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Lok Sabha Election 2024: इन जातियों को साधने वाला ही मिथिलांचल में लहराएगा पताका, जानिए किस सीट पर क्या कहते हैं समीकरण

Bihar Lok Sabha Election 2024 बिहार के मिथिलांचल में चौथे और पांचवें चरण में मतदान होगा। यहां न कोई मुद्दा है न कोई दागी और ना ही बागी। मसला है तो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी। इस गारंटी की उम्मीद पर राजग के तमाम उम्मीदवार परखे जा रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र में कुछ जातियों का समूह निर्णायक भूमिका बनाएगा। जानिए यहां पर किस सीट में क्या है समीकरण।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 21 Apr 2024 11:26 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: मिथिलांचल में पचपन पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों के समूह को पचपनिया कहा जाता है।

दीनानाथ साहनी, पटनाः बिहार के मिथिलांचल में मोदी की गारंटी वाले वोट राजग के उम्मीदवारों के हौसले बनाए हुए हैं, लेकिन इसमें पचपनिया को बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। मिथिलांचल में पचपन पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों के समूह को पचपनिया कहा जाता है। पिछले चुनाव में राजग की जीत में इस समूह की निर्णायक भूमिका रही थी।

इस बार भी राजग मिथिलांचल में अपने परंपरागत समर्थकों के साथ पचपनिया को साधने में जुटा है। 40 प्रतिशत से अधिक इन जातियों के मतदाता आम तौर पर चुनाव के दौरान मौन साधकर रहते हैं। दबंग कही जाने वाली कुछ जातियां अलग-अलग नेताओं व दलों के समर्थन में खुलकर सामने आती हैं।

2019 में कैसा था परिणाम?

मिथिलांचल में पचपनिया के बूते जदयू ने चार और भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं। सीतामढ़ी सीट पर जदयू के सुनील कुमार पिंटू ने जीत दर्ज की थी। सुपौल सीट पर जदयू के दिलेश्वर कामत जीते थे। मधेपुरा सीट से जदयू के दिनेश चंद्र यादव विजयी रहे थे। झंझारपुर में जदयू के रामप्रीत मंडल ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा सीट पर जीत दर्ज की थी। मधुबनी सीट पर भाजपा के अशोक कुमार यादव ने जीत दर्ज की थी। उजियारपुर सीट पर भाजपा के नित्यानंद रायने जीत दर्ज की थी।

दरभंगा लोकसभा क्षेत्र

मिथिलांचल की सबसे महत्वपूर्ण दरभंगा लोस सीट है। यह मिथिला लोक संस्कृति का केंद्र भी है। आम, पान, मखाना की खेती और मछली पालन के लिए प्रसिद्ध दरभंगा लोस क्षेत्र की पहचान इसके गौरवशाली अतीत और समृद्ध बौद्धिक और सांस्कृतिक परंपराओं से रही है। दरभंगा सीट पर ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव तो है, पर शांत मिजाज वाले पचपनिया मतदाताओं को बिना साधे कोई भी दल या गठबंधन नहीं जीत सकता।

झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र

झंझारपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 1972 में बना। यह इलाका भी मैथिली भाषा और संस्कृति का केंद्र है। यहां कांग्रेस, राजद, जदयू और भाजपा के जाति के अतिर उम्मीदवार जीत चुके हैं। इस सीट पर अंगड़ी जाति के अतिरिक्क पचपनिया मतदाता निर्णायक होते हैं। वैसे झंझारपुर सीट यादव, ब्राह्मण और अतिपिछड़ा बहुल है।

मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र

बीपी मंडल की धरती मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में यह कहावत प्रचलित है-रोम पोप का, मधेपुरा गोप का। इससे समझा जा सकता है कि इस सीट पर यादव मतदाता सर्वाधिक हैं। इस सीट का यह इतिहास है कि अब तक यहां से कोई दल या गठबंधन चुनाव लड़ा हो, उनके उम्मीदवार यादव जाति के ही रहे हैं और वही जीतते रहे हैं। इस जीत में पचपनिया निर्णायक होते हैं।

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सुपौल लोकसभा क्षेत्र

मिथिलांचल का हिस्सा सुपौल संसदीय क्षेत्र में वैसे तो ब्राह्मण, राजपूत, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव है, लेकिन यहां भी पचपनिया मतदाताओं की संख्या 40-45 प्रतिशत है। ये मतदाता चुनाव में जीत-हार में बड़ा फैक्टर साबित होते हैं।

उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के संसदीय क्षेत्र उजियारपुर में यादव और कुशवाहा जाति के अलावा अगड़ी जातियों का प्रभाव है। यहां पर चुनाव परिणाम को पचपनिया मतदाता ही तय करते हैं, क्योंकि यादव कुशवाहा जाति का वोट उनके स्वजातीय उम्मीदवार को मिलना तय माना जाता है। अगड़ी जातियों के मत राजग के पक्ष में हैं। यह ट्रेड 2019 में साफ दिखा था।

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मधबुनी लोकसभा क्षेत्र

मधुबनी चित्रकला के लिए दुनिया में विख्यात मधुबनी 1976 से पहले जयनगर सीट के नाम से था। इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इसके बाद इस सीट पर यादव मतदाता हैं । पचपनिया मतदाताओं की संख्या करीब छह लाख है।

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