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लोकतंत्र को कमजोर बना रही शहरी मतदाताओं की निष्क्रियता, नहीं डालने आते वोट; चुनाव आयोग की बढ़ी चिंता

चुनाव आयोग ने शहरी क्षेत्रों में वोटिंग को लेकर मतदाताओं की निष्क्रियता पर गहरी चिंता जताई और इसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाली स्थिति बताई है।आने वाले दिनों में महाराष्ट्र व झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले है। महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव में शहरी क्षेत्रों में मतदान राज्य के औसत मतदान से काफी कम था। वोट डालने को लेकर शहरी क्षेत्रों में बहुत चिंतनीय स्थिति है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 17 Oct 2024 06:56 AM (IST)
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लोकतंत्र को कमजोर बना रही शहरी मतदाताओं की निष्क्रियता

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सशक्त लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि सरकारों को चुनने में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी हो, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। प्रत्येक चुनाव में अभी भी बड़ी संख्या में मतदाता हिस्सा नहीं ले रहे हैं। खासकर शहरी क्षेत्रों में बहुत चिंतनीय स्थिति है, जहां राज्य के औसत मतदान से भी लगभग 20 प्रतिशत कम वोटिंग होती है।

आयोग ने शहरी क्षेत्रों में वोटिंग को लेकर मतदाताओं की निष्क्रियता पर गहरी चिंता जताई और इसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाली स्थिति बताई है।आने वाले दिनों में महाराष्ट्र व झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले है। महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव में शहरी क्षेत्रों में मतदान राज्य के औसत मतदान से काफी कम था।

शहरों में कम हो रहा मतदान

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में महाराष्ट्र के चुनाव में कुल 64 शहरी विधानसभा सीटों में से 62 पर राज्य में हुए औसत मतदान से भी कम मतदान हुआ था। इनमें कोलाबा, कल्याण, वर्सोवा व अंधेरी वेस्ट जैसी सीटों पर राज्य के औसत मतदान से करीब 20 प्रतिशत कम मतदान हुआ था।

हरियाणा के हालिया विधानसभा चुनाव में औसत मतदान 67.9 प्रतिशत हुआ था। गुरुग्राम में 51.81 प्रतिशत और फरीदाबाद में 53.74 प्रतिशत मतदान हुआ था। जो हरियाणा में हुए औसत मतदान से करीब 14 से 16 प्रतिशत तक कम था। पंचकुला, बल्लभगढ़, सोनीपत, करनाल और बादशाहपुर में भी औसत से आठ से 15 प्रतिशत तक कम मतदान हुआ था।

शहरी मतदाता वोट डालने को लेकर मुखर नहीं

शहरी मतदाताओं की यह उदासीनता सिर्फ राष्ट्रीय और राज्य के चुनावों में ही नहीं दिखती है बल्कि वहां होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में भी दिखती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ जैसे शहर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में औसतन 59 प्रतिशत मतदान होता है। जबकि निकाय चुनाव में सिर्फ 39 प्रतिशत मतदान होता है। ऐसी ही स्थिति चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, पटना व रांची जैसे शहरों में भी देखी जा सकती है। यह स्थिति तब है जब अपनी मांगों व मुद्दों को लेकर शहरी मतदाता ही सबसे ज्यादा मुखर देखे जाते हैं।

गलत सूचनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया दें: चुनाव आयोग

चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बुधवार को झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के लिए तैनात किए जा रहे पर्यवेक्षकों को आगाह किया है कि वे चुनाव प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाले झूठे विमर्शों के खतरे के प्रति सतर्क रहें ताकि गलत सूचनाओं का त्वरित मुकाबला किया जा सके। उन्होंने गलत सूचनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया देने को कहा है।