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Assembly Election Result 2023: उलट चुनाव नतीजों से I.N.D.I.A. गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति हुई कमजोर, अपनों ने साधा निशाना

Assembly Election Result उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी तो बिहार में राजद-जदयू के आगे कांग्रेस को अब सम्माजनक समझौते के लिए भारी संघर्ष करना होगा। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अखिलेश यादव की जैसी अनदेखी की है उसके बाद सपा उत्तर प्रदेश में उसे सूबे की 80 लोकसभा सीटों में एक सीमा से अधिक सीटें देने का जोखिम उठाएगी इसमें संदेह है।

By Mohammad SameerEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 04 Dec 2023 05:19 AM (IST)
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कांग्रेस की स्थिति हुई कमजोर, अपनों ने साधा निशाना (file photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों ने विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में कांग्रेस के राजनीतिक प्रभुत्व की संभावनाओं को लगभग धराशायी कर दिया है। कांग्रेस से बेहतर नतीजों की उम्मीद लगाए बैठे विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के मजबूत क्षेत्रीय घटक दल इन परिणामों के बाद 2024 की सियासत के मद्देनजर कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का वर्चस्व स्वीकार करेंगे, इसकी गुंजाइश अब बेहद कम हो गई है।

विपक्षी आइएनडीआइए की अगले लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी इन नतीजों का असर पड़ेगा और विशेषकर हिन्दी भाषी राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दल सीटों के बंटवारे में कांग्रेस के प्रति उदारता दिखाएंगे इसमें भी संदेह है। कांग्रेस नेतृत्व को भी इस चुनौती का आभास हो गया है।

खरगे ने बुलाई मीटिंग

इसीलिए चुनाव नतीजों का रुझान आने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से आइएनडीआइए की छह दिसंबर को बैठक बुलाने की घोषणा करने में देरी नहीं की गई। आइएनडीआइए के लिए तीन हिंदी पट्टी के राज्यों में कांग्रेस का यह प्रदर्शन कितना बड़ा झटका है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक्जिट पोल अनुमानों के बाद द्रमुक, राजद, शिवसेना यूबीटी, राकांपा ही नहीं तृणमूल कांग्रेस जैसे सहयोगी दलों ने कांग्रेस की जीत में विपक्ष की सामूहिक कामयाबी देखने की बात तक कह दी थी।

तीन बड़े राज्य गंवाने के बाद भी कांग्रेस ने आइएनडीआइए की बैठक बुलाने की घोषणा कर अपनी सियासत को संभालने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। तेलंगाना की जीत की सियासी सांत्वना के सहारे कांग्रेस अब 2024 के लिए गठबंधन के ढांचे को ज्यादा सु²दृढ़ और स्पष्ट स्वरूप देने का प्रयास करेगी। मगर इसमें संदेह नहीं कि पार्टी एक सीमा से ज्यादा क्षेत्रीय दलों पर दबाव डालने की स्थिति में नहीं होगी।

विशेषकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी तो बिहार में राजद-जदयू के आगे कांग्रेस को अब सम्माजनक समझौते के लिए भारी संघर्ष करना होगा। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अखिलेश यादव की जैसी अनदेखी की है उसके बाद सपा उत्तर प्रदेश में उसे सूबे की 80 लोकसभा सीटों में एक सीमा से अधिक सीटें देने का जोखिम उठाएगी इसमें संदेह है।

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राजद-जदयू तो पहले से ही गठबंधन में सूबे की 40 में से कांग्रेस को केवल चार-पांच सीटों तक ही सीमित रखने का इरादा रखते हैं। कांग्रेस को सियासी हैसियत दिखाने के लिए इन राज्यों के चुनाव नतीजों के अलावा सपा के पास 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ हुए गठबंधन का उदाहरण भी है जब सपा ने 105 सीटें उसके लिए छोड़ीं मगर कांग्रेस केवल सात में ही जीत दर्ज कर पायी।

इसी तरह बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में भी 70 सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत पायी और राजद का महागठबंधन सत्ता की दहलीज से चंद कदम दूर रह गया था।

जागरण टीम, नई दिल्ली। भाजपा की तीन राज्यों में जीत पर आइएनडीआइए के दलों ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है। जदयू के राष्ट्रीय मुख्य वक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी की हार है, न कि आइएनडीआइए की। कहा कि इस हार के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। वहीं, नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि भविष्य में स्थिति ऐसी ही रही, तो विपक्षी गठबंधन जीतने में सक्षम नहीं होगा।

इसके अलावा पांच दशक तक कांग्रेस के विश्वसनीय नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने हार का एक बड़ा कारण एजेंडे में अल्पसंख्यकों के मुद्दे न होना बताया। चार राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय मुख्य वक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जनता के सभी फैसलों का स्वागत है। यह भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार है। यह आइएनडीआइए की हार नहीं है। केसी त्यागी ने कहा कि चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने आइएनडीआइए के किसी नेता से न संपर्क किया, न सहयोग मांगा।