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Lok Sabha Election 2019: ऑल वेदर रोड: चुनाव का मौसम, सियासत का सफर

लोकसभा चुनाव में सियासी दलों के लिए भी ऑल वेदर रोड मुद्दा बना हुआ है। भाजपा इसे अपने लिए सियासी लाइफलाइन मानकर लपक रही है। कांग्रेस इस पिछली यूपीए सरकार में स्वीकृत बता रही है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 02 Apr 2019 09:39 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2019: ऑल वेदर रोड: चुनाव का मौसम, सियासत का सफर
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री को जोडऩे वाली ऑल वेदर रोड धार्मिक, पर्यटन व सामरिक लिहाज से तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही ऑल वेदर रोड और भारतमाला परियोजना के रोड नेटवर्क और इससे जुड़ा मामला लोकसभा चुनाव में सियासी दलों के लिए भी मुद्दा बना हुआ है। भाजपा इसे अपने लिए सियासी लाइफलाइन मानकर लपक रही है, वहीं कांग्रेस इस परियोजना को केंद्र की पिछली यूपीए सरकार में स्वीकृत बताकर भाजपा के प्रचार को भौंथरा करने की कोशिश में है। चुनाव में उम्मीदों की यह सड़क एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है।

पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्रों से जुड़ी इस राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को भाजपा जहां केंद्र की बड़ी सौगात के तौर पर अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना रही हैं। हालांकि, इसके निर्माण से स्थानीय लोगों को हुई परेशानी मसलन, दुकानों व घरों का टूटना व समुचित मुआवजा न मिलने की नाराजगी से भी उसे दो-चार होना पड़ेगा। वहीं, कांग्रेस इस पर पर्यावरण की अनदेखी और मुआवजा वितरण में धांधली के आरोप लगाते हुए केंद्र व राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करने की जुगत में है। सूरतेहाल, आने वाले दिनों में आल वेदर रोड भी सियासत के केंद्र में रहेगा।

चीन और नेपाल की सीमा से सटी चारधाम सड़क महायोजना यानी ऑल वेदर रोड केंद्र सरकार के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। इस परियोजना के तहत प्रदेश के चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री को एक साथ जोड़कर वर्षभर निर्बाध यातायात सुचारू करना है। इसके लिए इन मार्गों पर सड़क के चौड़ीकरण के साथ ही यात्रियों के लिए अवस्थापना सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। 11170 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का वर्ष 2016 में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभारंभ किया था। इसके बाद से ही यह योजना भाजपा के मुख्य एजेंडे में शामिल है।

बीते विधानसभा चुनावों में भाजपा ने चारधाम मार्ग में आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों में इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया था। इस बार भी भाजपा इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में प्रचारित कर रही है। दावा किया जा रहा है कि इससे न केवल प्रदेश में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी बल्कि स्थानीय लोगों के सामने भी वर्षभर रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य बड़े नेताओं की सभा में इस मुद्दे का उठना तय है। 

कांग्रेस भी ऑल वेदर रोड को भाजपा द्वारा लपके जाने पर अपनी नजर रखे हुए है और इसकी काट पर भी जुट गई है। कांग्रेस विभिन्न मंचों से ऑल वेदर रोड के निर्माण के दौरान हो रही अनदेखी से पर्यावरण असंतुलन और मुआवजा वितरण में धांधली का आरोप लगा चुकी है। इसके लिए स्थानीय लोगों द्वारा मुआवजा वितरण को लेकर स्थानीय स्तर पर किए गए आंदोलनों व शिकायतों को आधार बनाया जा रहा है। गंगोत्री के मातली गांव निवासी चंद्रमोहन नौटियाल कहते हैं कि ऑलवेदर सड़क के निर्माण का लाभ स्थानीय लोगों के साथ चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी मिलेगा। अलबत्ता, ऑल वेदर रोड का जो सर्वे कर रहे हैं, वह मानकों के अनुरूप नहीं हुआ है। किसी को मुआवजा दिया जा रहा है और किसी को नहीं, इससे लोगों में आक्रोश है।

यमुनोत्री क्षेत्र के ब्रह्मखाल निवासी विजय बडोनी का कहना है कि ऑलवेदर पहाड़ के लिए महत्वपूर्ण है।  धरासू-यमुनोत्री हाईवे पर ऑलवेदर के तहत सुरंग का निर्माण चल रहा है।

इससे यमुनोत्री धाम की दूरी 25 किलोमीटर कम हो जाएगी। लेकिन, ऑलवेदर रोड निर्माण में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना चाहिए। रुद्रप्रयाग बाजार के व्यापारी राजेश सेमवाल कहते हैं कि ऑलवेदर रोड निर्माण में कई तरह की खामियां हैं। मुख्य बाजारों को तोड़ा जा रहा है, वर्षों से जमी हुई दुकानों को तोड़ा जा रहा है। सरकार को ऑलवेदर रोड की जद में आने वाले सभी लोगों के रोजगार को बचाना चाहिए थे। इससे लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित महेश बगवाड़ी के मुताबिक ऑलवेदर रोड का कार्य गुणवत्तापरक हो और समय से पूरा हो।

ऐसे अस्तित्व में आई यह परियोजना

उत्तराखंड में जून 2013 में आई आपदा के बाद से ही चारधाम के लिए ऐसा मार्ग बनाने पर विचार किया गया, जिस पर वर्ष भर आवाजाही बनी रहे। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में ऑल वेदर रोड परियोजना की मंजूरी दी और इसी वर्ष इसका शिलान्यास भी किया गया।

राष्ट्रीय, सामरिक और क्षेत्रीय महत्व अहम

ऑल वेदर रोड परियोजना न केवल  राष्ट्रीय और सामरिक लिहाज से अहम है बल्कि आर्थिकी के लिहाज से भी यह बेहद महत्वूपर्ण है। दरअसल, उत्तराखंड की एक बड़ी आबादी की आर्थिकी चारधाम मार्ग पर टिकी है। चारधाम यात्रा के दरम्यान बरसात में यात्रा मार्गों के बाधित होने से दिक्कतें बढ़ जाती हैं। ऐसे में परियोजना के आकार लेने पर चारधाम यात्रा मार्गों पर आवाजाही सुलभ रहने से सैलानियों और श्रद्धालुओं को सहूलियत मिलेगी ही, स्थानीय स्तर पर आजीविका के साधन विकसित होने से आर्थिकी संवरेगी।

बोले नेता

  • देवेंद्र भसीन (मीडिया प्रमुख, भाजपा) का कहना है कि ऑल वेदर रोड उत्तराखंड के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे राज्य में पर्यटन में तेजी आएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। मुख्य मार्ग के बेहतर होने से विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे। इससे लोगों के जीवन  व रहन-सहन में भी बदलाव आएगा। सामरिक दृष्टि से सीमांत क्षेत्रों की सुरक्षा में भी इस महापरियोजना से मजबूती मिलेगी। इतना ही नहीं यह पलायन रोकने में भी खासी अहम भूमिका निभाएगी। इस मार्ग के बनने से केवल पर्यटन सीजन में चलने वाली यात्राएं वर्ष भर की यात्राओं के रूप में परिवर्तित होगी। इससे न केवल स्थानीय लोगों को वर्षभर रोजगार मिलेगा बल्कि आर्थिकी भी मजबूत होगी।
  • मथुरादत्त जोशी (मुख्य प्रवक्ता प्रदेश काग्रेस कमेटी) का कहना है कि ऑल वेदर रोड परियोजना को सियासी मुद्दा नहीं बनाया जा सकता। इस परियोजना को सबसे पहले केंद्र की पिछली कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने मंजूरी दी थी। इसे चार धाम यात्रा मार्ग परियोजना के रूप में स्वीकृत किया था। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों से जोडऩा और ऐसे मार्ग का निर्माण रहा, जो बरसात या अन्य किसी भी मौसम में बाधक न हो, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने पिछली सरकार की योजना का नाम बदल दिया, नाम बदलने से उक्त परियोजना पर किसी दल विशेष का ठप्पा नहीं लगाया जा सकता। भाजपा के पास बताने के लिए कुछ भी नहीं है, लिहाजा उसके नेता कांग्रेस कार्यकाल की योजनाओं पर अपनी मुहर लगाकर प्रचारित कर रहे हैं। 
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