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Jharkhand Assembly Election 2019: विश्रामपुर में संरचना पर रहा जोर, सेवा-सुविधाओं का नहीं ओर-छोर

Jharkhand Assembly Election 2019. स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में कई काम हुए हैं। लेकिन अभी भी समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं। बिजली की किल्लत व पेयजल संकट से लोग परेशान हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Wed, 25 Sep 2019 03:42 PM (IST)
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Jharkhand Assembly Election 2019: विश्रामपुर में संरचना पर रहा जोर, सेवा-सुविधाओं का नहीं ओर-छोर

मेदिनीनगर, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 - पलामू जिला के विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र की धमक झारखंड की सत्ता में लंबे समय से रही है। पूर्व में कांग्रेस के ददई दुबे यहां से जीतकर मंत्री बनते रहे, वहीं वर्तमान में भाजपा के विधायक मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी पर सूबे की सेहत सुधारने की महती जिम्मेदारी है। शिक्षा व सेहत के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में उनके खाते में कुछ राज्यस्तरीय उपलब्धियां भी हैं। इनमें अस्पतालों के भवन निर्माण से लेकर मेडिकल कॉलेज और निजी शिक्षण संस्थानों का खोला जाना भी शामिल है।

बात विश्रामपुर की करें तो तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में यह विधानसभा क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से आगे दिखता है। यहां इंजीनियरिंग कॉलेज, बीएड कॉलेज, पॉलीटेक्निक कॉलेज, आइटीआइ, एएनएम-जीएनएम कॉलेज, फार्मासिस्ट कॉलेज, महिला कॉलेज समेत अधिकतर संस्थान पीपीपी मोड पर खोले गए हैं। इन तकनीकी संस्थानों को खोले जाने से यहां के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है। हालांकि चिकित्सा सेवाओं की हालत उतनी अच्छी नहीं कही जा सकती।

मंत्रीजी ने चिकित्सीय व्यवस्था में सुधार करने की कुछ कोशिशें की हैं पर चिकित्सकों की कमी से यह प्रभावी नहीं हो पाया है। क्षेत्र में रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केंद्र के नए भवन बनाए गए हैं। बावजूद आज भी केंद्रों का संचालन पुराने ढर्रे पर हो रहा है। ढांचागत विकास बिजली के मुद़दे पर दम तोड़ रहा है। यहां की बिजली उत्तर प्रदेश के रिहंद और बिहार के सोननगर पर निर्भर है। विश्रामपुर में 12 घंटे तो मंझिआंव प्रखंड में महज 4-5 घंटे ही बिजली मिल रही है।

उधर सरकारी स्कूलों की शिक्षा बदहाल है। शिक्षकों की कमी से लेकर व्यवस्थागत खामियां शिक्षण व्यवस्था पर हावी है। सड़कों की बात करें तो विश्रामपुर से पांडू व मझिआंव से गढ़वा जाना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बना है। सड़कें बनी हैं, लेकिन गुणवत्ता की कमी से इसके झटके आम लोग झेल रहे हैं। गढ़वा से मझिआंव जाने के क्रम में 20 किलोमीटर की दूरी तय करने में यात्री से लेकर वाहन चालक तक हलकान हो जाते हैं।

कोयल नदी के किनारे बसे मझिआंव, ऊंटारी रोड, करकट्टा, सतबहिनी जैसे इलाके में आज भी पेयजल एक बड़ी समस्या है। खजूरी जलाशय योजना जहां धरातल पर नहीं उतर सकी है। वहीं लब्जी जलाशय योजना अनदेखी का शिकार है। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न हो पाने से किसानों का पूरा साल एक फसली कृषि पर निर्भर है। रोजगार सृजन के इंतजाम न होने से ग्रामीणों की बड़ी आबादी आज भी रोजगार के लिए भटकने को विवश है। क्षेत्र से मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है।

क्षेत्र का किया सर्वागीण विकास : चंद्रवंशी

मैंने अपने विधानसभा में हर क्षेत्र में काम किया है। राज्य के अन्य इलाकों के अलावा अपने क्षेत्र में भी कई चिकित्सा के संस्थान खोले। सात पीएचसी व 20 एसएससी बनाया है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया है। छोटे-बड़े नदी व नालों पर तकरीबन दो दर्जन से अधिक पुल पुलिया का निर्माण कराया गया। वहीं प्रदेश में छह मेडिकल कॉलेज बनने का काम शुरू हुआ। झारखंड को एम्स मिला और जिला अस्पतालों में आइसीयू बनाने का काम किया। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी भी दूर की और रिम्स में कई सुधार किए।

विकास में एक कदम भी नहीं बढ़े आगे : अंजू

पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहीं निर्दलीय प्रत्याशी अंजू सिंह कहती हैं कि विश्रामपुर विधान सभा क्षेत्र का कहीं भी विकास नहीं हुआ है। स्वास्थ्य केंद्र के बड़े-बड़े भवन तैयार हैं। बावजूद चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। दवा भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलती है। विकास के नाम पर लूट मची रही। स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने क्षेत्र का विकास न कर केवल अपना विकास किया है।

यह विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में खुली आंखों से देखा जा सकता है। गरीबी व बेरोजगारी से तंग क्षेत्र के युवा पलायन को मजबूर हैं। सड़कें बदहाल हैं और बिजली संकट बरकरार है। सिंचाई की कोई प्रभावी योजना धरातल पर नहीं उतरी। गरीबों का कोई काम नहीं हो रहा है।