'मैं गुस्सैल नहीं, सच कहती हूं...'; परदादा कांग्रेस से विधायक थे; मंडी या मुंबई में रहने से लेकर तमाम सवालों पर कंगना रनौत के बेबाक जवाब
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के छोटे से गांव भांबला की छोटू यानी अभिनेत्री कंगना रनौत ने हिमाचल के लगभग एक तिहाई भूभाग में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र से अब वह भाजपा प्रत्याशी हैं। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली हिमाचल की पहली महिला उम्मीदवार कंगना रनौत के साथ मंडी के मुख्य संवाददाता हंसराज सैनी ने कई विषयों पर बातचीत की...
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के छोटे से गांव भांबला की छोटू यानी कंगना रनौत ने फिल्म जगत में किस्मत आजमाने के लिए 18 साल की उम्र में मुंबई का रुख किया था। कड़ा परिश्रम किया। चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीते, पद्मश्री पाया। हिमाचल के लगभग एक तिहाई भूभाग में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र से अब वह भाजपा प्रत्याशी हैं। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली हिमाचल की पहली महिला उम्मीदवार कंगना रनौत के साथ मंडी के मुख्य संवाददाता हंसराज सैनी ने कई विषयों पर बातचीत की...
सवाल: चुनाव के लिए मंडी ही क्यों चुना?
जवाब-आज देश सबसे बेहतरीन दौर से गुजर रहा है। लोग एक परिवार की राजनीति से बाहर निकल कर विकास की राजनीति पर विश्वास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास विजन है और बिना लालच, बिना थके, बिना स्वार्थ राष्ट्र निर्माण का संकल्प सच्चे मन से कर रहे हैं तो कोई भी विरोधी ताकत आपको नहीं रोक सकती।मोदी जी की इसी विशेषता से प्रेरित होकर राजनीति में आई हूं। मैं मंडी में पैदा हुई हूं। मेरी जन्मभूमि मंडी है। इसीलिए मंडी से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। मेरे परदादा भी मंडी जिले से ही कांग्रेस के विधायक रहे, क्योंकि उन दिनों और दल था ही नहीं। यदि वह अब होते तो भाजपा में ही होते, क्योंकि भाजपा ही विकास की बात करती है, अन्य दल परिवार की।
सवाल: अक्सर यह कहा जाता है कि कंगना रनौत गुस्से में बात करती हैं?
जवाब- मैं कभी गुस्सा नहीं करती हूं। हां, मैं सच का साथ देती हूं। सत्य को मैं पूरी ताकत के साथ रखती हूं और सभी जानते हैं कि सत्य हमेशा कड़वा होता है।1952 से लेकर अब तक के सभी लोकसभा चुनावों की जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
सवाल: आपका टिकट तय होने के बाद अशोभनीय टिप्पणी हुई। आपदा में गायब होने के आरोप पर क्या कहेंगी?
जवाब -कांग्रेस की मानसिकता महिला विरोधी रही है, परंतु कांग्रेस की महिला नेता की टिप्पणी ज्यादा पीड़ादायक इसलिए है कि उन्होंने एक महिला होकर मेरा ही अपमान नहीं किया, देवभूमि की लाखों महिलाओं का भाव लगाकर उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाई। यह टिप्पणी केवल सुप्रिया श्रीनेत की नहीं है, यह कांग्रेस की मानसिकता है। जितना संभव था, मैंने भी किया। मुझ पर प्रश्नचिह्न खड़े करना कांग्रेसी युवराज की कुंठा और चुनावी दबाव है और कुछ नहीं।
सवाल: गोमांस पर विरोधी आपको घेर रहे हैं, आपका क्या कहना है?
जवाब -शायद लोगों ने मेरी वह पूरी पोस्ट पढ़ी ही नहीं। मैं दूसरे लोगों से भिन्न नहीं हूं। जैसे आपके और अन्य बच्चे होते हैं, मैं भी बिल्कुल वैसी ही थी। मतलब बच्चों को किसी चीज से दूर करना चाहेंगे, वह उसकी जिद और अधिक करेंगे। दूसरी बात हर इंसान के जीवन में 17 से 20 की उम्र में भटकाव भी होता है, परंतु महत्वपूर्ण यह है कि वह कितनी जल्दी अपने को संभालता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। मुझे सनातनी, हिंदू, राष्ट्रवादी और भारतीय होने पर गर्व है। यह भी पढ़ें -'...इससे चुनाव जीतने का मजा नहीं', पढ़ें बहुमत की बात पर कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव का बेबाक इंटरव्यूसवाल: अक्सर देखा गया है कि स्टारों के राजनीति में अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। क्या आपको ढूंढने मुंबई जाना पड़ेगा?
जवाब -मैं मातृभूमि से चुनाव लड़ रही हूं। मंडी संसदीय क्षेत्र के हक व विकास के लिए आप कंगना को अपने बीच पाएंगे। कंगना और मंडी संसदीय क्षेत्र को अब कोई अलग नहीं कर सकता। कांग्रेसी भाइयों को यह प्रश्न सोनिया गांधी जी से भी पूछना चाहिए जो अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में अंतिम बार जनवरी 2020 में गई हैं। वहां पर गांधी परिवार के खिलाफ भारी रोष है। यही कारण है कि अमेठी के बाद अब गांधी परिवार रायबरेली से भी पलायन कर चुका है।