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Election Results 2023: रण, गढ़ और बीहड़ में खिला कमल, निजाम के शहर में कांग्रेस की सेंध

Assembly Election Result 2023 चुनावी अनुमानों से आगे निकलते हुए भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है। वहीं राजस्थान में भाजपा ने रिवाज नहीं बदलने दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी कांग्रेस को करारी पराजय से नहीं बचा पाई। आज मिजोरम के नतीजे आएंगे देखना है कि इनमें कौन पार्टी बाजी मारती है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Mon, 04 Dec 2023 07:01 AM (IST)
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छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव से पहले ¨हदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत के साथ 2024 के महासंग्राम के लिए अपनी स्थिति बेहद मजबूत कर ली है। वहीं, उत्तर भारत के राज्यों में करारी शिकस्त से मायूस कांग्रेस को दक्षिणी राज्य तेलंगाना में जीत का सहारा मिला है, जहां पार्टी ने के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के 10 वर्षों के शासन का अंत कर दिया है।

जनता ने मुख्यमंत्रियों के साथ साथ मंत्रियों को सिखाया सबक

इस बार विधानसभा चुनावों में जनता ने मुख्यमंत्रियों को तो जिता दिया, लेकिन उनके ज्यादातर मंत्रियों को हार का सबक सिखाया। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के 25 में से 17 मंत्री चुनाव हार गए। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और सीएम के सलाहकार पांच विधायकों को भी जीत नसीब नहीं हुई। मप्र में 12 तो छत्तीसगढ़ में नौ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। राजस्थान में गहलोत सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और परिवारवाद के आरोप लग रहे थे। यहां तक कि कांग्रेस के विधायक ही मंत्रियों को घेर रहे थे। इसका नुकसान उठाना पड़ा है।

छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है

चुनावी अनुमानों से आगे निकलते हुए भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है। वहीं, राजस्थान में भाजपा ने रिवाज नहीं बदलने दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी कांग्रेस को करारी पराजय से नहीं बचा पाई। लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस ही नहीं, उसकी अगुआई वाले विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के लिए फाइनल की राह बेहद चुनौतीपूर्ण है। उसे जनता की नब्ज पकड़ने के लिए अपनी रीति-नीति के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का विकल्प तलाशने के लिए अभी भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।

आज आएंगे मिजोरम के नतीजे

भाजपा ने चुनावी परिणामों का पूरा सेहरा तत्काल प्रधानमंत्री मोदी के सिर बांधकर विपक्ष की चुनौतियों और बढ़ाने में देर भी नहीं लगाई। मिजोरम के नतीजे सोमवार को आएंगे, मगर रविवार को चार राज्यों के परिणाम में भाजपा ने 3-1 की बढ़त लेकर आम चुनाव के लिए अपनी राजनीति को मजबूत आधार पहले ही दे दिया है।भाजपा के लिए ¨हदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि इसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। वहीं, मध्य प्रदेश में कमल नाथ चौतरफा खिले कमल की आंधी को भांप नहीं पाए और भाजपा ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें हासिल कर कांग्रेस की लुटिया डूबो दी।

साल 2018 के चुनाव में भाजपा को परास्त करने वाली कांग्रेस इस बार अपनी सीटों का आंकड़ा 66 से आगे नहीं बढ़ा पाई। राजस्थान में हर पांच वर्ष में सत्ता बदलने का रिवाज इस बार पलटने का जादू दिखाने का अशोक गहलोत का दावा हवा-हवाई निकला। भाजपा ने 199 सीटों पर हुए चुनाव में 115 सीटें हासिल कर आसानी से पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया, कांग्रेस 69 सीटों पर ही सिमटकर रह गई। सस्ते रसोई गैस सिलेंडर, महंगाई राहत किट से लेकर चिरंजीवी हेल्थ स्कीम, ओल्ड पेंशन स्कीम और मुफ्त बिजली के वादे भी गहलोत को हार से नहीं बचा पाए।

पीएम मोदी गारंटी पर तीनों राज्यों के मतदाताओं ने जताया भरोसा

इसकी तुलना में भाजपा के कुछ ऐसे ही मिलते-जुलते वादों को लेकर पीएम मोदी की गारंटी पर तीनों राज्यों के मतदाताओं ने ज्यादा भरोसा जताया। मोदी की लोकप्रियता, महिला वोटरों के अधिक समर्थन, भाजपा की संगठनात्मक और अंतिम समय तक हार नहीं मानने की रणनीति के दम पर भाजपा ने तीनों राज्यों में कांग्रेस के अति आत्मविश्वास को ध्वस्त कर दिया।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार अप्रत्याशित इसलिए भी रही क्योंकि न पार्टी ने इसकी कल्पना की थी, न ही तमाम एक्जिट पोल में भाजपा की जीत का अनुमान लगाया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता के दावे को झुठलाते हुए भाजपा ने राज्य की 90 में से 54 सीटें जीतकर दमदार बहुमत से पांच वर्ष बाद सत्ता में वापसी की है तो पिछले चुनाव में करीब तीन चौथाई सीटें जीतने वाली कांग्रेस को केवल 35 सीटें ही मिल पाईं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस की पूरे उत्तर भारत में अब केवल हिमाचल प्रदेश में सरकार है।

12 राज्यों में भाजपा की सरकार

जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा को मिलाकर अब हिंदी पट्टी के छह राज्यों समेत कुल 12 राज्यों में भाजपा की सरकार है। जबकि कांग्रेस की अपने दम पर केवल तीन राज्यों कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सरकार होगी।

तेलंगाना की शानदार जीत ने कांग्रेस को राहत तो दी, मगर तीन राज्यों की हार ने इस कामयाबी का जश्न मनाने के मौके से महरूम कर दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी नैरेटिव और स्थानीय चेहरे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी की लोकप्रियता के दम पर तेलंगाना में केसीआर की अगुआई वाले बीआरएस के लगातार तीसरी पारी के सपनों को चकनाचूर कर स्पष्ट बहुमत से सत्ता हासिल कर ली। तेलंगाना राज्य के गठन के बाद कांग्रेस पहली बार 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है। रेवंत रेड्डी स्वाभाविक रूप से तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के विशेष मायने हैं क्योंकि कुछ महीने पहले तक पार्टी प्रदेश में भाजपा से नीचे तीसरे पायदान पर आंकी जा रही थी।

लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के नेताओं से मिलकर साझी संगठनात्मक और राजनीतिक रणनीति से केसीआर को चित कर दिया। तेलंगाना में पार्टी की सफलता इस बात का भी साफ संकेत है कि दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस यह राजनीतिक संदेश देने में कामयाब हो रही है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से मुकाबला करने में वही सक्षम है। छह महीने पहले कर्नाटक में मिली जीत के बाद तेलंगाना के नतीजे कम से कम दक्षिण भारत में कांग्रेस की पैठ कायम रहने की ओर भी इशारा कर रहे हैं।

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