कांग्रेस ने रचा था चक्रव्यूह! ग्वालियर सीट पर 1984 के चुनाव में हुआ था 'खेला', जब माधवराव सिंधिया से हार गए अटलजी, पढ़िए पूरी कहानी
Lok sabha Election 2024 1984 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से चुनावी रण में उतरे थे। अटलजी की जीत में कोई बड़ी बाधा नहीं थी क्योंकि ग्वालियर में कांग्रेस ने अपनी प्रत्याशी के रूप में विद्या राजदान को चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन ऐनवक्त पर कांग्रेस की रणनीति से बाजी पलट गई। जानिए क्या था पूरा मामला?
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। राजनीति में दांव-पेंच और शह-मात का खेल कोई नई बात नहीं हैं। चुनाव में जीत के लिए रणनीतियां बनती हैं, चक्रव्यूह रचे जाते हैं। ऐसी रणनीतियों में कभी कभी बड़े दिग्गज के हाथ से भी बाजी निकल जाती है। साल 1984 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर सीट पर ऐसा ही 'खेला' हुआ था, जब ऐनवक्त पर कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया ने नामांकन पत्र भर दिया और अटलजी को हार का सामना करना पड़ा। दरअसल, 1984 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से चुनावी रण में उतरे थे। अटलजी की जीत में कोई बड़ी बाधा नहीं थी, क्योंकि ग्वालियर में कांग्रेस ने अपनी प्रत्याशी के रूप में विद्या राजदान को चुनावी मैदान में उतारा था।
ऐनवक्त पर माधवराव सिंधिया ने ली एंट्री, और...
कांग्रेस खेमे में भी इस बात को लेकर चर्चा थी कि अटलजी के खिलाफ विद्या राजदान को क्यों उतारा गया, लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और ही 'खेल' चल रहा था। 28 नवंबर को ग्वालियर सीट पर नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन था। उसी दिन दोपहर में अचानक माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर सीट के लिए पर्चा भर दिया।Chunavi किस्सा: एक राजा जिसने गद्दी संभाली और लगातार तीन बार जीता चुनाव, फिर क्यों मंत्री बनने से कर दिया इनकार, वजह जान हो जाएंगे हैरान
राजमाता सिंधिया ने अटलजी के लिए किया था प्रचार
दरअसल, 1984 के लोकसभा चुनाव में अटलजी ने अपने पैतृक संसदीय क्षेत्र ग्वालियर से चुनाव लड़ने का निर्णय किया था। उस समय अटलजी की काफी लोकप्रियता थी। ग्वालियर सीट पर उन्हें तत्कालीन बीजेपी वाइस प्रेसिडेंट राजमाता विजयाराजे सिंधिया का साथ मिल रहा था। राजमाता सिंधिया अपने बेटे माधवराव सिंधिया के लिए प्रचार न करके अटलजी के लिए प्रचार कर रही थीं। चुनाव प्रचार के दौरान राजमाता ने अटलजी को अपना सपूत बताया था। राजमाता के भाषण के अंतिम शब्द थे कि 'एक तरफ सपूत है, तो दूसरी तरफ पूत, अब फैसला जनता को करना है'।
जानिए कैसे पलटा पासा?
अटलजी ने ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय किया तो उस समय उनके जीतने की संभावनाएं काफी प्रबल मानी जा रही थी। माधवराव सिंधिया गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटे थे। लेकिन कांग्रेस की रणनीति की वजह से पासा ही पलट गया। आखिरी वक्त पर कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया का नामांकन पत्र ग्वालियर से भरवा दिया। समय इतना कम था कि अटलजी ग्वालियर से महज 80 किलोमीटर की दूरी पर भिंड लोकसभा क्षेत्र से दूसरा नामांकन पत्र भरने में असमर्थ रहे। इसके बाद ग्वालियर सीट पर हुए चुनाव में अटलजी की हार हुई और माधवराव विजयी रहे।
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