Move to Jagran APP

'हम राम के पुजारी, भाजपा राम की व्यापारी', बिहार की सियासत पर क्या बोले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह

Bihar Lok Sabha Election बिहार में जहां भाजपा आरक्षण संपत्ति कर और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर विपक्ष पर हमलावर है तो वहीं कांग्रेस और राजद महंगाई रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच दैनिक जागरण से खास बातचीत की बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने और बिहार के सियासत से जुड़े सभी मुद्दों पर अपनी राय रखी। पढ़ें इंटरव्यू...

By Sunil Raj Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 03 May 2024 10:18 AM (IST)
Hero Image
Lok Sabha Election: बिहार में कांग्रेस और राजद इंडी गठबंधन के तहत साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
सुनील राज, पटना। Akhilesh Prasad Singh Exclusive Interview: लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर हैं। महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस भी नौ सीटों पर चुनाव जीतने का जोर लगा रही है। कांग्रेस की जीत का सारा दारोमदार पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को सौंपी है।

अखिलेश सिंह लगातार चुनावी सभाएं कर उम्मीदवारों की जीत के लिए पसीना भी बहा रहे हैं। अपनी इसी व्यस्तता के बीच डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने चुनाव से जुड़े मुद्दों राममंदिर, मंगलसूत्र, आरक्षण और महंगाई-रोजगार जैसे मसलों पर दैनिक जागरण के प्रधान संवाददाता सुनील राज से बात की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश।

प्रश्न - चुनाव शुरू हैं, कांग्रेस किन तैयारियों के साथ मैदान में है?

उत्तर - चुनाव को लेकर हमने अपनी तैयारी काफी पहले शुरू कर दी थी। हालांकि तरह-तरह की अफवाहें उड़ती थीं कि कांग्रेस को कम सीटें मिलेंगी। लेकिन मैंने पहले ही कह दिया था कि बीते चुनाव हम जितनी सीटों पर लड़े उससे कम सीटों पर नहीं लड़ेंगे और करीब-करीब उतनी ही सीटों पर हम लड़ भी रहे हैं।

प्रश्न - बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में आपके कामों का असर चुनाव पर दिखेगा?

उत्तर - यह तो जनता बताएगी। मैंने बिहार में पार्टी की जिम्मेदारी लेने के साथ कांग्रेस की सक्रियता के लिए लगातार काम किए। न्याय यात्रा के दौरान नौ सौ किमी की पद यात्रा की। सभी प्रखंड और जिलाध्यक्षों का बदलाव किया गया। इसके अलावा जिलों में सम्मेलन भी किए तो हमारी स्थिति पहले की अपेक्षा मजबूत हुई है।

प्रश्न - कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर बातें होती हैं? पार्टी बाहरी लोगों पर अधिक भरोसा करती है?

उत्तर - नहीं ऐसा नहीं है। आप का इशारा अजय निषाद और सन्नी हजारी की ओर है। सन्नी हजारी के पिता भले ही जदयू में हैं, लेकिन सन्नी के बाबा रामसेवक हजारी कांग्रेस के सक्रिय नेता थे। सन्नी हजारी का परिवार तो कांग्रेसी ही है। रही अजय निषाद की बात तो वे स्वयं आए और इच्छा व्यक्त की तो पार्टी उन्हें मना नहीं कर पाई, और महागठबंधन में उम्मीदवार घोषित होने तक एक भी निषाद समाज को प्रतिनिधित्व नहीं था, इसलिए उनके नाम पर सहमति दी गई। बाकी कोई भी बाहरी नहीं है। यह भी देखिये हमने अधिकांश सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार दिए हैं। महाराजगंज में मेरे पुत्र आकाश लड़ रहे हैं। पटना साहिब में मीरा कुमार के पुत्र को मैदान में उतारा गया है। कैंब्रिज से पढ़े लिखे व्यक्ति हैं। समझदार हैं। पटना साहिब में हम बहुत मजबूत स्थिति में नहीं रहे, लेकिन इस बार कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं।

प्रश्न - सभी दल सीट मिलते ही उम्मीदवार घोषित करते हैं, कांग्रेस हमेशा विलंब क्यों करती है?

उत्तर - नहीं ऐसा नहीं है। अलबत्ता छह सीटों पर थोड़ा विलंब हुआ है। स्क्रीनिंग में विलंब इसका कारण रहा है, लेकिन उसे बहुत देर नहीं कहा जा सकता है। पांच-छह दिन विलंब होने से चुनाव प्रचार पर इसका बहुत असर नहीं हुआ है।

प्रश्न - आरक्षण, मंगलसूत्र जैसे मुद्दे चुनाव को कितना प्रभावित करेंगे?

उत्तर - चुनाव के वास्तविक मुद्दे क्या हैं। इस देश का बिहार का बड़ा मसला है महंगाई, बेरोजगारी, भूख, नौकरी, किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य। जिस प्रकार से बीते दस वर्षों में महंगाई बढ़ी है उससे लोग बुरी तरह से परेशान हैं। गांव-घर में लोगों की थाली से दाल और सब्जी गायब हो चुकी है। किसानों का न्यूनतम मूल्य तो नहीं मिला लागत जरूर बढ़ गई। पेट्रोल-डीजल गैस सिलिंडर की कीमत ही ले लीजिए। रोजगार देने के मामले में अपना देश और पिछड़ गया है। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इन ज्वलंत मसलों से कोई मतलब नहीं। वे अचुसूचित-जाति, जनजाति का आरक्षण लेकर अल्पसंख्यक को देने और बेबुनियाद मंगलसूत्र छीनने जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। जनता भी समझ चुकी है। इसलिए दो चरणों के बाद मोदी जी ने चार सौ पार का नारा लगाना बंद कर दिया है।

प्रश्न - केंद्र में यदि आईएनडीआईए की सरकार बनी तो बिहार को विशेष दर्जा, पैकेज की क्या उम्मीद है?

उत्तर - देखिए बिहार के साथ बीते दस वर्षों में बहुत छलावा हुआ है। लेकिन, इस पद पर बैठकर मैं यह नहीं कह सकता कि बिहार को विशेष दर्जा देंगे। इसमें तकनीकी और संवैधानिक अड़चन है। लेकिन, विशेष पैकेज तो दिया जा सकता है। मोदी जी ने तो घोषणा भी की थी, लेकिन बिहार को क्या मिला। यदि केंद्र में आईएनडीआईए की सरकार बनती है तो बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग को पूरा करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

ये भी पढ़ें- खत्म हुआ सस्पेंस, रायबरेली से राहुल तो अमेठी से कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी पर लगाया दांव; लिस्ट जारी

प्रश्न - चुनाव पर राममंदिर का कितना असर पड़ता दिख रहा है?

उत्तर - कोई असर नहीं है। हम लोग भी पूरा बिहार घूम रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। जनता के बीच जा रहे हैं। लोगों का ध्यान, महंगाई रोजगार पर है। राम मंदिर के नाम पर ये लोग छलावा कर रहे हैं। असल में हम लोग राम के पुजारी हैं। भाजपा तो राम की व्यापारी है। राम तो सदा यहां थे। वे गए कहां गए थे जो ये लोग गा रहे हैं मोदी राम को लाए हैं।

प्रश्न - कांग्रेस का जो न्याय पत्र हैं बिहार में क्या नीचे के स्तर पर उसका व्यापक प्रचार हो पाया है?

उत्तर - न्याय पत्र का जितना व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए था, नहीं हुआ है। लेकिन, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि आगे के जिन चरणों में जहां चुनाव होना है पूर्व में घोषणा पत्र के प्रचार में जो कमी रह गई है आगे उसे हम घर-घर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election: दो चरणों में हुए कम मतदान ने बढ़ाई पार्टियों की चिंता, अब बूथ स्तर पर सक्रिय किए जा रहे कार्यकर्ता