में मुख्य रूप से तीन से चार नामों की चर्चा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए हैं। इसमें मनोज तिवारी के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का नाम लिया जा रहा है। पूर्वांचल का चेहरा होने व प्रदेश अध्यक्ष के रहते दो चुनावों (नगर निगम व लोकसभा) में जीत दिलाने से मनोज तिवारी की दावेदारी अधिक है।
वहीं, विजय गोयल भले ही राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन उनकी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा छुपी नहीं है। वह अक्सर दिल्ली के मुद्दों को लेकर सड़क पर दिखते हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन खुले तौर पर तो कोई गतिविधि अपनी उम्मीदवारी को लेकर नहीं करते, लेकिन उनके समर्थक उनके लिए अंदरखाने अभियान चलाते रहते हैं। विजेंद्र गुप्ता चूंकि नेता प्रतिपक्ष हैं तो उनके समर्थक भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते रहते हैं।
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