पढ़िए- इस शख्स के टायर में पंचर लगाने से लेकर विधायक बनने का सफर
पटौदी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले पटौदी के गांव लोकरा निवासी सत्य प्रकाश जरावता ने अपनी आजीविका साइकिल के टायर में पंचर लगाने की दुकान से शुरू की थी।
By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 25 Oct 2019 08:45 AM (IST)
पटौदी/गुरुग्राम [डॉ. ओमप्रकाश अदलखा]। Haryana Assembly Election Results 2019: पटौदी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले पटौदी के गांव लोकरा निवासी सत्य प्रकाश जरावता ने अपनी आजीविका साइकिल के टायर में पंचर लगाने की दुकान से शुरू की थी। टायर पंचर लगाने से लेकर उसका विधायक बनने तक का सफर काफी संघषों भरा रहा है। उनकी यह दुकान पटौदी में ही थी।
बैंक में अधिकारी भी बने सत्यप्रकाशवहीं, उनका संर्घष रंग लाया और वे बाद में सत्य प्रकाश जरावता की नौकरी गुरुग्राम ग्रामीण बैंक में क्लर्क के पद पर लग गई। बाद में वे बैंक में अधिकारी भी बने। यहीं से उन्होंने वर्ग विशेष के लिए राजनीति भी प्रारंभ की तथा वे पूर्व आइएएस अधिकारी व दलित नेता उदित राज के संपर्क में आए एवं अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ के पदाधिकारी बने। सत्यप्रकाश जरावता लार्ड बुद्ध क्लब के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। समय-समय पर वे कर्मचारी हित में आवाज उठाते रहे। जरावता का परिवार रामपुरा हाउस से भी गहरा जुड़ा रहा तथा वे अतीत में राव इंद्रजीत सिंह के कट्टर समर्थक माने जाते थे। विधानसभा चुनाव लड़ना उनका सपना था।
राव इंद्रजीत की करीबी भी न दिला पाई 2009 में टिकटराव इंद्रजीत सिंह से मशविरा कर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियां करने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया, परंतु वर्ष 2009 में राव इंद्रजीत सिंह के प्रयासों के बाबजूद जरावता को कांगेस टिकट नहीं मिला। बाद में राव इंद्रजीत सिंह के मना करने के बाबजूद जरावता बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए एवं पराजित हुए।
राव इंद्रजीत के मना करने के बाबजूद चुनाव लड़ने से उनकी राव से दूरियां भी बनीं। बाद में पंचायत चुनावों में सत्य प्रकाश जरावता अपने वार्ड से निर्विरोध पंचायत समिति सदस्य चुने गए एवं उसके बाद पंचायत समिति चेयरमैन भी चुने गए। बाद में उन्होंने एमए एसएसबी भी की।वर्ष 2015 में सत्य प्रकाश जरावता भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें टिकट तो नहीं मिला परंतु भाजपा ने उन्हें अपना प्रदेश सहप्रवक्ता अवश्य बनाया एवं जरावता ने इस दायित्व को भली भांति निभाया भी। वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा नेता अनिल जैन, लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह के भी निकटस्थ बने।
महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज से जो जरावता पहले से ही निकटता बनाए हुए थे। उन्होंने गत वर्ष मुख्यमंत्री के चाय पर चर्चा कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री की अपने गांव लोकरा में एक सफल जनसभा भी करवाई। यद्यपि इसके बाद विधायक बिमला चौधरी ने इसको लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री के विरुद्ध एक प्रेस कांफ्रेंस की।विधायक बिमला चौधरी की यही गलती शायद उनका टिकट कटने का कारण बनी एवं भाजपा ने जरावता को टिकट दे दिया। भाजपा का टिकट मिलने के बाद भी जरावता की दुश्वारियां कम नहीं हुई एवं संघ तथा भाजपा से जुड़े रहे भाजपा टिकट के एक दावेदार एवं पूर्व सरपंच नरेंद्र पहाड़ी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। उन्हें जहां स्थानीय अनेक संघ कार्यकर्ताओं तथा कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं का साथ मिला वहां किसी कट्टर राव समर्थक को टिकट न मिलने से गुस्साए अनेक राव समर्थकों ने बाकायदा पंचायत कर पहाड़ी का समर्थन कर दिया। इससे लोगों को लग रहा था कि भाजपा के वोट दो उम्मीदवारों में बंटने से भाजपा की जीत शायद न हो पाए। परंतु जरावता ने शानदार 44.2 प्रतिशत मत लेकर 36,603 मतों के अंतर से शानदार जीत हासिल की।
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