JK Panchayat Election: कांग्रेस ने की मांग- राज्य निर्वाचन आयोग की निगरानी में हो नगर निकाय चुनाव
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा स्थानीय नगर निकायों के चुनावों को प्रदेश चुनाव आयोग के दिशा निर्देश और नियंत्रण में न कराया जाना संविधान के 74वें संशोधन का उल्लंघन है। हमें इस बात की हैरानी हे कि ग्राम पंचायतों के चुनाव प्रदेश चुनाव आयोग द्वार कराए जा रहे हैं जबकि नगर निकाय के चुनाव मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा कराए जाएंगे।
By Mohammad SameerEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sun, 24 Sep 2023 05:00 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, जम्मू: कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में स्थानीय नगर निकाय और पंचायत चुनाव अलग-अलग चुनाव प्राधिकारों के अधीन कराए जाने के प्रदेश प्रशासन के फैसले पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है। प्रशासन को अपना फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
मनोज सिन्हा को पत्र लिखा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विकार रसूल वानी ने इस संदर्भ में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को एक पत्र भी लिखा है। विकार रसूल वानी ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को लिखे पत्र में कहा है कि संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार प्रदेश चुनाव आयोग की निगरानी में ही जम्मू कश्मीर में स्थानीय नगर निकाय और पंचाय चुनाव कराए जाने चाहिए। जम्मू कश्मीर में सिर्फ पंचायत चुनाव ही प्रदेश चुनाव आयेाग की निगरानी में कराए जाते हैं।
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उन्होंने कहा कि स्थानीय नगर निकायों के चुनावों को प्रदेश चुनाव आयोग के दिशा निर्देश और नियंत्रण में न कराया जाना संविधान के 74वें संशोधन का उल्लंघन है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि हमें इस बात की हैरानी हे कि ग्राम पंचायतों के चुनाव प्रदेश चुनाव आयोग द्वार कराए जा रहे हैं जबकि नगर निकाय के चुनाव मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा कराए जाएंगे।यह अवैध है और संविधान का उल्लंघण है। उन्होंने कहा कि आखिर प्रदेश प्रशासन यह दोहरा मापदंड क्यों अपना रहा है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को लिखे अपने पत्र की पुष्टि करते हुए विकार रसूल वानी ने कहा कि हमने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से आग्रह किया है कि वह संविधान की अवमानना को रोकें और प्रदेश में सभी नगर निगमों व नगर निकायों के चुनाव एक निष्पक्ष और स्वतंत्र प्रदेश चुनाव आयोग की निगरानी में ही कराए जाएं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही संविधान में 73वां और 74वां संशोधन लागू कराया है। जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस के प्रयासों से ही यह संशोधन लागू हुए हैं जिससे पंचायत राज संस्थानों और नगर निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिला है।