भाजपा के अभियान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केंद्रीय भूमिका में होते हैं। कारण पूछने पर नड्डा कहते हैं, 'लोगों के साथ उनका कनेक्ट अभूतपूर्व है। लोगों को मोदी की गारंटी पर भरोसा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।' दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से बातचीत में नड्डा कहते हैं कि भाजपा अलग-अलग प्रयोग करती है और स्थानीय नेताओं के लिए तो बहुत आगे तक जाने का भी रास्ता खुला है।
पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और अलग अलग सर्वे मे कांग्रेस को बढ़त दिखाई जा रही है। आपका क्या आकलन है?
भाजपा स्पष्ट रूप से सरकार बना रही है। सीटों का आकलन हम बाद में देंगे। लोग प्रधानमंत्री मोदी को मजबूती की स्थिति में देखना चाहते हैं। साथ ही भाजपा का विकास के लिए जो ट्रैक रिकार्ड है, उसके कारण लोग भाजपा की ओर ही देख रहे हैं।
विधानसभा चुनावों में भी भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ज्यादा निर्भर रहती है, जबकि प्रधानमंत्री खुद बार-बार राज्यों में नेतृत्व खड़ा करने की बात करते रहे हैं। आखिरकार कमी कहां है?
देखिये कमी नहीं है। प्रधानमंत्री का दायरा किसी राज्य का चुनाव जिताने तक सीमित नहीं है। हर राज्य में हमारे पास मजबूत चेहरा है। वह लोगों के पास जा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रति लोगों में अगाध प्रेम है। खुद मोदी जी ने लोगों से कहा है कि विकास होगा यह मोदी की गारंटी है। वह हमारे नेता हैं।
आपके अध्यक्षीय काल में कई चुनाव हो चुके हैं। कई जीते, कुछ हारे। क्या आप महसूस करते हैं कि स्थानीय नेता को नजरअंदाज करना भारी पड़ता है, जैसा कर्नाटक में हुआ था?
यह सवाल गलत है। हम लोग किसी को नजरअंदाज नहीं करते हैं। विषय रणनीति का होता है। कौन सी रणनीति उपयोगी रहेगी, उसे देखते हुए फैसला होता है। किसी के चेहरे की घोषणा करना सही होगा या नहीं, यह रणनीति का हिस्सा होता है। नजरअंदाज तो तब किया जाता है जब आप कुछ काम ही न दें, छोड़ दें। हम तो सभी महत्वपूर्ण नेताओं को चुनावी अभियान का मुख्य हिस्सा बनाते हैं। प्रदेश के हमारे सभी बड़े नेताओं का कार्यक्रम देखिए, वह हर जगह जा रहे हैं, खुद ही नहीं दूसरों को जिताने की कोशिश में लगे हैं।
तो मोदी जी का नाम इसलिए आगे रखा जाता है, ताकि सत्ताविरोधी लहर या अंदरूनी लड़ाई को कम किया जाए?
जी नहीं, सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए नहीं, प्रो इनकंबेंसी को बढ़ाने के लिए किया जाता है और जिस लड़ाई की बात आप कह रहे हैं, वह लड़ाई नहीं स्वस्थ मतभेद होता है। हम मिल बैठकर उसे भी दूर कर लेते हैं।
लोगों का कहना है कि पार्टी के विश्वास में भी कुछ कमी आई है, क्योंकि इस बार आपकी पार्टी ने अपनी ही कुछ परंपरा को छोड़ दिया है। उन चेहरों पर भी भरोसा जताया जो हार रहे थे, उम्र की सीमा को भी नजरअंदाज किया, बड़ी संख्या में उम्मीदवार बदलने का भी जोखिम नहीं लिया?
मैं कहूंगा कि आपके देखने का तरीका गलत है। भाजपा हमेशा प्रयोग करती रहती है। सारे प्रयोग बरकरार रहते हैं, या नए प्रयोग नहीं करने हैं ऐसा नहीं है। सफलता के अनुसार हम स्थिति को बदलते रहते हैं। कई बार कुछ अपवाद आते हैं। मैंने आपको शुरू में कहा कि रणनीति के अनुसार कई चीजें बदलती रहती है और आप कहेंगे कि हमने परंपरा बदल दी। हम अपने सिद्धांतों के साथ व्यवहारिक रूप से चलते हैं।
मध्य प्रदेश हो या राजस्थान या छत्तीसगढ़, यहां के जो पुराने बड़े चेहरे रहे हैं, वह आगे भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं?
मुख्यमंत्री तो चुनाव के बाद तय किए जाते हैं। विधायक दल की बैठक होती है। इसमें दौड़ जैसी बात नहीं है, लेकिन मैं और आगे की भी बात करता हूं.. और आगे बढ़ने की राह भी खुली है।
विपक्ष का आरोप है कि भाजपा राजनीतिक प्रतिशोध के साथ काम कर रही है और चुनाव जीतने के लिए जांच एजेंसियों का दुरूपयोग किया जा रहा है।
यह तो कोरा आरोप है, इसमें कोई तथ्य नहीं है। देखिए ये सभी लोग तो लंबे समय से कानून की निगाह में कठघरे में थे, लेकिन उनसे रियायत बरती जा रही थी। मोदी जी ने तो लालकिले से कह दिया कि दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा। उन्हें जो विशेष रियायत मिल रही थी अब वह खत्म हो गई। उन्हें सिर्फ इसलिए छूट नहीं मिल सकती है कि वह खास परिवार, खास दल से हैं। अगर नियम के विरुद्ध कार्रवाई हो रही होती तो उन्हें कोर्ट से राहत क्यों नहीं मिल रही है। वह आरोप जो भी लगाएं, जनता तो सच्चाई को जान रही है।
छत्तीसगढ़ में महादेव एप का मामला तो चुनाव से ठीक पहले आया है। समय महत्वपूर्ण है?
लेकिन यह भी तो देखिए कि ये मामला इस समय कैसे आया। एक व्यक्ति जो लंबे समय से निगरानी में था उसे फोन कॉल आया कि भारत लौटो, बघेल से मिलो, वह पैसे मांग रहा है, आदि आदि। अब कोई चुनाव के समय पैसे मांग रहा है, उसे दिया जा रहा है तो इसमें एजेंसी ने क्या किया। आरोप से सच्चाई को बदल तो नहीं सकती है।
लेकिन केवल विपक्ष के नेताओं पर ही कार्रवाई क्यों हो रही है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा वॉशिंग मशीन है, जो साथ गया वह निष्कलंक हो जाता है।
भाजपा तो एजेंसी के काम में कोई हस्तक्षेप करती ही नहीं है। मेरी जानकारी में तो ऐसा कोई मामला नहीं है जो वापस लिया गया हो। एजेंसी के कामकाज का तरीका होता है। नोटिस जाता है, जवाब मांगा जाता है। आगे भी जांच चलती है, फिर एजेंसी फैसला लेती है।
जातिगत जनगणना और आबादी के अनुसार हिस्सेदारी को विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया है। बिहार में आपकी पार्टी ने भी समर्थन दिया है, लेकिन क्या यह संवैधानिक है?
हां, हमने समर्थन किया है, लेकिन बिहार में जिस तरह सर्वे किया गया वही सवालों के घेरे में है। जो बड़ी बात है वह यह कि बिहार में एक खास जाति के लिए पिछड़ी जातियों का विकास रोका गया है।
महिला आरक्षण भाजपा सरकार ने पारित करा दिया। क्या इसका फायदा इस चुनाव में आपको दिख रहा है?
देश की महिलाओं को पता है कि उनका सही मायने में विकास तो केंद्र की मोदी सरकार ही कर रही है और आगे भी करती रहेगी। हर क्षेत्र में उनका बढ़ता योगदान आप आंकड़ों में भी देख सकते हैं। महिला आरक्षण भी उसी दिशा में है। महिलाएं मोदी जी ओर ही देख रही हैं, लेकिन हमने जो कानून बनाया वह राजनीतिक फायदे के लिए नहीं बनाया है।
कर्नाटक में लंबे इंतजार के बाद आपने बीएस येद्दयुरप्पा के पुत्र विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। आप क्या संदेश देना चाहते हैं?
पहली बात तो यह है कि विजयेंद्र अपनी क्षमता के आधार पर नेता है। संगठन में वह लंबे समय से काम भी कर रहे थे और भाजपा को उनका फायदा भी हो रहा था। वह युवा हैं और उनकी नियुक्ति साफ संदेश है। भाजपा कर्मठ युवाओं को महत्व देती है।
तो क्या माना जाए कि कर्नाटक संगठन भी पूरी तरह बदलेगा?
हम तो हमेशा से अच्छे के लिए बदलाव के समर्थक रहे हैं। वहां भी आपको चीजें दिखेंगी।
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