Exit Poll 2024: महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बन सकती है सरकार, बताएंगे एग्जिट पोल; जानें सबकुछ
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार राज्य भर में मतदान समाप्त होने के बाद ही एग्जिट पोल की भविष्यवाणी जारी की जा सकती है। देश के मीडिया हाउस महाराष्ट्र और झारखंड दोनों के लिए इन एग्जिट पोल को 20 नवंबर को शाम साढ़े छह बजे से प्रसारित कर सकते हैं। एग्जिट पोल के नतीजे चुनाव के बाद इसलिए जारी किए जाते हैं ताकि मतदाता का ध्यान न भटके।
जागरण डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र-झारखंड में इस बार आर पार की लड़ाई है। महाराष्ट्र और झारखंड में मतदाता अपनी अगली सरकार चुनने के लिए वोट डालेंगे। जहां आज झारखंड में दूसरे चरण (38 सीटों) का मतदान हो रहा है, वहीं महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर एक ही चरण में वोट डाले जा रहे हैं। वोटिंग बुधवार सुबह सात बजे शुरू होगी और शाम छह बजे तक चलेगी।
एग्जिट पोल कब देख सकते हैं
भारत निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य भर में मतदान समाप्त होने के बाद ही एग्जिट पोल की भविष्यवाणी जारी की जा सकती है। वेबसाइट या मीडिया हाउस महाराष्ट्र और झारखंड दोनों के लिए इन एग्जिट पोल को 20 नवंबर को शाम साढ़े छह बजे से प्रसारित कर सकते हैं। एग्जिट पोल के नतीजे चुनाव के बाद इसलिए जारी किए जाते हैं ताकि मतदाता का ध्यान न भटके।
इन एग्जिट पोल के शीघ्र जारी होने से अनिश्चित मतदाता प्रभावित हो सकते हैं या अप्रत्याशित प्रभाव पड़ सकता है, जो चुनाव के परिणाम को गलत तरीके से प्रभावित कर सकता है। एग्जिट पोल सौ फीसदी कभी सही नहीं रहे हैं। एग्जिट पोल के नतीजे कई बार परिणाम के उलट दिखाई पड़े हैं। इसलिए प्रत्याशी और जनता को एग्जिट पोल पर भरोसा भी नहीं करना चाहिए।
झारखंड में आर-पार का मुकाबला
महाराष्ट्र में महायुति सत्ता में वापसी के लिए लड़ रहा है तो झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला संप्रग इस कोशिश में है। रोचक तथ्य यह है कि इन दोनों में कहीं भी नेतृत्व सीधे कांग्रेस के हाथ में नहीं है लेकिन दांव कांग्रेस का ही ज्यादा है। दरअसल अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करता है। माना जा रहा है कि 62 सीटों वाले महाराष्ट्र के विदर्भ में ही सत्ता की चाभी है जहां सीधा टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच है।
वहीं झारखंड में 30 सीटों पर लड़ रही कांग्रेस का चुनाव प्रचार सहयोगी दल झामुमो के मुकाबले फीका रहा। यानी प्रदर्शन ठीक नहीं रहा तो दोनों राज्यों में सहयोगी दल ही कांग्रेस पर ठीकरा फोडेंगे। अगर दम दिखा पाए तो हरियाणा के बाद खोए नेतृत्व के प्रयास की कोशिश हो सकती है।
महाराष्ट्र में अस्तित्व बचाने की लड़ाई
महाराष्ट्र क्षेत्रीय दलों के लिहाज से भी रोचक है। कई दशक से भाजपा व शिवसेना और कांग्रेस व राकांपा के बीच सीधा मुकाबला वाले महाराष्ट्र में पहली बार विधानसभा चुनाव में चार दल आपस में टकरा रहे हैं। राकांपा में हुई टूट के बाद शरद पवार गुट कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी महाविकास आघाड़ी गठबंधन के साथ है, तो उनके भतीजे अजित पवार भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ महायुति गठबंधन के साथ हैं।
इसी तरह से शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट महाअघाड़ी के साथ तो एकनाथ शिंदे गुट महायुति के साथ है। शरद पवार, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे चारों के लिए यह चुनाव राजनीतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई बन गई है।