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Haryana Elections 2024: भजन लाल की सरकार में क्‍यों मंत्री बनना नहीं चाहते थे बंसी लाल के बेटे सुरेंद्र सिंह?

Haryana Assembly Elections 2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 है। ऐसे में फाइलों और दस्तावेजों में दबे पड़े राजनीतिक गलियारों के किस्‍से चौपालों पर सुनाए जा रहे हैं। ऐसे में आज वरिष्ठ संवाददाता अमित पोपली की कलम से पढ़िये जब भजन लाल सरकार में सुरेंद्र सिंह के मंत्री बनने का मुद्दा सदन में उठा था। बीरेंद्र सिंह और बंसीलाल के बीच जमकर बहस हुई। दोनों ने एक-दूसरे पर शब्दबाण चलाए....

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 30 Aug 2024 12:25 PM (IST)
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Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: विधानसभा के पन्नों से अनसुने किस्सा। जागरण ग्राफिक्‍स टीम
अमित पोपली, झज्जर। राजनीति की मर्यादाएं तोड़कर भजन लाल, बंसी लाल या कोई भी लाल हो, समझौता नहीं कर सकता। बीरेंद्र सिंह के इतना कहते ही फिर से सदन में शोर मच गया। यह किस्सा है विधानसभा सत्र के दौरान चौधरी बंसीलाल और चौधरी बीरेंद्र सिंह के बीच हुई बहस का। एक दौर में कांग्रेसी होने वाले यह चेहरे 1996 में बनी सूबे की सरकार में पक्ष-विपक्ष में जा बैठे।

साल 1997 की बात है। 22 जुलाई को विधानसभा सदन में दोनों के बीच व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का दौर उस हद तक जा पहुंचा कि 1982 की भजन लाल सरकार में सुरेंद्र सिंह के कैबिनेट मंत्री बनने से जुड़े मुद्दे पर सीएम बंसी लाल और बीरेंद्र सिंह आमने-सामने हो गए।

पन्नों को पलट कर देखें तो बीरेंद्र सिंह ने सदन में कहा-हमारे मुख्यमंत्री जी (बंसी लाल) कांग्रेस के सदस्य थे और केंद्र में रेल मंत्री थे। उस वक्त मुझे हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया, चौधरी भजन लाल के मंत्रिमंडल में एग्रीकल्चर का महकमा दिया गया।

चौधरी बंसीलाल अपने बेटे का मंत्री बनाना चाहते थे  

दस दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष इंदिरा गांधी ने मुझे बुलाकर कहा-चौधरी बंसी लाल अपने बेटे को मंत्री बनाना चाहते हैं। बीरेंद्र सिंह की इस बात पर सदन में शोर शराबा शुरू हो गया। शोर शराबे के बीच मुख्यमंत्री बंसी लाल ने जवाब दिया-बीरेंद्र सिंह जो कह रहे हैं वह सब बे-बुनियाद और गलत बात हैं। हकीकत यह है कि सुरेंद्र सिंह को मिनिस्टर बनाने के बारे में इंदिरा गांधी ने पहले मुझे बुलाया था।

मैंने कहा कि वह भजन लाल की हुकूमत में मिनिस्टर नहीं बनेगा। दोबारा बुलाया तो मैंने फिर से इन्कार कर दिया। उससे पहले एक मीटिंग हुई थी उसमें भगवत आजाद और चन्दु लाल चंद्राकर ने सुरेंद्र से कहा था कि कांग्रेस प्रेजिडेंट के आदेश हैं कि तुम भजन लाल का नाम पेश करोगे। सुरेंद्र का का जवाब था कि नाम कोई और पेश कर देगा।

मुझे तो तोशाम के लोगों ने भजन लाल के अगेंस्ट जीता कर भेजा है। बंसी लाल ने कहा- बताना चाहता हूं कि जब प्रधानमंत्री जी ने कह दिया कि सुरेंद्र सिंह को मिनिस्टर बनना पड़ेगा, यह मेरा आदेश है तो मैंने कहा कि ठीक है।

सुरेंद्र सिंह को मिनिस्टर बना दिया, लेकिन शपथ वाले दिन हमारे घर से कोई मेंबर नहीं गया था, सुरेंद्र ने रोते रोते शपथ ली। फिर उस वक्त वीरेंद्र सिंह सुरेंद्र के साथ थे और कह रहे थे कि मैं इस्तीफा दूंगा और जब सभी ने इस्तीफा दे दिया तो बीरेंद्र सिंह भाग गए।

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तो कांग्रेस अध्यक्ष के आदेश क्यों नहीं माने

बढ़ती हुई बात तीखी नोक-झोंक तक जा पहुंची, जिसमें बीरेंद्र सिंह ने सीएम से पूछा-जब 1982 में नाम प्रपोज करने से तो इनकार कर दिया था और फिर शपथ लेने से इनकार नहीं कर सकते थे, क्यों नहीं इनकार किया। क्यों शपथ ली?

सीएम बोले- इंदिरा गांधी ने मुझे दो बार कहा था और एक बार आदेश दिए थे। उस वक्त हम कांग्रेस में थे, हम अनुशासन में थे और हमने उनके आदेश को माना। सवाल-जवाब के मौके पर बीरेंद्र सिंह ने कहा-अगर अनुशासन में थे तो जब कांग्रेस अध्यक्ष ने नाम प्रपोज करने को कहा था तो उनके आदेश क्यों नहीं माने? यह कोई मर्यादा नहीं।

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